वीभत्स रस MCQ Quiz - Objective Question with Answer for वीभत्स रस - Download Free PDF
Last updated on May 29, 2025
Latest वीभत्स रस MCQ Objective Questions
वीभत्स रस Question 1:
‘जुगुप्सा’ किस रस का स्थायी भाव है?
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 1 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 1 ‘वीभत्स रस’ है। इसके अन्य विकल्प गलत उत्तर होंगे।
Key Points
- घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है।
- इसका स्थायी भाव ‘जिगुप्सा’ है।
उदाहरण- बिष्टा पूय रुधिर कच हाड़ा। बरषइ कबहुँ उपल बहू छाडा।
Additional Information
- काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत ‘रस’ कहा जाता है।
- ‘स्थायी भाव’ के आधार पर हिंदी काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत |
निर्वेद |
वीभत्स रस Question 2:
"रिपु-आंतन की कुंडली करि जोगिनी चबात। पीबहि में पागी मनो, जुबति जलेबी खात।।" यहाँ कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 2 Detailed Solution
"रिपु-आंतन की कुंडली करि जोगिनी चबात। पीबहि में पागी मनो, जुबति जलेबी खात।।" यहाँ रस है- वीभत्स
Key Points
- घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर,
- उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है।
- इसका स्थायी भाव 'जुगुप्सा' है।
- उदाहरण-
- सिर पर बैठो काग, आँख दोऊ खात निकारत ।
- खेचत जीनहि स्यार अतिहि आनंद उर धारत ।।
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
भयानक रस:-
उदाहरण -
रौद्र रस:-
उदाहरण -
|
वीभत्स रस Question 3:
'जुगुप्सा' किस रस का स्थायी भाव है?
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 3 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'जुगुप्सा' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- 'जुगुप्सा' वीभत्स रस का स्थायीभाव भाव है।
- घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है।
- उदाहरण - जहँ-तहँ मज्जा मॉस, रूचिर लखि परत बयारे।
जित-जित छिटके हाड़, सेत कहुँ-कहुँ रतनारे। - अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
वीभत्स रस Question 4:
भरतमुनि के अनुसार 'वीभत्स रस' का स्थायी भाव है-
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 4 Detailed Solution
भरतमुनि के अनुसार 'वीभत्स रस' का स्थायी भाव है- जुगुप्सा
Key Points
- यह रस घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर,
- उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है।
- 'वीभत्स रस' का स्थायी भाव 'जुगुप्सा' है।
- उदाहरण -
- रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है,
- महाघोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
भयानक रस-
उदाहरण -
अद्भुत रस-
उदाहरण-
वीर रस-
उदाहरण -
|
वीभत्स रस Question 5:
वीभत्स रस का स्थायी भाव है-
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 5 Detailed Solution
वीभत्स रस का स्थायी भाव है- जुगुप्सा
Key Points
- यह रस घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या
- उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है।
- 'वीभत्स रस' का स्थायी भाव 'जुगुप्सा' है।
- उदाहरण -
- रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है,
- महाघोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
रस | परिभाषा | उदाहरण |
करुण | किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। स्थायी भाव- शोक |
हाय! रुक गया यहीं संसार, बना सिन्दूर अनल अंगार । |
रौद्र |
जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव क्रोध होता है। |
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े। करते हुए घोषणा वे हो गये उठकर खड़े ॥ |
Top वीभत्स रस MCQ Objective Questions
रस एवं स्थायी भाव की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है - वीभत्स - जुगुप्सा
Key Points
- वीभत्स रस का स्थायी भाव है जुगुप्सा।
- अन्य विकल्प:-
- शांत रस - निर्वेद
- हास्य रस - हास
- श्रृंगार रस - रति।
Additional Information
रस- रस एक प्रकार का आनन्द है, काव्य पढ़ने या नाटक देखने से जो विशेष प्रकार का आनन्द प्राप्त होता है। उसे रस कहा जाता है। हिन्दी में 'स्थायी भाव' के आधार पर काव्य में नौ रस बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं:- |
क्रम संख्या | रस | स्थायी भाव |
1. | श्रृंगार रस | रति |
2. | हास्य रस | हास |
3. | करूण रस | शोक |
4. | रौद्र रस | क्रोध |
5. | वीर रस | उत्साह |
6. | भयानक रस | भय |
7. | वीभत्स रस | जुगुप्सा |
8. | अद्भुत रस | विस्मय |
9. | शांत रस | निर्वेद |
“रक्त मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है।
महा घोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।”
उपर्युक्त पंक्तियों में इनमें से कौन सा रस है ?
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF"रक्त मास के सड़े पंक से उमड़ रही है,महा घोर दुर्गंध रुद्ध हो उठती श्वासा।" में वीभत्स रस है।
- उपर्युक्त पंक्तियों से घृणा एवं जुगुप्सा का भाव उत्पन्न हो रहा है।
- अतः इस वजह से यहां पर वीभत्स रस है।
- वीभत्स रस का स्थायी भाव घृणा एवं जुगुप्सा है।
भावार्थ
- खून और रक्त से सने हुए कीचड़ से बहुत तीव्र दुर्गंध आ रही है जिससे श्वास तक रुद्ध हो रही है।
- रस :- वीभत्स रस
- स्थायी भाव :- जुगुप्सा
रस एवं उनके स्थायी भाव-
- शृंगार - रति
- करुण - शोक
- हास्य - हास
- वीर - उत्साह
- भयानव - भय
- रौद्र - क्रोध
- अद्भुत - आश्चर्य , विस्मय
- शांत – निर्वेद या निवृत्ति
- वीभत्स - जुगुप्सा
- वात्सल्य - रति
- भक्ति रस - अनुराग
अद्भुत रस का उदाहरण
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
- चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।।
रौद्र रस के उदाहरण
- सुनहूँ राम जेहि शिवधनु तोरा सहसबाहु सम सो रिपु, मोरा सो बिलगाउ बिहाइ समाजा न त मारे जइहें सब राजा।
करुण रस के उदाहरण
- सीस पगा न झगा तन में प्रभु, जानै को आहि बसै केहि ग्रामा।
- धोति फटी-सी लटी दुपटी अरु, पाँय उपानह की नहिं सामा॥
'आँखें निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते।' में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्ति में वीभत्स रस है।
"आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते।"
पंक्ति का स्थाई भाव जुगुप्सा है। अतः यहाँ पर वीभत्स रस है।
वीभत्स रस
- इसकी स्थिति दु:खात्मक रसों में मानी जाती है।
- इसके परिणामस्वरूप घृणा, जुगुप्सा उत्पन्न होती है।
- इस दृष्टि से करुण, भयानक तथा रौद्र, ये तीन रस इसके सहयोगी या सहचर सिद्ध होते हैं।
- इसका स्थाई भाव जुगुप्सा है।
रस एवं उनके स्थायी भाव-
- शृंगार - रति
- करुण - शोक
- हास्य - हास
- वीर - उत्साह
- भयानव - भय
- रौद्र - क्रोध
- अद्भुत - आश्चर्य , विस्मय
- शांत – निर्वेद या निर्वृती
- वीभत्स - जुगुप्सा
- वात्सल्य - वात्सल्यता (अनुराग)
- भक्ति रस - अनुराग
'वीभत्स रस' का स्थायी भाव इनमें से कौन-सा है?
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF'वीभत्स रस' का स्थायी भाव इनमें से जुगुप्सा है, अतः सही उत्तर (विकल्प 2) 'जुगुप्सा' होगा।
Key Points
- जिन वस्तुओं के वर्णन से मनुष्य के अन्दर घृणा का भाव आये जैसे मांस, पीत (मवाद), खून इत्यादि, वहां वीभत्स रस होता है।
- जुगुप्सा का अर्थ है - उपेक्षापूर्वक की जानेवाली घृणा, वीभत्स।
- विभिन्न रसों के स्थायी भाव हैं -
- शृंगार – रति
- करुण – शोक
- हास्य – हास
- वीर – उत्साह
- भयानव – भय
- रौद्र – क्रोध
- अद्भुत – आश्चर्य , विस्मय
- शांत – निर्वेद या निर्वृती
- वीभत्स – जुगुप्सा
- वात्सल्य – रति
- भक्ति रस – अनुराग
Additional Information
शब्द |
परिभाषा |
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
'जुगुप्सा' किस रस का स्थायी भाव है ?
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF-
वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा होता है।
-
जहां पर जुगुप्सा (घृणा) नामक स्थाई भाव परिपक्व अवस्था में होता है वहां वीभत्स रस होता है। वीभत्स रस घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है।
-
रस का नाम - वीभत्स रस
रस का स्थाई भाव - घृणा / जुगुप्सा
आलम्बन - विलासिता, व्यभिचारी, छुआछूत, धार्मिक पाखंडता, अन्याय, नैतिक पत , पाप कर्म, घृणास्पद व्यक्ति या वस्तुएं, दुर्गंधमय मांस, रक्त, चर्बी , इसका आलंबन है।
उद्दीपन - कीड़े पड़ना ,घृणित चेष्टाएं एवं ऐसी वस्तुओं की स्मृति उद्दीपन विभाव है।
अनुभाव - थूकना , झुकना , मुंह फेरना , आंखें मूंद लेना इसके अनुभाव हैं।
संचारी भाव - जबकि इसके अंतर्गत मोह, अपस्मार, आवेद, व्याधि, मरण, मूर्छा आदि संचारी भाव है।
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
'जुगुप्सा' किस रस का स्थायी भाव है?
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'जुगुप्सा' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- 'जुगुप्सा' वीभत्स रस का स्थायीभाव भाव है।
- घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है।
- उदाहरण - जहँ-तहँ मज्जा मॉस, रूचिर लखि परत बयारे।
जित-जित छिटके हाड़, सेत कहुँ-कहुँ रतनारे। - अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
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|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
सिर पर बैठयों काग, आँख ओउ खात निकारत।
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्ति ‘सिर पर बैठयों काग, आँख ओउ खात निकारत , खींचत जीभहिं स्यार, अति आनन्द उर धारत। ‘ इन पंक्तियों में वीभत्स रस है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प वीभत्स रस है।
विवरण
वीभत्स रस: जहाँ किसी वस्तु अथवा दृश्य के प्रति जुगुप्सा का भाव परिपुष्ट हो, वहाँ वीभत्स रस होता है। ‘सिर पर बैठयों काग, आँख ओउ खात निकारत , खींचत जीभहिं स्यार, अति आनन्द उर धारत।‘ इन पंक्तियों में से शव को बांचते को और गिद्ध के घृणित विषय की प्रस्तुति के कारण यहाँ वीभत्स रस है।
अन्य विकल्प
रस |
परिभाषा |
करुण |
इसका स्थायी भाव शोक होता है इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं। जैसे- ”राम राम कहि राम कहि राम राम कहि राम। तनु परिहरि रघुबर बिरह राउ गयऊ सुरधाय।।“ |
रौद्र |
जहाँ क्रोध और प्रतिशोध का भाव विविध अनुभवों, विभावों और संचारियों के योग से परिपुष्ट होता है, वहाँ रौद्र रस की अभिव्यक्ति होती है।इसका स्थायी भाव क्रोध है। जैसे - ” रे नृप बालक काल बस बोलत तोहि न संभार धनुही सम त्रिपुरारी द्यूत बिदित सकल संसारा।।“ |
भयानक |
जब किसी भयानक या अनिष्टकारी व्यक्ति या वस्तु को देखने या उससे संबंधित वर्णन करने या किसी अनिष्टकारी घटनाका स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होता है, उसे भय कहते और उससे उत्पन्न होने वाली रस को भयानकरस है। इसका स्थायी भाव भय है। जैसे - ” एक और अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय।विकल बटोही बीच ही परयो मूर्छा खाए।“ |
उल्लिखित पंक्तियों में से वीभत्स रस वाली पंक्ति को चुनिए -
Answer (Detailed Solution Below)
स्वान अंगुरिन काटि – काटि कै खात विदारता
वीभत्स रस Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से ‘स्वान अंगुरिन काटि – काटि कै खात विदारता, सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारता’ इन पंक्तियों में वीभत्स रस है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प वीभत्स रस है।
विवरण
वीभत्स रस : जहाँ किसी वस्तु अथवा दृश्य के प्रति जुगुप्सा का भाव परिपुष्ट हो, वहाँ वीभत्स रस होता है।
‘स्वान अंगुरिन काटि – काटि कै खात विदारता, सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारता’ इन पंक्तियों में कुत्तों का उंगलियों काटना, कौआ का आँख निकालना आदि उद्दीपन है। इसलिए यहाँ वीभत्स रस होगा।
अन्य विकल्प
विकल्प |
रस |
एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराया विकल बटोही बीच ही, परयो मूरछा खाया |
इन पंक्तियों में भयानक रस है, भयानक रस अर्थात जहाँ भय स्थायी भाव पुष्ट और विकसित हो, वहाँ भयानक रस होता है। इसका स्थायी भाव भय है। |
एक दिन न्यूर्यार्क भी मेरी तरह हो जाएगा जिसने मिटाया है मुझे, वह भी मिटाया जाएगा |
इन पंक्तियों में रौद्र रस है, रौद्र रस अर्थात जहाँ क्रोध और प्रतिशोध का भाव विविध अनुभवों, विभावों और संचारियों के योग से परिपुष्ट होता है, वहाँ रौद्र रस की अभिव्यक्ति होती है। इसका स्थायी भाव क्रोध है। |
हाथी जैसी चाल है, गैंडे जैसी खाल तरबूजे सी खोपड़ी, खरबूजे सी गाल |
इन पंक्तियों में हास्य रस है, हास्य रस अर्थात जहाँ विलक्षण स्थितियों द्वारा हँसी का पोषण हो, वहाँ हास्य रस होता है। इसका स्थायी भाव हँसी है। |
रक्त, मांस एवं दुर्गन्ध से जुगुप्ता जाग्रता होती है। इस कथन में परिपक्व रस है -
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF- जब काव्य में घृणित वस्तुओं जो देखकर या उनके बारे मे सुन कर जुगुप्सा स्थायी भाव विभाव अनुभाव और संचारी भावों के संयोग से परिपक्व अवस्था मे पहुँच कर वीभत्स रास परिणित होरा है|
- सड़ा माँस, वमन आदि इसके आलम्बन विभाव हैं|
- कीड़े पड़ना, दुर्दन्ध, आदि उद्दीपन विभाव हैं|
- घृणा करना, नाक सिकोड़ना, मुँह सिकोड़ने, थूकना आदि अनुभाव है|
- आवेग, जड़ता, व्याधि, अप्सपार, निर्वेद, ग्लानि आदि संचारी भाव हैं|
- जुगुप्सा स्थायी भाव है|
Key Points
- वीभत्स रस का स्थायी भाव ‘जुगुप्सा’ है।
- घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस है।
Additional Information
रस |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
रस और उनके स्थायी भाव -
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत |
निर्वेद |
"रिपु-आंतन की कुंडली करि जोगिनी चबात। पीबहि में पागी मनो, जुबति जलेबी खात।।" यहाँ कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
वीभत्स रस Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF"रिपु-आंतन की कुंडली करि जोगिनी चबात। पीबहि में पागी मनो, जुबति जलेबी खात।।" यहाँ रस है- वीभत्स
Key Points
- घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर,
- उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है।
- इसका स्थायी भाव 'जुगुप्सा' है।
- उदाहरण-
- सिर पर बैठो काग, आँख दोऊ खात निकारत ।
- खेचत जीनहि स्यार अतिहि आनंद उर धारत ।।
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
भयानक रस:-
उदाहरण -
रौद्र रस:-
उदाहरण -
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