वीभत्स रस MCQ Quiz - Objective Question with Answer for वीभत्स रस - Download Free PDF

Last updated on May 29, 2025

Latest वीभत्स रस MCQ Objective Questions

वीभत्स रस Question 1:

‘जुगुप्सा’ किस रस का स्थायी भाव है?

  1. वीभत्स रस 
  2. अद्भुत रस 
  3. भयानक रस 
  4. करुण रस 
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वीभत्स रस 

वीभत्स रस Question 1 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 1 वीभत्स रसहै। इसके अन्य विकल्प गलत उत्तर होंगे।  

Key Points

  • घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है।
  • इसका स्थायी भाव ‘जिगुप्सा’ है।

उदाहरण- बिष्टा पूय रुधिर कच हाड़ा। बरषइ कबहुँ उपल बहू छाडा।

Additional Information

  • काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत ‘रस’ कहा जाता है।
  • ‘स्थायी भाव’ के आधार पर हिंदी काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत

निर्वेद

वीभत्स रस Question 2:

"रिपु-आंतन की कुंडली करि जोगिनी चबात। पीबहि में पागी मनो, जुबति जलेबी खात।।" यहाँ कौन-सा रस है?  

  1. क्रोध 
  2. भयानक 
  3. रौद्र 
  4. वीभत्स 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वीभत्स 

वीभत्स रस Question 2 Detailed Solution

"रिपु-आंतन की कुंडली करि जोगिनी चबात। पीबहि में पागी मनो, जुबति जलेबी खात।।" यहाँ रस है- वीभत्स 

Key Points

  •  
  • घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर,
  • उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। 
  • इसका स्थायी भाव 'जुगुप्‍सा' है।
  • उदाहरण-
    • सिर पर बैठो काग, आँख दोऊ खात निकारत ।
    • खेचत जीनहि स्यार अतिहि आनंद उर धारत ।।

Important Points

रस      स्थायी भाव
शृंगार  रति
करुण  शोक 
हास्य   हास
वीर  उत्साह
भयानक  भय
रौद्र  क्रोध
अद्भुत  आश्चर्य , विस्मय
शांत  निर्वेद या निर्वृती
वीभत्स  जुगुप्सा
वात्सल्य   रति

Additional Information 
 

भयानक रस:-

  • जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे संबन्धित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होती है, उसे भयानक रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव भय होता है।

उदाहरण -

  • ​एक ओर अजगरहीं लखि एक ओर मृगराय।
  • विकल बटोही बीच ही परयो मूरछा खाय।।

रौद्र रस:-

  • जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव क्रोध होता है। 

उदाहरण -

  • संसार देखे अब हमारे शत्रु रण मे मृत पड़े।
  • करते हुए यह घोषणा, वे हो गए उठकर खड़े।।

वीभत्स रस Question 3:

'जुगुप्सा' किस रस का स्थायी भाव है?

  1. वीभत्स
  2. करुण
  3. रौद्र
  4. वीर
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वीभत्स

वीभत्स रस Question 3 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'जुगुप्सा' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 


Key Points

  • 'जुगुप्सा' वीभत्स रस का स्थायीभाव भाव है। 
  • घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। 
  • उदाहरण - जहँ-तहँ मज्जा मॉस, रूचिर लखि परत बयारे।
    जित-जित छिटके हाड़, सेत कहुँ-कहुँ रतनारे।
  • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 


Additional Information

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस

निर्वेद

वीभत्स रस Question 4:

भरतमुनि के अनुसार 'वीभत्स रस' का स्थायी भाव है-

  1. भय
  2. जुगुप्सा
  3. विस्मय
  4. उत्साह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : जुगुप्सा

वीभत्स रस Question 4 Detailed Solution

भरतमुनि के अनुसार 'वीभत्स रस' का स्थायी भाव है- जुगुप्सा

Key Points

  • यह रस घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर,
  • उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। 
  • 'वीभत्स रस' का स्थायी भाव 'जुगुप्सा' है 
  • उदाहरण -
    • रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है,
    • महाघोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा। 

Important Points 

रस      स्थायी भाव
शृंगार  रति
करुण  शोक 
हास्य   हास
वीर  उत्साह
भयानक  भय
रौद्र  क्रोध
अद्भुत  आश्चर्य , विस्मय
शांत  निर्वेद या निर्वृती
वीभत्स  जुगुप्सा
वात्सल्य   रति

Additional Information
  

भयानक रस-

  • जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे संबन्धित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होती है, उसे भयानक रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव भय होता है।

उदाहरण -

  • ​एक ओर अजगरहीं लखि एक ओर मृगराय।
  • विकल बटोही बीच ही परयो मूरछा खाय।।

अद्भुत रस-

  • जब किसी जीव के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि का भाव उत्पन्न होता है, उसे अद्भुत रस कहा जाता है। स्थायी भाव - आश्‍चर्य 

उदाहरण-

  • ​एक अचम्भा देख्यौ रे भाई। ठाढ़ा सिंह चरावै गाई॥
  • जल की मछली तरुबर ब्याई। पकड़ि बिलाई मुरगै खाई।।

वीर रस-

  • इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है, उसे ही वीर रस कहते हैं।
  • इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है इसका स्थायी भाव उत्साह होता है।

उदाहरण -

  • बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी।
  • खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।।

वीभत्स रस Question 5:

वीभत्स रस का स्थायी भाव है-

  1. शोक
  2. क्रोध
  3. जुगुप्सा
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : जुगुप्सा

वीभत्स रस Question 5 Detailed Solution

वीभत्स रस का स्थायी भाव है- जुगुप्सा

Key Points

  • यह रस घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या
  • उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। 
  • 'वीभत्स रस' का स्थायी भाव 'जुगुप्सा' है 
  • उदाहरण -
    • रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है,
    • महाघोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा। 

Important Points

रस      स्थायी भाव
शृंगार  रति
करुण  शोक 
हास्य   हास
वीर  उत्साह
भयानक  भय
रौद्र  क्रोध
अद्भुत  आश्चर्य , विस्मय
शांत  निर्वेद या निर्वृती
वीभत्स  जुगुप्सा
वात्सल्य   रति

Additional Information

रस  परिभाषा  उदाहरण
करुण  किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। स्थायी भाव- शोक 

हाय! रुक गया यहीं संसार,

बना सिन्दूर अनल अंगार ।

रौद्र

जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव क्रोध होता है। 

संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े। 

करते हुए घोषणा वे हो गये उठकर खड़े ॥

 

Top वीभत्स रस MCQ Objective Questions

रस एवं स्थायी भाव की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?

  1. वीभत्स - जुगुप्सा
  2. शांत - शोक
  3. हास्य - उत्साह
  4. शृंगार - विस्मय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वीभत्स - जुगुप्सा

वीभत्स रस Question 6 Detailed Solution

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सही उत्तर है - वीभत्स - जुगुप्सा

Key Points

  • वीभत्स रस का स्थायी भाव है जुगुप्सा। 
  • अन्य विकल्प:-
    • शांत रस - निर्वेद 
    • हास्य रस - हास 
    • श्रृंगार रस - रति। 

Additional Information

रस- रस एक प्रकार का आनन्‍द है, काव्‍य पढ़ने या नाटक देखने से जो विशेष प्रकार का आनन्‍द प्राप्‍त होता है। उसे रस कहा जाता है। हिन्‍दी में 'स्‍थायी भाव' के आधार पर काव्‍य में नौ रस बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं:- 
क्रम संख्‍या  रस  स्‍थायी भाव 
1. श्रृंगार रस  रति 
2. हास्‍य रस  हास 
3. करूण रस  शोक 
4. रौद्र रस क्रोध 
5. वीर रस  उत्‍साह 
6. भयानक रस  भय 
7. वीभत्‍स रस  जुगुप्‍सा 
8. अद्भुत रस   विस्‍मय 
9. शांत रस  निर्वेद

“रक्त मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है।

महा घोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।”

उपर्युक्त पंक्तियों में इनमें से कौन सा रस है ?

  1. अद्भुत
  2. रौद्र
  3. वीभत्स
  4. करुण

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वीभत्स

वीभत्स रस Question 7 Detailed Solution

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"रक्त मास के सड़े पंक से उमड़ रही है,महा घोर दुर्गंध रुद्ध हो उठती श्वासा।" में वीभत्स रस है।

  • उपर्युक्त पंक्तियों से घृणा एवं जुगुप्सा का भाव उत्पन्न हो रहा है।
  • अतः इस वजह से यहां पर वीभत्स रस है।
  • वीभत्स रस का स्थायी भाव घृणा एवं जुगुप्सा है।
Key Points

भावार्थ

  • खून और रक्त से सने हुए कीचड़ से बहुत तीव्र दुर्गंध आ रही है जिससे श्वास तक रुद्ध हो रही है।
  • रस :- वीभत्स रस
  • स्थायी भाव :- जुगुप्सा
Important Points

रस एवं उनके स्थायी भाव-

  • शृंगार - रति
  • करुण  - शोक
  • हास्य - हास
  • वीर - उत्साह
  • भयानव - भय
  • रौद्र - क्रोध
  • अद्भुत - आश्चर्य , विस्मय
  • शांत – निर्वेद या निवृत्ति
  • वीभत्स - जुगुप्सा
  • वात्सल्य - रति
  • भक्ति रस - अनुराग  
Additional Information

अद्भुत रस का उदाहरण

  • अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
  • चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।।

रौद्र रस के उदाहरण

  • सुनहूँ राम जेहि शिवधनु तोरा सहसबाहु सम सो रिपु, मोरा सो बिलगाउ बिहाइ समाजा न त मारे जइहें सब राजा।

करुण रस के उदाहरण

  • सीस पगा न झगा तन में प्रभु, जानै को आहि बसै केहि ग्रामा।
  • धोति फटी-सी लटी दुपटी अरु, पाँय उपानह की नहिं सामा॥

'आँखें निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते।' में कौन सा रस है?

  1. वीर रस
  2. भयानक रस
  3. अद्भुत रस
  4. वीभत्स रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वीभत्स रस

वीभत्स रस Question 8 Detailed Solution

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उपर्युक्त पंक्ति में वीभत्स रस है।

Key Points

"आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते।"

पंक्ति का स्थाई भाव जुगुप्सा है अतः यहाँ पर वीभत्स रस है।

वीभत्स रस

  • इसकी स्थिति दु:खात्मक रसों में मानी जाती है।
  • इसके परिणामस्वरूप घृणा, जुगुप्सा उत्पन्न होती है।
  • इस दृष्टि से करुण, भयानक तथा रौद्र, ये तीन रस इसके सहयोगी या सहचर सिद्ध होते हैं।
  • इसका स्थाई भाव जुगुप्सा है।
Additional Information

रस एवं उनके स्थायी भाव-

  • शृंगार - रति
  • करुण  - शोक
  • हास्य - हास
  • वीर - उत्साह
  • भयानव - भय
  • रौद्र - क्रोध
  • अद्भुत - आश्चर्य , विस्मय
  • शांत – निर्वेद या निर्वृती
  • वीभत्स - जुगुप्सा
  • वात्सल्य - वात्सल्यता (अनुराग) 
  • भक्ति रस - अनुराग

'वीभत्स रस' का स्थायी भाव इनमें से कौन-सा है?

  1. हास
  2. जुगुप्सा
  3. शोक
  4. क्रोध

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : जुगुप्सा

वीभत्स रस Question 9 Detailed Solution

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'वीभत्स रस' का स्थायी भाव इनमें से जुगुप्सा है, अतः सही उत्तर (विकल्प 2) 'जुगुप्सा' होगा।

Key Points

  •  जिन वस्तुओं के वर्णन से मनुष्य के अन्दर घृणा का भाव आये जैसे मांस, पीत (मवाद), खून इत्यादि, वहां वीभत्स रस होता है।
  • जुगुप्सा का अर्थ है - उपेक्षापूर्वक की जानेवाली घृणा, वीभत्स।
  • विभिन्न रसों के स्थायी भाव हैं - 
    • शृंगार – रति
    • करुण  – शोक
    • हास्य – हास
    • वीर – उत्साह
    • भयानव – भय
    • रौद्र – क्रोध
    • अद्भुत – आश्चर्य , विस्मय
    • शांत – निर्वेद या निर्वृती
    • वीभत्स – जुगुप्सा
    • वात्सल्य – रति
    • भक्ति रस – अनुराग

Additional Information

शब्द

परिभाषा

 रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

'जुगुप्सा' किस रस का स्थायी भाव है ?

  1. भयानक रस
  2. रौद्र रस
  3. वीभत्स रस 
  4. अदुभत रस 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वीभत्स रस 

वीभत्स रस Question 10 Detailed Solution

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वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा होता है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 3 वीभत्स रस​’ है।

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  • वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा होता है। 

  • जहां पर जुगुप्सा (घृणा) नामक स्थाई भाव परिपक्व अवस्था में होता है वहां वीभत्स रस होता है। वीभत्स रस घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है।

  • रस का नाम - वीभत्स रस 

    रस का स्थाई भाव - घृणा / जुगुप्सा 

    आलम्बन - विलासिताव्यभिचारीछुआछूतधार्मिक पाखंडताअन्यायनैतिक पत , पाप कर्मघृणास्पद व्यक्ति या वस्तुएंदुर्गंधमय मांसरक्तचर्बी , इसका आलंबन है।

    उद्दीपन - कीड़े पड़ना ,घृणित चेष्टाएं एवं ऐसी वस्तुओं की स्मृति उद्दीपन विभाव है। 

    अनुभाव - थूकना , झुकना , मुंह फेरना , आंखें मूंद लेना इसके अनुभाव हैं।

    संचारी भाव - जबकि इसके अंतर्गत मोह, अपस्मार, आवेद, व्याधि, मरण, मूर्छा आदि संचारी भाव है। 

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रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

 

'जुगुप्सा' किस रस का स्थायी भाव है?

  1. वीभत्स
  2. करुण
  3. रौद्र
  4. वीर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वीभत्स

वीभत्स रस Question 11 Detailed Solution

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दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'जुगुप्सा' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 


Key Points

  • 'जुगुप्सा' वीभत्स रस का स्थायीभाव भाव है। 
  • घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। 
  • उदाहरण - जहँ-तहँ मज्जा मॉस, रूचिर लखि परत बयारे।
    जित-जित छिटके हाड़, सेत कहुँ-कहुँ रतनारे।
  • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 


Additional Information

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस

निर्वेद

सिर पर बैठयों काग, आँख ओउ खात निकारत।

खींचत जीभहिं स्यार, अति आनन्द उर धारत। - में निम्न में से कौन सा रस है?

  1. करुण रस
  2. रौद्र रस
  3. वीभत्स रस
  4. भयानक रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वीभत्स रस

वीभत्स रस Question 12 Detailed Solution

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उपर्युक्त पंक्तिसिर पर बैठयों काग, आँख ओउ खात निकारत , खींचत जीभहिं स्यार, अति आनन्द उर धारत। इन पंक्तियों में वीभत्स रस है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प वीभत्स रस है।

विवरण

वीभत्स रस: जहाँ किसी वस्तु अथवा दृश्य के प्रति जुगुप्सा का भाव परिपुष्ट हो, वहाँ वीभत्स रस होता है।सिर पर बैठयों काग, आँख ओउ खात निकारत , खींचत जीभहिं स्यार, अति आनन्द उर धारत।इन पंक्तियों में से शव को बांचते को और गिद्ध के घृणित विषय की प्रस्तुति के कारण यहाँ वीभत्स रस है।

अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

करुण

इसका स्थायी भाव शोक होता है इस रस में 

किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग,

द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर

 चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है 

उसे करुण रस कहते हैं। जैसे-

राम राम कहि राम कहि राम राम कहि राम।

तनु परिहरि रघुबर बिरह राउ गयऊ सुरधाय।

रौद्र

जहाँ क्रोध और प्रतिशोध का भाव विविध अनुभवों,

विभावों और संचारियों के योग से परिपुष्ट होता है,

वहाँ रौद्र रस की अभिव्यक्ति होती है।इसका स्थायी 

भाव क्रोध है। जैसे - रे नृप बालक काल बस बोलत

 तोहि न संभार धनुही सम त्रिपुरारी द्यूत बिदित 

सकल संसारा।

भयानक

जब किसी भयानक या अनिष्टकारी व्यक्ति या वस्तु 

को देखने या उससे संबंधित वर्णन करने या किसी 

अनिष्टकारी घटनाका स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता 

उत्पन्न होता हैउसे भय कहते और उससे उत्पन्न होने वाली रस 

को भयानकरस है। इसका स्थायी भाव भय है। जैसे - ” एक और अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय।विकल बटोही बीच ही परयो मूर्छा खाए।

उल्लिखित पंक्तियों में से वीभत्स रस वाली पंक्ति को चुनिए -

  1. एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराया

    विकल बटोही बीच ही, परयो मूरछा खाया
  2. एक दिन न्यूयार्क भी मेरी तरह हो जाएगा

    जिसने मिटाया है मुझे, वह भी मिटाया जाएगा
  3. स्वान अंगुरिन काटिकाटि कै खात विदारता

    सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारता
  4. हाथी जैसी चाल है, गैंडे जैसी खाल

    तरबूजे सी खोपड़ी, खरबूजे सी गाल

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 :

स्वान अंगुरिन काटिकाटि कै खात विदारता

सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारता

वीभत्स रस Question 13 Detailed Solution

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दिए गए विकल्पों में से स्वान अंगुरिन काटिकाटि कै खात विदारता, सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारताइन पंक्तियों में वीभत्स रस है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प वीभत्स रस है।

विवरण

वीभत्स रस : जहाँ किसी वस्तु अथवा दृश्य के प्रति जुगुप्सा का भाव परिपुष्ट हो, वहाँ वीभत्स रस होता है।

 स्वान अंगुरिन काटिकाटि कै खात विदारता, सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारताइन पंक्तियों में कुत्तों का उंगलियों काटना, कौआ का आँख निकालना आदि उद्दीपन है। इसलिए यहाँ वीभत्स रस होगा।

अन्य विकल्प

विकल्प

रस

एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराया

विकल बटोही बीच ही, परयो मूरछा खाया

इन पंक्तियों में भयानक रस है, भयानक रस अर्थात जहाँ भय स्थायी भाव पुष्ट और विकसित हो, वहाँ भयानक रस होता है। इसका स्थायी भाव भय है।

एक दिन न्यूर्यार्क भी मेरी तरह हो जाएगा

जिसने मिटाया है मुझे, वह भी मिटाया जाएगा

इन पंक्तियों में रौद्र रस है, रौद्र रस अर्थात जहाँ क्रोध और प्रतिशोध का भाव विविध अनुभवों, विभावों और संचारियों के योग से परिपुष्ट होता है, वहाँ रौद्र रस की अभिव्यक्ति होती है। इसका स्थायी भाव क्रोध है।

हाथी जैसी चाल है, गैंडे जैसी खाल

तरबूजे सी खोपड़ी, खरबूजे सी गाल

इन पंक्तियों में हास्य रस है, हास्य रस अर्थात जहाँ विलक्षण स्थितियों द्वारा हँसी का पोषण हो, वहाँ हास्य रस होता है। इसका स्थायी भाव हँसी है।

रक्त, मांस एवं दुर्गन्ध से जुगुप्ता जाग्रता होती है। इस कथन में परिपक्व रस है -

  1. वीर रस
  2. रौद्र रस
  3. भयानक रस
  4. वीभत्स रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वीभत्स रस

वीभत्स रस Question 14 Detailed Solution

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  • जब काव्य में घृणित वस्तुओं जो देखकर या उनके बारे मे सुन कर जुगुप्सा स्थायी भाव विभाव अनुभाव और संचारी भावों के संयोग से परिपक्व अवस्था मे पहुँच कर वीभत्स रास परिणित होरा है|
  • सड़ा माँस, वमन आदि इसके आलम्बन विभाव हैं|
  • कीड़े पड़ना, दुर्दन्ध, आदि उद्दीपन विभाव हैं|
  • घृणा करना, नाक सिकोड़ना, मुँह सिकोड़ने, थूकना आदि अनुभाव है|
  • आवेग, जड़ता, व्याधि, अप्सपार, निर्वेद, ग्लानि आदि संचारी भाव हैं|
  • जुगुप्सा स्थायी भाव है|

Key Points

  • वीभत्स रस का स्थायी भाव ‘जुगुप्सा’ है।
  • घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस है

Additional Information

रस

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

रस और उनके स्थायी भाव -

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत

निर्वेद

"रिपु-आंतन की कुंडली करि जोगिनी चबात। पीबहि में पागी मनो, जुबति जलेबी खात।।" यहाँ कौन-सा रस है?  

  1. क्रोध 
  2. भयानक 
  3. रौद्र 
  4. वीभत्स 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वीभत्स 

वीभत्स रस Question 15 Detailed Solution

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"रिपु-आंतन की कुंडली करि जोगिनी चबात। पीबहि में पागी मनो, जुबति जलेबी खात।।" यहाँ रस है- वीभत्स 

Key Points

  •  
  • घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर,
  • उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। 
  • इसका स्थायी भाव 'जुगुप्‍सा' है।
  • उदाहरण-
    • सिर पर बैठो काग, आँख दोऊ खात निकारत ।
    • खेचत जीनहि स्यार अतिहि आनंद उर धारत ।।

Important Points

रस      स्थायी भाव
शृंगार  रति
करुण  शोक 
हास्य   हास
वीर  उत्साह
भयानक  भय
रौद्र  क्रोध
अद्भुत  आश्चर्य , विस्मय
शांत  निर्वेद या निर्वृती
वीभत्स  जुगुप्सा
वात्सल्य   रति

Additional Information 
 

भयानक रस:-

  • जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे संबन्धित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होती है, उसे भयानक रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव भय होता है।

उदाहरण -

  • ​एक ओर अजगरहीं लखि एक ओर मृगराय।
  • विकल बटोही बीच ही परयो मूरछा खाय।।

रौद्र रस:-

  • जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव क्रोध होता है। 

उदाहरण -

  • संसार देखे अब हमारे शत्रु रण मे मृत पड़े।
  • करते हुए यह घोषणा, वे हो गए उठकर खड़े।।
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