करुण रस MCQ Quiz - Objective Question with Answer for करुण रस - Download Free PDF
Last updated on May 28, 2025
Latest करुण रस MCQ Objective Questions
करुण रस Question 1:
रही खरकती हाय शूल-सी, पीड़ा उर में दशरथ के I
ग्लानि, त्रास, वेदना - विमण्डित, शाप कथा वे कह न सके II में कौन-सा रस निहित है?
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर है- "करुण रस"। अन्य विकल्प असंगत हैं।
- रही खरकती हाय शूल सी, पीड़ा उर में दशरथ के।‘
- ग्लानि, त्रास, वेदना - विमण्डित, शाप कथा वे कह न सके II
- इन पंक्तियों में राम के विरह की वेदना में दशरथ की करुणा को प्रकट किया गया है।
- इसलिए यहाँ पर करुण रस है।
- अतः इसका सही उत्तर विकल्प (3) "करुण रस" है।
Key Pointsकरुण रस-
- स्थायी भाव- शोक।
- परिभाषा-
- किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं।
- उदाहरण-
- करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जाय बखानी।
- सुनी विलाप दुखद दुख लागा, धीरज छूकर धीरज भागा।
Important Pointsरौद्र रस-
- स्थायी भाव- क्रोध
- परिभाषा-
- जब किसी काव्य को सुनने पर जब क्रोध के साथ आनंद या भाव की अनुभूति होती है तो इस अनुभूति को ही रौद्र रस कहते हैं।
- उदाहरण-
- माखे लघन, कुटिल भयी भौंहें ।
- रद-पट फरकत नैन रिसौहैं ॥
हास्य रस-
- स्थायी भाव- हास
- परिभाषा-
- किसी वस्तु या व्यक्ति की वेश-भूषा, उसका आकार, चाल-ढाल किसी घटना और भावना से उत्पन्न रस को हास्य रस कहते हैं।
- उदाहरण-
- बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभर यानी।।
- पुनि पुनि मोहि देखात कुहारु। चाहत उड़ावन कुंकी पहारू।।
शांत रस-
- स्थायी भाव- निर्वेद
- परिभाषा-
- शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो।
- उदाहरण-
- चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय।
- दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय।
करुण रस Question 2:
करुण रस का स्थायीभाव क्या होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 2 Detailed Solution
करुण रस का स्थायीभाव होता है- शोक
Key Points
- किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। इसका स्थायी भाव शोक होता है।
- उदाहरण-
- राम राम कही राम कहि राम राम कहि राम ।
तनु परिहरि रघुबर बिरह राउ गयऊ सुरधाम।।
- राम राम कही राम कहि राम राम कहि राम ।
Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
भयानक रस-
उदाहरण -
शांत रस-
उदाहरण -
श्रृंगार रस-
तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं, श्रृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है। श्रृंगार रस - इसका स्थाई भाव रति है। उदाहरण -
|
करुण रस Question 3:
जब किसी प्रिय वस्तु अथवा व्यक्ति के अनिष्ट की आंशका या इनके विनाश से 'हृदय को' जो क्षोभ होता है, वहाँ किस रस की निष्पत्ति होती है?
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 3 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3 'करुण रस’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
- जब किसी प्रिय वस्तु अथवा व्यक्ति के अनिष्ट की आंशका या इनके विनाश से 'हृदय को' जो क्षोभ होता है, वहाँ 'करुण रस' की निष्पत्ति होती है।
- उदाहरण - करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा।
- अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
करुण रस Question 4:
"देखी सुदामा दिन दसा, करुना करिकै करूणा निधि रोये " इस पंक्ति में कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 4 Detailed Solution
"देखी सुदामा दिन दसा, करुना करिकै करूणा निधि रोये " इस पंक्ति में है- करूण रस
Key Points
- (इस उदाहरण में श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा की दीन-दशा देखकर दया और करुणा से व्यथित होकर रो रहे हैं।)
- जब किसी काव्य या रचना को पढ़कर या सुनकर हमें दुख या शोक की भावना की अनुभूति होती है।
इसमें निःश्वास, छाती पीटना, रोना, भूमि पर गिरना आदि का भाव व्यक्त होता है तो वह करुण रस कहते है।- इसका स्थायी भाव शोक होता है।
- उदाहरण -
- दुःख ही जीवन की कथा रही
- क्या कहूँ, आज जो नहीं कहीं
Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
रस | परिभाषा | उदाहरण |
वियोग श्रृंगार | जहां पर नायक-नायिका का परस्पर प्रबल प्रेम हो लेकिन मिलन न हो अर्थात नायक-नायिका के वियोग का वर्णन हो वहां पर वियोग रस होता है। | राधा कहे तुम क्यों गए, मधुवन पिया बिना बताए। क्षण-क्षण गिनूं, दिन-रात गिनूं, नयनों से जल बहाए॥ |
रौद्र |
जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव क्रोध होता है। |
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण मे मृत पड़े। करते हुए यह घोषणा, वे हो गए उठकर खड़े।। |
शांत |
शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। इसका स्थायी भाव निर्वेद होता है। |
जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं।
|
करुण रस Question 5:
"देखी सुदामा दिन दसा, करुना करिकै करूणा निधि रोये " इस पंक्ति में कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 5 Detailed Solution
"देखी सुदामा दिन दसा, करुना करिकै करूणा निधि रोये " इस पंक्ति में है- करूण रस
Key Points
- (इस उदाहरण में श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा की दीन-दशा देखकर दया और करुणा से व्यथित होकर रो रहे हैं।)
- जब किसी काव्य या रचना को पढ़कर या सुनकर हमें दुख या शोक की भावना की अनुभूति होती है।
इसमें निःश्वास, छाती पीटना, रोना, भूमि पर गिरना आदि का भाव व्यक्त होता है तो वह करुण रस कहते है।- इसका स्थायी भाव शोक होता है।
- उदाहरण -
- दुःख ही जीवन की कथा रही
- क्या कहूँ, आज जो नहीं कहीं
Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
रस | परिभाषा | उदाहरण |
वियोग श्रृंगार | जहां पर नायक-नायिका का परस्पर प्रबल प्रेम हो लेकिन मिलन न हो अर्थात नायक-नायिका के वियोग का वर्णन हो वहां पर वियोग रस होता है। | राधा कहे तुम क्यों गए, मधुवन पिया बिना बताए। क्षण-क्षण गिनूं, दिन-रात गिनूं, नयनों से जल बहाए॥ |
रौद्र |
जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव क्रोध होता है। |
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण मे मृत पड़े। करते हुए यह घोषणा, वे हो गए उठकर खड़े।। |
शांत |
शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। इसका स्थायी भाव निर्वेद होता है। |
जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं।
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Top करुण रस MCQ Objective Questions
करुण रस का स्थाई भाव क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर ‘शोक’ है।
Key Points
दिए गए विकल्पों में से करुण रस का स्थायी भाव 'शोक' है।
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
करुण रस |
किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। |
करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा। |
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से. उस सही विकल्प का चयन करें जो बताता है कि - जहाँ किसी हानि के कारण शोक भाव उपस्थित होता है, वहाँ किस भाव की उपस्थिति रहती है?
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'करुण' है।
- जहाँ किसी हानि के कारण शोक भाव उपस्थित होता है, वहाँ करुण रस होता है।
- करुण रस का स्थायी भाव शोक है।
- उदाहरण-“सोक विकल एब रोवहिं रानी।
रूप सील बल तेज बखानी।।
करहिं विलाप अनेक प्रकारा।
परहिं भूमितल बारहिं बारा।।”
अन्य विकल्प:
- हास्य - विकृत वेशभूषा, क्रियाकलाप, चेष्टा या वाणी देख-सुनकर मन में जो विनोदजन्य उल्लास उत्पन्न होता है, उसे हास्य रस कहते हैं। हास्य रस का स्थायी भाव हास है।
- वीर - युद्ध अथवा किसी कठिन कार्य को करने के लिए हृदय में निहित ‘उत्साह’ स्थायी भाव के जाग्रत होने के प्रभावस्वरूप जो भाव उत्पन्न होता है, उसे वीर रस कहा जाता है।
- वात्सल्य - वात्सल्य रस का सम्बन्ध छोटे बालक-बालिकाओं के प्रति माता-पिता एवं सगे-सम्बन्धियों का प्रेम एवं ममता के भाव से है। हिन्दी कवियों में सूरदास ने वात्सल्य रस को पूर्ण प्रतिष्ठा दी है। तुलसीदास की विभिन्न कृतियों के बालकाण्ड में वात्सल्य रस की सुन्दर व्यंजना द्रष्टव्य है। वात्सल्य रस का स्थायी भाव वत्सलता या स्नेह है
Additional Information
- साहित्य को पढ़ने, सुनने या नाटकादि को देखने से जो आनन्द की अनुभूति होती है, उसे ‘रस’ कहते हैं।
करुण रस का स्थायी भाव होगा:
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFकरुण रस का स्थायी भाव होगा शोक, चूँकि करुणा में गला रुंधता है जहाँ शोक का भाव प्रकट होता है, अत: विकल्प 2 शोक सही होगा |
Key Points
करुण रस- प्रिय वस्तु या इष्ट वस्तु के नाश से जो क्षोभ होता है, उसे शोक कहते हैं। यही शोक उदाहरण
|
'शोक' किस रस का स्थायी भाव है ?
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘करुण’ है। अन्य विकल्प इसके असंगत उत्तर होंगे।
Key Points
- उपरोक्त विकल्पों में शोक ‘करुण’ रस का स्थायी भाव है।
- किसी अपने के विनाश, दीर्घकालिक वियोग, द्रव्यनाश या प्रेमी से सदैव के लिए बिछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है, उसे करुण रस कहते हैं।
- करुण रस में शोक का वर्णन होता है।
- उदाहरण- हाय राम हम कैसे झेले अपनी लज्जा अपना शोक।
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक।
Additional Information
रस - काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रस कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
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रस |
स्थायी भाव |
शृंगार |
रति |
हास्य |
हास |
करुण |
शोक |
रौद्र |
क्रोध |
वीर |
उत्साह |
भयानक |
भय |
वीभत्स |
जुगुप्सा |
अद्भुत |
विस्मय |
निम्न में से 'करुण' रस का स्थायीभाव है -
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त में से 'करुण' रस का स्थायीभाव है - 'शोक'
Key Pointsरस एवं उनके स्थायी भाव:-
रस का नाम | स्थायीभाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानव | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
भक्ति रस | अनुराग |
Additional Informationरस:-
- काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती हैं उसे रस कहाँ जाता हैं। रस का शब्दिक अर्थ “आनंद” होता हैं।
रस का नाम बताओ:
जथा पंख बिनु खग अति दीना |मनि बिनु फन करिबर कर हीना ||
अस मम जीवन बंधु बिन तोही |जौ जड दैव जियावह मोही ||
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पद्यांश में करूण रस का भाव है. अत: सही विकल्प 4 'करूण रस' है. अन्य विकल्प अनुचित उत्तर है.
- प्रस्तुत पंक्तियों में करुण रस है - भाई लक्ष्मण के अभाव में प्रभु राम अपनी दशा की तुलना करते हुए बताते हैं कि जैसे पंख के बिना पक्षी मणि के
बिना सर्प, सूँड के बिना हाथी अत्यंत दीन-हीन हो जाते हैं वैसे ही उनका जीवन हो जाएगा। यदि कहीं जड़ दैव मुझे जीवित रखे तो तुम्हारे बिना मेरा जीवन भी ऐसा ही होगा| अतः हमे यहाँ करुण रस का भाव होता है| - करुण रस - जहां किसी हानि के कारण शोक भाव उपस्थित होता है , वहां ‘ करुण रस ‘ उपस्थित होता है। पर हानि किसी अनिष्ट किसी के निधन अथवा प्रेमपात्र के चिर वियोग के कारण संभव होता है। शास्त्र के अनुसार ‘शोक’ नामक स्थाई भाव अपने अनुकूल विभाव , अनुभाव एवं संचारी भावों के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद का रूप धारण कर लेता है तब उसे करुण रस कहा जाता है।
अन्य विकल्प
- शांत रस - तत्वज्ञान और वैराग्य से शांत रस की उत्पत्ति मानी गई है , इसका स्थाई भाव ‘ निर्वेद ‘ या शम है। जो अपने अनुरूप विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयुक्त होकर आस्वाद का रूप धारण करके शांत रस रूप में परिणत हो जाता है। संसार की क्षणभंगुरता कालचक्र की प्रबलता आदि इसके आलंबन है।
- भक्ति रस - भक्ति रस का स्थाई भाव है दास्य। मुख्य रूप से रस 10 प्रकार के ही माने गए हैं परंतु हमारे आचार्यों द्वारा इस रस को स्वीकार किया गया है। इस रस में प्रभु की भक्ति और उनके गुणगान को देखा जा सकता है। जैसे- मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई जोकि मीराबाई द्वारा लिखा गया है यह भक्ति रस का प्रमुख उदाहरण है।
- वीर रस - जहां विषय और वर्णन में उत्साह युक्त वीरता के भाव को प्रदर्शित किया जाता है वहां वीर रस होता है। उत्साह का संचार इसके अंतर्गत किया जाता है , किंतु इसमें प्रधानतया रणपराक्रम का ही वर्णन किया जाता है। सहृदय के हृदय में विद्यमान उत्साह नामक स्थाई भाव अपने अनुरूप विभाव , अनुभाव और संचारी भावों के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद का रूप धारण कर लेता है , तब उसे ‘ वीर रस ‘ कहा जाता है।
रस - रस काव्य का मूल आधार ‘ प्राणतत्व ‘ अथवा ‘ आत्मा ‘ है रस का संबंध ‘ सृ ‘ धातु से माना गया है। जिसका अर्थ है जो बहता है , अर्थात जो भाव रूप में हृदय में बहता है उसे को रस कहते हैं।एक अन्य मान्यता के अनुसार रस शब्द ‘ रस् ‘ धातु और ‘ अच् ‘ प्रत्यय के योग से बना है। जिसका अर्थ है – जो वहे अथवा जो आश्वादित किया जा सकता है। रस निष्पत्ति अर्थात विभाव अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से ही रस की निष्पत्ति होती है , किंतु साथ ही वे स्पष्ट करते हैं कि स्थाई भाव ही विभाव , अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से स्वरूप को ग्रहण करते हैं।
जब किसी प्रिय वस्तु अथवा व्यक्ति के अनिष्ट की आंशका या इनके विनाश से 'हृदय को' जो क्षोभ होता है, वहाँ किस रस की निष्पत्ति होती है?
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3 'करुण रस’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
- जब किसी प्रिय वस्तु अथवा व्यक्ति के अनिष्ट की आंशका या इनके विनाश से 'हृदय को' जो क्षोभ होता है, वहाँ 'करुण रस' की निष्पत्ति होती है।
- उदाहरण - करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा।
- अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
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रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
करूण रस का स्थायी भाव क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFकरूण रस का स्थायी भाव है- शोक
- अतः विकल्पों के अनुसार सही उत्तर विकल्प 4 इनमें से कोई नहीं होगा।
Key Pointsकरुण रस-
- जिस रस के आस्वादन से हृदय में शोक का आविर्भाव हो,उसे करुण रस कहते है।
- स्थायी भाव- शोक
- संचारी भाव- मोह,विषाद,अश्रु,अपस्मार,उन्माद आदि।
- गुण- माधुर्य
- विरोधी रस- हास्य और शृंगार रस।
- उदाहरण-
- हाय राम कैसे झेलें हम पनी लज्जा अपना शोक।
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक॥
- हाय राम कैसे झेलें हम पनी लज्जा अपना शोक।
Important Pointsरस के प्रकार हैं-
रस | स्थाई भाव |
शृंगार रस | रति |
हास्य रस | हास |
रौद्र रस | क्रोध |
वीर रस | उत्साह |
अद्भुत रस | विस्मय |
वीभत्स रस | जुगुप्सा |
शांत रस | निर्वेद |
वात्सल्य रस | वत्सलता |
Additional Informationरस-
- आचार्य भरतमुनि के अनुसार-
- विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भाव के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।
- रस के चार अंग हैं-
- स्थायी भाव
- विभाव
- अनुभाव
- व्यभिचारी/संचारी भाव
उल्लिखित पंक्तियों में कौन सा रस है -
जो तुम आ जाते एक बार, कितनी करुणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग, गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद भरा, आँसू लेते वें पद पाखार।
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFइसका सही उत्तर विकल्प 2 है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
- दी गई काव्य पंक्ति में शृंगार रस के भाव-अनुभावों का चित्रण है। यहाँ पर ‘वियोग शृंगार’ है।
- वियोग शृंगार रस में नायक-नायिका का वियोग होता है। दोनों अपने मिलन के लिए आतुर रहते हैं।
- जहां काव्य में 'रति' नामक स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर रस में परिणत होता है वहां शृंगार रस होता है।
अन्य विकल्प:
- संयोग- इसमें नायक-नायिका के मिलन का वर्णन होता है।
-
जैसे- बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, सौंह करें, भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाए।
- रौद्र रस- जिस काव्य को पढ़कर या सुनकर हृदय में क्रोध के भाव उत्पन्न होते हैं वहां रौद्र रस होता है। जब हृदय में क्रोध उत्पन्न हो वहाँ रौद्र रस की उत्पत्ति होती है।
- जैसे- रे नृप बालक काल बस बोलत तोहि न संभार। धनुही सम त्रिपुरारी द्यूत बिदित सकल संसारा।।
- हास्य रस- इसका स्थायी भाव हास है। किसी व्यक्ति के रूप या अन्य शारीरिक बनावट तथा अजीब बोलने आदि के विकारों से मन में जो उल्लास की उत्पत्ति होती है।
- जैसे- बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभर यानी।। पुनि पुनि मोहि देखात कुहारु। चाहत उड़ावन कुंकी पहारू।।
रस |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं। |
रस का नाम बताओ:
प्रिय-पति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है |
दुःख-जलधि निमग्रा का सहारा कहाँ है |
अब तक जिसको मैं देख के जी सकी हूँ |
वह हृदय हमारा नेत्र-तारा कहाँ है ||
Answer (Detailed Solution Below)
करुण रस Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पद्यांश में करूण रस का भाव है. अत: सही विकल्प 4 'करुण रस' है. अन्य विकल्प अनुचित उत्तर है.
- करुण रस - जहां किसी हानि के कारण शोक भाव उपस्थित होता है , वहां ‘ करुण रस ‘ उपस्थित होता है। पर हानि किसी अनिष्ट किसी के निधन अथवा प्रेमपात्र के चिर वियोग के कारण संभव होता है। शास्त्र के अनुसार ‘शोक’ नामक स्थाई भाव अपने अनुकूल विभाव , अनुभाव एवं संचारी भावों के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद का रूप धारण कर लेता है तब उसे करुण रस कहा जाता है।
अन्य विकल्प
- हास्य रस - हास्य रस मनोरंजक है। आचार्यों के मतानुसार ‘हास्य’ नामक स्थाई भाव अपने अनुकूल , विभाव , अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद का रूप धारण कर लेता है तब उसे हास्य कहा जाता है। सामान्य विकृत आकार-प्रकार वेशभूषा वाणी तथा आंगिक चेष्टाओं आदि को देखने से हास्य रस की निष्पत्ति होती है। यह हास्य दो प्रकार का होता है – १ आत्मस्थ तथा २ परस्य।
- शृंगार रस - श्रृंगार रस ‘ रसों का राजा ‘ एवं महत्वपूर्ण प्रथम रस माना गया है। विद्वानों के मतानुसार श्रृंगार रस की उत्पत्ति ‘ श्रृंग + आर ‘ से हुई है। इसमें ‘श्रृंग’ का अर्थ है – काम की वृद्धि तथा ‘आर’ का अर्थ है प्राप्ति। अर्थात कामवासना की वृद्धि एवं प्राप्ति ही श्रृंगार है इसका स्थाई भाव ‘रति’ है।
- वीर रस - जहां विषय और वर्णन में उत्साह युक्त वीरता के भाव को प्रदर्शित किया जाता है वहां वीर रस होता है। उत्साह का संचार इसके अंतर्गत किया जाता है , किंतु इसमें प्रधानतया रणपराक्रम का ही वर्णन किया जाता है। सहृदय के हृदय में विद्यमान उत्साह नामक स्थाई भाव अपने अनुरूप विभाव , अनुभाव और संचारी भावों के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद का रूप धारण कर लेता है , तब उसे ‘ वीर रस ‘ कहा जाता है।
रस - रस काव्य का मूल आधार ‘ प्राणतत्व ‘ अथवा ‘ आत्मा ‘ है रस का संबंध ‘ सृ ‘ धातु से माना गया है। जिसका अर्थ है जो बहता है , अर्थात जो भाव रूप में हृदय में बहता है उसे को रस कहते हैं।एक अन्य मान्यता के अनुसार रस शब्द ‘ रस् ‘ धातु और ‘ अच् ‘ प्रत्यय के योग से बना है। जिसका अर्थ है – जो वहे अथवा जो आश्वादित किया जा सकता है। रस निष्पत्ति अर्थात विभाव अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से ही रस की निष्पत्ति होती है , किंतु साथ ही वे स्पष्ट करते हैं कि स्थाई भाव ही विभाव , अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से स्वरूप को ग्रहण करते हैं।