अद्भुत रस MCQ Quiz - Objective Question with Answer for अद्भुत रस - Download Free PDF
Last updated on Jun 19, 2025
Latest अद्भुत रस MCQ Objective Questions
अद्भुत रस Question 1:
केसव कहि न जाय का कहिये।
देखत तब रचना विचित्र अति, समुझि मनहि मन रहिए।- में निम्न में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 1 Detailed Solution
केसव कहि न जाय का कहिये।
देखत तब रचना विचित्र अति, समुझि मनहि मन रहिए।- में 'अद्भुत रस' है।
Hint
- पंक्ति में आए "विचित्र" शब्द से भी पता चल रहा है की यहाँ अद्भुत रस है।
Key Points
- अद्भुत रस: आश्चर्य या विस्मय भाव उत्पन्न होना।
जैसे:
- हे केशव! क्या कहूँ? कुछ कहा नहीं जाता! हे हरे! आपकी यह विचित्र रचना देखकर मन-ही-मन आपकी लीला समझकर रह जाता हूँ।
- कैसी अद्भुत लीला है कि इस संसार-रूपी चित्र को निराकार चित्रकार ने शून्य की दीवार पर बिना रंग के संकल्प से ही बना दिया।
Additional Information
- शृंगार रस : परिभाषा- जब पति-पत्नी / प्रेमी-प्रेमिका / नायक-नायिका के मन में स्थाई भाव रति जागृत होकर आस्वादन के योग्य हो जाता है, तो इसे शृंगार रस कहा जाता है।
अद्भुत रस Question 2:
'अद्भुत-रस' के देवता इनमें से किसे माना जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 2 Detailed Solution
'अद्भुत-रस' के देवता इनमें से माना जाता है- गंधर्व
Key Points
- अद्भुत रस के देवता गंधर्व को माना जाता है,
- ऐसा विश्वनाथ के अनुसार है कि अद्भुत रस का देवता गंधर्व है,
- गंधर्व, देवताओं और मनुष्यों के बीच संदेशवाहक भी होते हैं।
Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Informationअद्भुत रस-
- जब किसी जीव के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि का भाव उत्पन्न होता है, उसे अद्भुत रस कहा जाता है।
- उदाहरण-
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
- चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।।
अद्भुत रस Question 3:
'अद्भुत-रस' के देवता इनमें से किसे माना जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 3 Detailed Solution
'अद्भुत-रस' के देवता इनमें से माना जाता है- गंधर्व
Key Points
- अद्भुत रस के देवता गंधर्व को माना जाता है,
- ऐसा विश्वनाथ के अनुसार है कि अद्भुत रस का देवता गंधर्व है,
- गंधर्व, देवताओं और मनुष्यों के बीच संदेशवाहक भी होते हैं।
Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Informationअद्भुत रस-
- जब किसी जीव के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि का भाव उत्पन्न होता है, उसे अद्भुत रस कहा जाता है।
- उदाहरण-
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
- चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।।
अद्भुत रस Question 4:
यह देख, गगन मुझमें लय है,
यह देख पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल,
मुझमें लय है संसार सकल।
अमरत्व फलता है मुझमें,
संहार झूलता है मुझमें।"
उपरोक्त पंक्तियों में कौन-सा रस है?
यह देख, गगन मुझमें लय है,
यह देख पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल,
मुझमें लय है संसार सकल।
अमरत्व फलता है मुझमें,
संहार झूलता है मुझमें।"
उपरोक्त पंक्तियों में कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 4 Detailed Solution
उपरोक्त पंक्तियों में रस है- अद्भुत रस
Key Points
- उपरोक्त पंक्तियों में अद्भुत रस है।अद्भुत रस में विस्मय, चमत्कार और आश्चर्य की भावना होती है,
- और इन पंक्तियों में सृष्टि की महानता और अनंतता का वर्णन है जो विस्मय और आश्चर्य की भावना उत्पन्न करता है।
- भारतीय काव्य शास्त्र के विभिन्न रसों में से एक है, इसका स्थायी भाव आश्चर्य होता है।
- जब किसी जीव के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि का भाव उत्पन्न होता है , उसे अद्भुत रस कहा जाता है।
- इसके अन्दर आँसु आना, रोमांच, गद्गद होना, काँपना, आँखे फाड़कर देखना आद शामिल हैं।
- उदाहरण-
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।।
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
Important Points रस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
रस | परिभाषा | उदाहरण |
वीर |
इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है, उसे ही वीर रस कहते हैं। इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है इसका स्थायी भाव उत्साह होता है। |
बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।। |
रौद्र |
जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव क्रोध होता है। |
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण मे मृत पड़े। करते हुए यह घोषणा, वे हो गए उठकर खड़े।। |
शांत |
शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। इसका स्थायी भाव निर्वेद होता है। |
जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं। |
अद्भुत रस Question 5:
भारती वृत्ति का सम्बन्ध किस रस से है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है - 'अद्भुत' l भारतीवृत्ति का सम्बन्ध अद्भुत रस से है lKey Points
- जहाँ संस्कृत बहुल कथोपकथन हो, उसे भारती वृत्ति कहते हैं।
- भारत ने नाटक की और नाट्य शैली की 4 वृत्ति मानी है, जिसमें भारती वृत्ति सर्वप्रथम आती है l
- अन्य विकल्प :-
- वीर रस - जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
- वीभत्स घृणा के भाव को प्रकट करने वाला रस है।
- हास्य - सरल शब्दों में कहें तो किसी हास्यपूर्ण विशेष आकृति, क्रिया कलाप, बात चीत और वेशभूषा के कारण हमारे मन में जो हंसी का भाव उत्पन्न होता है उसे ही हास्य रस कहते हैं।
Additional Information
- अदभुत रस, भारतीय काव्य शास्त्र के विभिन्न रसों में से एक है, इसका स्थायी भाव आश्चर्य होता है।
- जब किसी जीव के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि का भाव उत्पन्न होता है , उसे अद्भुत रस कहा जाता है।
- इसके अन्दर आँसु आना, रोमांच, गद्गद होना, काँपना, आँखे फाड़कर देखना शामिल हैं।
Top अद्भुत रस MCQ Objective Questions
'विस्मय' किस रस का स्थायी भाव है
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 4 'अद्भुत' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। Key Points
- 'विस्मय' नामक स्थायी भाव 'अद्भुत' रस का है।
- जब व्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होता है उसे ही अदभुत रस कहा जाता है।
- उदाहारण -
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रस कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
केसव कहि न जाय का कहिये।
देखत तब रचना विचित्र अति, समुझि मनहि मन रहिए।- में निम्न में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFकेसव कहि न जाय का कहिये।
देखत तब रचना विचित्र अति, समुझि मनहि मन रहिए।- में 'अद्भुत रस' है।
Hint
- पंक्ति में आए "विचित्र" शब्द से भी पता चल रहा है की यहाँ अद्भुत रस है।
Key Points
- अद्भुत रस: आश्चर्य या विस्मय भाव उत्पन्न होना।
जैसे:
- हे केशव! क्या कहूँ? कुछ कहा नहीं जाता! हे हरे! आपकी यह विचित्र रचना देखकर मन-ही-मन आपकी लीला समझकर रह जाता हूँ।
- कैसी अद्भुत लीला है कि इस संसार-रूपी चित्र को निराकार चित्रकार ने शून्य की दीवार पर बिना रंग के संकल्प से ही बना दिया।
Additional Information
- शृंगार रस : परिभाषा- जब पति-पत्नी / प्रेमी-प्रेमिका / नायक-नायिका के मन में स्थाई भाव रति जागृत होकर आस्वादन के योग्य हो जाता है, तो इसे शृंगार रस कहा जाता है।
अद्भुत रस का स्थायीभाव कौन सा है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFअद्भुत रस का स्थायीभाव विस्मय होता है।
अत: विकल्प 3 सही होगा।
Key Points
- रस:- किसी वाक्य, घटना, काव्य को पढ़कर, सुनकर ह्रदय में जिस आनंद की अनुभूति होती है उसे रस कहते है।
- हिंदी में स्थायी भाव के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं।
- रस के स्थापक:- आचार्य भरतमुनि है।
- अन्य विकल्पों के रस निम्नलिखित है:-
रस | स्थायीभाव |
करूण | शोक |
रोद्र | क्रोध |
शान्त | निर्वेद |
Additional Information
- रस और उनके स्थायीभाव:-
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
10. | वात्सल्य रस | वत्सल्ता(ममता,स्नेह) |
11. | भक्ति रस | भक्ति विषयक प्रेम (भगवान के प्रति भक्त का प्रेम) |
अद्भुत रस का स्थायी भाव है-
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFअध्दुत रस का स्थायी भाव विस्मय है, अन्य विकल्प असंगत है। अत: विकल्प 3 'विस्मय' सही उत्तर होगा।
Key Points
अद्भुत रस (इसका स्थाई भाव आश्चर्य है) |
आश्चर्यजनक वर्णन के द्वारा उत्पन्न विभावों की अवस्था। जैसे – देख यशोदा शिशु के मुख में सकल विश्व की माया। क्षणभर को वह बनी अचेतन हिल न सकी कोमल काया। |
Additional Information
स्थायी भाव |
रस |
क्रोध |
रौद्र रस |
उत्साह |
वीर रस |
भय |
भयानक रस |
Important Points
रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है। काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है। संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।
रस से सबंद्ध स्थायी भावों में इनमें से कौन सा विकल्प गलत है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFरस से सम्बद्ध स्थायी भावों में गलत विकल्प है -अद्भुत - जुगुप्सा ।
- अद्भुत रस का स्थायी भाव आश्चर्य या विस्मय होगा।
- जुगुप्सा स्थायी भाव का रस वीभत्स रस होगा।
Key Pointsरस-
- काव्य को पढने से जिस आनंद की अनुभूति होती है अर्थात जिस अनिवर्चनीय भाव का संचार ह्रदय में होता है, उसी आनंद को रस कहा जाता है।
- रस का विवेचन सर्वप्रथम भरत मुनि ने अपने ग्रन्थ नाट्य शास्त्र में किया था।
- भरत मुनि के अनुसार रसों की संख्या 8 है परन्तु अभिनव गुप्त ने 9 रसों को मान्यता दी है।
- अतः अब रसों की संख्या 9 मानी जाती है, श्रृंगार रस में ही वात्सल्य और भक्ति रस भी शामिल हैं।
Important Pointsस्थायी भाव-
- सहृदय के हृदय में जो भाव स्थायी रूप से निवास करते हैं, स्थायी भाव कहलाते हैं।
- इन्हें अनुकूल या प्रतिकूल किसी प्रकार के भाव दबा नहीं पाते।
- स्थायी भाव नौ हैं। इन्हीं के आधार पर नौ रस माने गए हैं।
- प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव नियत होता है।
Additional Informationरस व उनके स्थायी भाव इस प्रकार है-
रस | स्थायी भाव |
श्रृंगार रस | रति |
करुण रस | शोक |
हास्य रस | हास |
वीर रस | उत्साह |
भयानक रस | भय |
रौद्र रस | क्रोध |
अद्भुत रस | आश्चर्य |
शांत रस | निर्वेद |
वीभत्स रस | जुगुप्सा |
वात्सल्य रस | वत्सल |
भक्ति रस | अनुराग |
अखिल धुन चर-अचर जग हरिमुख में लखि मातु।
चकित भयी, गदगद वचन, विकसित दृग पुलकातु।।
निम्न पंक्तियों में निहित रस है
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFदिऐ गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प (1) अद्भुत रस है। अन्य विकल्प असंगत है अर्थात अनुचित उत्तर है।
Key Points
- रस - अद्भुत ।
- अस्थायी भाव -विस्मय।
- आश्रय - माता यसोदा ।
- आलम्बन -कृष्णा का मुख।
- उद्दीपन -मुख में अखिल भुवनो और चराचर प्राणियों का देखना
Important Points
स्पष्टीकरण :- किसी असाधरण , अलौकिक ,आश्चर्यजनक वस्तु, घटना या व्यक्ति को देखकर ह्रदय में स्थित विस्मय का भाव अद्भुत रस की सृष्टि करता है ।
जैसे -केशव कहिन जाई का कहिये
देखिअत अति विचित्र रचना असि।
समझि- समझि मन रहिए ।।
Additional Information :- प्रस्तुत पंक्तिया 'सेनापति' की है ।
रस | परिभाषा | उदाहरण |
भयानक रस | भय उत्पन्न करने वाली वस्तु अथवा व्यक्ति या ह्रदय को देखने या सुनने से भय की पुष्टि होना ही भयानक रस होता है । | एक ओर अजगर ही लखि,एक ओर मृगराई । विकल्प बटोही बीच में परयो मूर्छा खायी । |
वीभत्स रस | जहाँ पर रुधिर ,मज्जा ,पिक ,हड्डी या अन्य गन्दी याघृणित वस्तुओ को देखने से जिस रस की उत्पति होती है उसे वीभत्स रस कहते है | आंखे निकाल उड़ जाते क्षणभर -उड़कर आ जाते है । शव जीभ खीचकर कौवे चुभला कर खाते । |
वात्सल्य रस | सन्तान के प्रति स्नेह भाव वात्सल्य कहा जाता है। यही वात्सल्य भाव विभावादि के संयोग से वात्सल्य की व्यंजना करता है । | म्मम्म यशोदा हरि पालने झुलावै। हलरावै दुलरावै जोई सोई कछु गावै। |
"अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।।" पंक्ति में कौन-सा रस है?Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर ‘अद्भुत रस’ है।
Key Points
- अद्भुत रस अनुभाव अन्दर आँसू आना, काँपना, आँखे फाड़कर देखना आदि के भाव व्यक्त होते हैं|
- 'अखिल भुवन चर-अचर सब, हरिमुख में लखि मातु। चकित भई गद्गद् वचन, विकसित दृग पुलकातु।' इस काव्य पंक्ति में भगवान श्रीकृष्ण के मुख में सम्पूर्ण विश्व के दर्शन करने के बाद माता यशोदा आश्चर्यचकित रह गयीं।
- स्थायी भाव-विस्मय। आलम्बन श्रीकृष्ण का मुख।
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
भक्ति रस |
भक्ति रस, शान्त रस से भिन्न है। शान्त रस जहाँ निर्वेद या वैराग्य की ओर ले जाता है वहीं भक्ति ईश्वर विषयक रति की ओर ले जाते हैं। भक्ति रस के पाँच भेद हैं- शान्त, प्रीति, प्रेम, वत्सल और मधुर। |
उलट नाम जपत जग जाना वल्मीक भए ब्रह्म समाना |
भयानक रस |
भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है। यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तो वहाँ भयानक रस होता है। |
एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय। विकल बटोही बीच ही, परयों मूरछा खाय। |
वीभत्स रस |
वीभत्स का स्थायी भाव जुगुप्सा है। अत्यंत गंदे और घृणित दृश्य वीभत्स रस की उत्पत्ति करते हैं। गंदी और घृणित वस्तुओं के वर्णन से जब घृणा भाव पुष्ट होता है तब यह रस उत्पन्न होता है। |
हाथ में घाव थे चार थी उनमें मवाद भरमार मक्खी उन पर भिनक रही थी, कुछ पाने को टूट पड़ी थी उसी हाथ से कौर उठाता घृणा से मेरा मन भर जाता। |
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इहाँ उहाँ दुई बालक देखा। मतिभ्रम मोरि किआन विसेखा।
देखिए राम जननी अकुलानी। प्रभु हंसि दीन्ह मधुर मुसकानी। में निम्न में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर (विकल्प 4) 'अद्भुत रस' होगा।
Key Points
- "इहाँ उहाँ दुई बालक देखा। मतिभ्रम मोरि किआन विसेखा।। देखिए राम जननी अकुलानी। प्रभु हंसि दीन्ह मधुर मुसकानी।।" में अद्भुत रस है।
इसका अर्थ-
- (वह सोचने लगी कि) यहाँ और वहाँ मैंने दो बालक देखे। यह मेरी बुद्धि का भ्रम है या और कोई विशेष कारण है? प्रभु राम माता को घबड़ाई हुई देखकर मधुर मुस्कान से हँस दिए। यह विचित्र विविरण अद्भुत रस दर्शाता है।
- इसका स्थायी भाव आश्चर्य होता है जब ब्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होते हैं उसे ही अदभुत रस कहा जाता है।
अन्य विकल्प -
रस |
परिभाषा |
वीर रस |
जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है। |
भयानक रस |
भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है। यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तो वहाँ भयानक रस होता है। |
रौद्र रस |
इसका स्थायी भाव क्रोध होता है जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं। |
Additional Information
शब्द |
परिभाषा |
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
कबीर की उलटबांसियों में कौन-सा रस प्रमुख है ?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFकबीर की उलटबांसियों में अद्भुत रस प्रमुख है।
Key Points
- कबीर की उलटबांसियों में प्रमुख रूप से अद्भुत रस विद्यमान है।
- 'अद्भुत रस' कबीर की उलटबांसियों की विशेषता है क्योंकि इनमें गूढ़ एवं विचित्र भावों को प्रकट किया गया है, जिससे पाठक या श्रोता चमत्कृत हो जाते हैं।
- जब किसी जीव के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि का भाव उत्पन्न होता है, उसे अद्भुत रस कहा जाता है।
- उदाहरण-
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
- चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।।
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
रस | परिभाषा | उदाहरण |
करुण | किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। स्थायी भाव- शोक |
करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा। |
वीभत्स | घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। स्थायी भाव- निर्वेद |
जहँ - तहँ मज्जा माँस रुचिर लखि परत बगारे। जित - जित छिटके हाड़, सेत कहुं -कहुं रतनारे।। |
शांत |
शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। स्थायी भाव- निर्वेद
|
चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय। दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय।। |
देखरावा मातहि निज अदभुत रुप अखण्ड।
रोम-रोम प्रति लगे कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड।।
इन पंक्तियों में निम्न में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3 ‘अद्भुत रस’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
- 'देखरावा मातहि निज अदभुत रुप अखण्ड। रोम-रोम प्रति लगे कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड।' इस काव्य पंक्ति में अद्भुत रस है।
- अद्भुत रस का स्थायी भाव विस्मय होता है।
- काव्य पंक्ति में बालरूप श्री राम के अखंड अद्भुत रूप को देखकर माता विस्मय से भर गई।
- जब व्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होता है उसे ही अदभुत रस कहा जाता है।
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
करुण रस |
किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। |
करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा। |
वीर रस |
अत्यन्त कठिन कार्य करने के उत्साह से रस की उत्पत्ति होती है। वीर रस के चार प्रकार हैं - युद्धवीर, दानवीर, दयावीर और धर्रमवीर। |
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। |
शांत रस |
शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। |
चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय। दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
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रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |