गद्यांश MCQ Quiz - Objective Question with Answer for गद्यांश - Download Free PDF

Last updated on Jul 3, 2025

Latest गद्यांश MCQ Objective Questions

गद्यांश Question 1:

Comprehension:

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नो के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए :

संसार के अनेक महान् पुरुष मित्रों की बदौलत बड़े-बड़े कार्य करने में समर्थ हुए हैं। मित्रों ने उनके हृदय के उच्च भावों को सहारा दिया है। मित्रों ही के दृष्टान्तों को देख देखकर उन्होंने अपने हृदय को दृढ़ किया है। अहा ! मित्रों ने कितने मनुष्यों के जीवन को साधु और श्रेष्ठ बनाया है, उन्हें मूर्खता और कुमार्ग के गड्ढों से निकालकर सात्विकता के पवित्र शिखर पर पहुँचाया है। मित्र उन्हें सुन्दर मन्त्रणा और सहारा देने के लिए सदा उद्यत रहते हैं, जिनके सुख और सौभाग्य की चिन्ता वे निरन्तर करते रहते हैं। ऐसे भी मित्र होते हैं जो विवेक को जाग्रत करना और कर्त्तव्य बुद्धि को उत्तेजित करना जानते हैं। ऐसे भी मित्र होते हैं जो टूटे जी को जोड़ना और लड़खड़ाते पाँवों को ठहराना जानते हैं। बहुतेरे मित्र हैं जो ऐसे दृढ़ आशय और उद्देश्य की स्थापना करते हैं जिनसे कर्मक्षेत्र में आप भी श्रेष्ठ बनते हैं और दूसरों को भी श्रेष्ठ बनाते हैं। मित्रता जीवन और मरण के मार्ग में सहारे के लिए है । यह सैरसपाटे और अच्छे दिनों के लिए भी है तथा संकट और विपत्ति के बुरे दिनों के लिए भी है। यह हँसी-दिल्लगी के गुलछरों में भी साथ देती है और धर्म के मार्ग में भी। मित्रों को एक-दूसरे के जीवन के कर्तव्यों को उन्नत करके उन्हें साहस, बुद्धि और एकता द्वारा चमकाना चाहिए। हमें अपने मित्र से कहना चाहिए- 'मित्र ! अपना हाथ बढ़ाओ। यह जीवन और मरण में हमारा सहारा होगा। तुम्हारे द्वारा मेरी भलाई होगी पर यह नहीं कि सारा ऋण मेरे ही ऊपर रहे, तुम्हारा भी उपकार होगा, जो कुछ तुम करोगे उससे तुम्हारा भी भला होगा।'

संसार के अनेक महापुरुष बड़े-बड़े कार्य करने में किसकी बदौलत सफल हुए हैं ?

  1. पड़ोसियों के।
  2. परिवार के।
  3. समाज के।
  4. मित्रों के।
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : मित्रों के।

गद्यांश Question 1 Detailed Solution

संसार के अनेक महापुरुष बड़े-बड़े कार्य करने में मित्रों के बदौलत सफल हुए हैं।

  • गद्यांश के अनुसार:-
    • संसार के अनेक महान् पुरुष मित्रों की बदौलत बड़े-बड़े कार्य करने में समर्थ हुए हैं। मित्रों ने उनके हृदय के उच्च भावों को सहारा दिया है। 

Key Points

  •  मित्र - सखा, सहचर, स्नेही, स्वजन, सुहृदय, साथी, दोस्त। 

Additional Informationपरिवार:- 

  • अर्थ: कुटुंब, कुल, कुनबा, खानदान, घराना। 

समाज:-

  • अर्थ: समूह, गोष्ठी, समुदाय, मंडली, सभा, समष्टि, सोसाइटी

पड़ोसी:-

  • अर्थ: हमसाया, प्रतिवासी, प्रतिवेशी।

गद्यांश Question 2:

Comprehension:

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नो के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए :

संसार के अनेक महान् पुरुष मित्रों की बदौलत बड़े-बड़े कार्य करने में समर्थ हुए हैं। मित्रों ने उनके हृदय के उच्च भावों को सहारा दिया है। मित्रों ही के दृष्टान्तों को देख देखकर उन्होंने अपने हृदय को दृढ़ किया है। अहा ! मित्रों ने कितने मनुष्यों के जीवन को साधु और श्रेष्ठ बनाया है, उन्हें मूर्खता और कुमार्ग के गड्ढों से निकालकर सात्विकता के पवित्र शिखर पर पहुँचाया है। मित्र उन्हें सुन्दर मन्त्रणा और सहारा देने के लिए सदा उद्यत रहते हैं, जिनके सुख और सौभाग्य की चिन्ता वे निरन्तर करते रहते हैं। ऐसे भी मित्र होते हैं जो विवेक को जाग्रत करना और कर्त्तव्य बुद्धि को उत्तेजित करना जानते हैं। ऐसे भी मित्र होते हैं जो टूटे जी को जोड़ना और लड़खड़ाते पाँवों को ठहराना जानते हैं। बहुतेरे मित्र हैं जो ऐसे दृढ़ आशय और उद्देश्य की स्थापना करते हैं जिनसे कर्मक्षेत्र में आप भी श्रेष्ठ बनते हैं और दूसरों को भी श्रेष्ठ बनाते हैं। मित्रता जीवन और मरण के मार्ग में सहारे के लिए है । यह सैरसपाटे और अच्छे दिनों के लिए भी है तथा संकट और विपत्ति के बुरे दिनों के लिए भी है। यह हँसी-दिल्लगी के गुलछरों में भी साथ देती है और धर्म के मार्ग में भी। मित्रों को एक-दूसरे के जीवन के कर्तव्यों को उन्नत करके उन्हें साहस, बुद्धि और एकता द्वारा चमकाना चाहिए। हमें अपने मित्र से कहना चाहिए- 'मित्र ! अपना हाथ बढ़ाओ। यह जीवन और मरण में हमारा सहारा होगा। तुम्हारे द्वारा मेरी भलाई होगी पर यह नहीं कि सारा ऋण मेरे ही ऊपर रहे, तुम्हारा भी उपकार होगा, जो कुछ तुम करोगे उससे तुम्हारा भी भला होगा।'

कर्मक्षेत्र में श्रेष्ठ बनाने के लिए अच्छे मित्र क्या करते हैं ?

  1. तरह-तरह से जी बहलाना।
  2. दृढ़ आशय और उद्देश्य की स्थापना।
  3. कर्म करने के लिए प्रेरित करना।
  4. माता-पिता का आदर करने की शिक्षा देना।
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : दृढ़ आशय और उद्देश्य की स्थापना।

गद्यांश Question 2 Detailed Solution

कर्मक्षेत्र में श्रेष्ठ बनाने के लिए अच्छे मित्र दृढ़ आशय और उद्देश्य की स्थापना करते हैं।

  • गद्यांश के अनुसार:-
    •  बहुतेरे मित्र हैं जो ऐसे दृढ़ आशय और उद्देश्य की स्थापना करते हैं जिनसे कर्मक्षेत्र में आप भी श्रेष्ठ बनते हैं और दूसरों को भी श्रेष्ठ बनाते हैं।

Key Points

  • दृढ़ - पुष्ट, मजबूत, कड़ा, शक्तिशाली, स्थायी, अटल, निडर, निर्भय, दृष्टि, विचार, सिद्ध।
    • विलोम शब्द - 'अदृढ़'

Additional Informationप्रेरित:- 

  • प्रोत्साहित, जोश में, उद्दीपित, उत्तेजित , उत्साहित।

आदर:-

  • अर्थ: मान, कद्र, सम्मान, इज़्ज़त, सत्कार, एहतराम।
    • विलोम शब्द  - 'निरादर'

गद्यांश Question 3:

Comprehension:

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नो के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए :

संसार के अनेक महान् पुरुष मित्रों की बदौलत बड़े-बड़े कार्य करने में समर्थ हुए हैं। मित्रों ने उनके हृदय के उच्च भावों को सहारा दिया है। मित्रों ही के दृष्टान्तों को देख देखकर उन्होंने अपने हृदय को दृढ़ किया है। अहा ! मित्रों ने कितने मनुष्यों के जीवन को साधु और श्रेष्ठ बनाया है, उन्हें मूर्खता और कुमार्ग के गड्ढों से निकालकर सात्विकता के पवित्र शिखर पर पहुँचाया है। मित्र उन्हें सुन्दर मन्त्रणा और सहारा देने के लिए सदा उद्यत रहते हैं, जिनके सुख और सौभाग्य की चिन्ता वे निरन्तर करते रहते हैं। ऐसे भी मित्र होते हैं जो विवेक को जाग्रत करना और कर्त्तव्य बुद्धि को उत्तेजित करना जानते हैं। ऐसे भी मित्र होते हैं जो टूटे जी को जोड़ना और लड़खड़ाते पाँवों को ठहराना जानते हैं। बहुतेरे मित्र हैं जो ऐसे दृढ़ आशय और उद्देश्य की स्थापना करते हैं जिनसे कर्मक्षेत्र में आप भी श्रेष्ठ बनते हैं और दूसरों को भी श्रेष्ठ बनाते हैं। मित्रता जीवन और मरण के मार्ग में सहारे के लिए है । यह सैरसपाटे और अच्छे दिनों के लिए भी है तथा संकट और विपत्ति के बुरे दिनों के लिए भी है। यह हँसी-दिल्लगी के गुलछरों में भी साथ देती है और धर्म के मार्ग में भी। मित्रों को एक-दूसरे के जीवन के कर्तव्यों को उन्नत करके उन्हें साहस, बुद्धि और एकता द्वारा चमकाना चाहिए। हमें अपने मित्र से कहना चाहिए- 'मित्र ! अपना हाथ बढ़ाओ। यह जीवन और मरण में हमारा सहारा होगा। तुम्हारे द्वारा मेरी भलाई होगी पर यह नहीं कि सारा ऋण मेरे ही ऊपर रहे, तुम्हारा भी उपकार होगा, जो कुछ तुम करोगे उससे तुम्हारा भी भला होगा।'

अच्छे मित्र मित्रों की किन चीजों की चिन्ता करते हैं ?

  1. आर्थिक उपार्जन की।
  2. जीवन में अनेक साधन जुटाने की।
  3. सुख और सौभाग्य की।
  4. सामाजिक उन्नति की।
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : सुख और सौभाग्य की।

गद्यांश Question 3 Detailed Solution

अच्छे मित्र मित्रों की सुख और सौभाग्य की चिन्ता करते हैं। 

  • गद्यांश के अनुसार:-
    • मित्र उन्हें सुन्दर मन्त्रणा और सहारा देने के लिए सदा उद्यत रहते हैं, जिनके सुख और सौभाग्य की चिन्ता वे निरन्तर करते रहते हैं।

Key Points

  • सुख - चैन, अमन, चैन, शांति, अमन, सुकून।
    • विलोम शब्द - 'दुःख'
  • सौभाग्य - सुंदर या अच्छा भाग्य, ख़ुशकिस्मती। 
    • विलोम शब्द - 'दुर्भाग्य'

Additional Informationआर्थिक:- 

  • अर्थ: अर्थ संबंधी, रुपये-पैसे का।

उपार्जन:-

  • अर्थ: परिश्रम और प्रयत्न से संग्रह अथवा अर्जन; कमाना; हासिल करना, पैदा करना।

सामाजिक:-

  • अर्थ: समाज से संबंध रखने वाला, समाज संबंधी, (सोशल)।
    • विलोम शब्द - 'सामाजिक'

उन्नति:-

  • अर्थ: प्रगति, तरक्की, विकास, उत्थान, बढ़ती, अभिवृद्धि।
    • विलोम शब्द - 'अवनति'

गद्यांश Question 4:

Comprehension:

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नो के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए :

संसार के अनेक महान् पुरुष मित्रों की बदौलत बड़े-बड़े कार्य करने में समर्थ हुए हैं। मित्रों ने उनके हृदय के उच्च भावों को सहारा दिया है। मित्रों ही के दृष्टान्तों को देख देखकर उन्होंने अपने हृदय को दृढ़ किया है। अहा ! मित्रों ने कितने मनुष्यों के जीवन को साधु और श्रेष्ठ बनाया है, उन्हें मूर्खता और कुमार्ग के गड्ढों से निकालकर सात्विकता के पवित्र शिखर पर पहुँचाया है। मित्र उन्हें सुन्दर मन्त्रणा और सहारा देने के लिए सदा उद्यत रहते हैं, जिनके सुख और सौभाग्य की चिन्ता वे निरन्तर करते रहते हैं। ऐसे भी मित्र होते हैं जो विवेक को जाग्रत करना और कर्त्तव्य बुद्धि को उत्तेजित करना जानते हैं। ऐसे भी मित्र होते हैं जो टूटे जी को जोड़ना और लड़खड़ाते पाँवों को ठहराना जानते हैं। बहुतेरे मित्र हैं जो ऐसे दृढ़ आशय और उद्देश्य की स्थापना करते हैं जिनसे कर्मक्षेत्र में आप भी श्रेष्ठ बनते हैं और दूसरों को भी श्रेष्ठ बनाते हैं। मित्रता जीवन और मरण के मार्ग में सहारे के लिए है । यह सैरसपाटे और अच्छे दिनों के लिए भी है तथा संकट और विपत्ति के बुरे दिनों के लिए भी है। यह हँसी-दिल्लगी के गुलछरों में भी साथ देती है और धर्म के मार्ग में भी। मित्रों को एक-दूसरे के जीवन के कर्तव्यों को उन्नत करके उन्हें साहस, बुद्धि और एकता द्वारा चमकाना चाहिए। हमें अपने मित्र से कहना चाहिए- 'मित्र ! अपना हाथ बढ़ाओ। यह जीवन और मरण में हमारा सहारा होगा। तुम्हारे द्वारा मेरी भलाई होगी पर यह नहीं कि सारा ऋण मेरे ही ऊपर रहे, तुम्हारा भी उपकार होगा, जो कुछ तुम करोगे उससे तुम्हारा भी भला होगा।'

जीवन में उन्नति के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता है

  1. आसरा, संकोच और परदुखकातरता
  2. छल कपट, दुर्व्यवहार और डर
  3. साहस, बुद्धि और एकता
  4. चालाकी, धूर्तता और फरेब
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : साहस, बुद्धि और एकता

गद्यांश Question 4 Detailed Solution

जीवन में उन्नति के लिए साहस, बुद्धि और एकता की आवश्यकता है।

  • गद्यांश के अनुसार:-
    • मित्रों को एक-दूसरे के जीवन के कर्तव्यों को उन्नत करके उन्हें साहस, बुद्धि और एकता द्वारा चमकाना चाहिए।

Key Points

  • साहस - हिम्मत, हौसला, जीवट, निर्भयता, बहादुरी।
    • विलोम शब्द - 'भय या निस्साहस'
  • एकता - मेल, मेलजोल, मेलमिलाप, संगठन, संघ, समानता।
    • विलोम शब्द - 'अनेकता'

Additional Informationआसरा:- 

  • अर्थ: उम्मीद, आस, आशा, अवलंब, शरण, सहायक, आश्रय, आधार।

संकोच:-

  • अर्थ: जो विकसित या प्रफुल्लित न हो, अप्रफुल्लित, लज्जित, शर्मिंदा। 
    • विलोम शब्द - 'असंकोच, निःसंकोच'

परदुखकातरता:-

  • अर्थ: दूसरे के दुख से दुखी होने वाला।

दुर्व्यवहार:-

  • अर्थ: बुरा बर्ताव, अनुचित व्यवहार।
    • विलोम शब्द - 'सद्व्यवहार'

चालाकी:-

  • अर्थ: कुशलता, होशियारी, दक्षता,  प्रवीणता, चतुरा, धूर्तता, फरेब।
    • विलोम शब्द - 'बुद्धू'

गद्यांश Question 5:

Comprehension:

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्पों का चयन कीजिए :

विवेकशीलता का अर्थ है सही और गलत की पहचान कर पाना और फिर सही के समर्थन में गलत का विरोध करना । यही है वह पक्षधरता जो मनुष्य को जागरूक बनाती है। हमारी त्रासदी यह है कि दृष्टा भाव से जीने को हम एक दार्शनिक और आध्यात्मिक अर्थ देकर अनायास अपना बचाव कर लेते हैं। दृष्टा भाव से जीने का कुछ भी ऊँचा अर्थ होता हो, सही के पक्ष में खड़े होने की आवश्यकता और महत्ता उससे कम नहीं होती। आज सवाल मनुष्यता के अस्तित्व का है, मनुष्यता अर्थात् वह भावना जो मानवीय आदर्शों से हमें जोड़ती है, जो यह अहसास कराती है कि मनुष्य होने के नाते हमारा यह कर्त्तव्य बनता है कि हम उचित के पक्ष में खड़े हों। अपने भीतर वह साहस पैदा करें जो अनुचित के विरुद्ध खड़े होने की प्रेरणा बनता है। 'कोउ नृप होहि हमहीं का हानी' वाला मंथरा-दर्शन कुल मिलाकर हमें सजीव मनुष्य से निर्जीव वस्तु में ही परिणत करता है। अपने आप को निर्जीव वस्तु के रूप में देखना मनुष्य के लिए असंभव की हद तक मुश्किल है। लेकिन जब हम यह भूल जाते हैं कि सही-गलत को पहचान करके सही के साथ खड़े होना हमारी मनुष्यता का प्रमाण है, तो हमारे सजीव और सजग होने का अर्थ ही क्या रह जाता है ? सवाल मनुष्योचित सजगता को जीवित रखने का है। कहीं भी, किसी भी तरह से यदि कुछ गलत हो रहा है तो इस सजगता का तकाज़ा है कि हम अपना विरोध दर्ज कराएँ - स्वयं अपनी दृष्टि में मनुष्य बने रहने के लिए। यही है तटस्थता की विरुद्धता का दर्शन और यही हमारे मनुष्य होने का प्रमाण भी है।

लेखक को मंथरा-दर्शन क्यों अच्छा नहीं लगता ?

  1. स्वार्थ प्रेरित
  2. कायरतापूर्ण
  3. संवेदनहीन
  4. निर्जीव बनाता है ।
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : स्वार्थ प्रेरित

गद्यांश Question 5 Detailed Solution

लेखक को मंथरा-दर्शन स्वार्थ प्रेरित अच्छा नहीं लगता

  •  गद्यांश के अनुसार:-
    • मंथरा-दर्शन कुल मिलाकर हमें सजीव मनुष्य से निर्जीव वस्तु में ही परिणत करता है। अर्थात मंथरा-दर्शन स्वार्थ प्रेरित अच्छा नहीं लगता

Key Points

  •  स्वार्थ- मतलब, लाभ, गरज़, प्रयोजन, ढंग
    • विलोम शब्द - 'निस्वार्थ'
  • प्रेरित -  प्रोत्साहित , जोश में , उद्दीपित, उत्तेजित , उत्साहित 

Additional Informationकायरतापूर्ण:-

  • अर्थ: बुजदिल, कापुरुष, डरपोक, ना समझ, अशक्ति।

संवेदनहीन:-

  • अर्थ:  जिसमें संवेदना न हो, निर्मम, क्रूर।
    • विलोम शब्द - 'संवेदनशील' 

निर्जीव:-

  • अर्थ:  जिसमें प्राण या जान न हो, बेजान
    •  ​विलोम शब्द - 'सजीव'

Top गद्यांश MCQ Objective Questions

Comprehension:

निर्देशः गद्यांश  को पढ़कर पूछे गये प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहो से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी - तो गाय खरीद कर लाए। गाय के  साज-सभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कही से कही चला गया। भौतिक आकाक्षांओ का जाल-जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नही बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनो का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

परमार्थ- रेखाकित शब्द का विलोम बताइए।

  1. दुष्ट
  2. स्वार्थ
  3. क्रोधी
  4. लालची

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : स्वार्थ

गद्यांश Question 6 Detailed Solution

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दिए गए विकल्प में विकल्प 2 "स्वार्थ" सही है। अन्य विकल्प दिए गए शब्द के विलोम नहीं हैं इसलिए अन्य विकल्प गलत हैं। 

Key Points

स्पष्टीकरण :

  • परमार्थ होता है निस्वार्थ भाव से किया गया काम और विलोम शब्द का अर्थ होता है विपरीत तो निस्वार्थ का विपरीत होगा स्वार्थ इसलिए विकल्प 2 सही है। 
  • परमार्थ का विलोम शब्द - स्वार्थ
  • परमार्थ के सभी पर्यायवाची शब्द: उपकार, भलाई, परोपकार, मोक्ष, निर्वाण।

Additional Information

  • जिन शब्दों का अर्थ विपरीत यानि की उल्टा होता हैं। उन्हें विलोम शब्द कहा जाता है।
  • जैसे:
    • दिन का विपरीत रात 
    • बड़ा का विपरीत छोटा 
  • अगर दो शब्दों के अर्थ समान होते है तो वह समानार्थी शब्द होते हैं। 
  • आसान शब्द में दुसरे नाम को समानार्थी कहते हैं। 
  • जैसे:
    • कमल - जलज, पंकज, अम्बुज, सरोज, राजीव, पद्म. 
    • कली - कलिका, मुकुल, कुडमल। 

Comprehension:

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

भारत के इतिहास में अमरत्व प्राप्ति के अधिकारी लौह-पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को कौन नहीं जानता? 31 अक्टूबर, 1875 में गुजरात के नाडियाद गाँव में एक किसान परिवार में उनका जन्म हुआ था। पाठशाला का अभ्यास करने में काफी समय लगा था। 36 साल की उम्र में वकालत पढ़ने के लिए वे इंगलैंड गए। उन्होंने 36 महीने का कोर्स 30 महीनों में पूरा किया। 1917 में वे गांधीजी के संपर्क में आए। ब्रिटिश राज्य के खिलाफ अहिंसक आंदोलन के जरिये बारदोली, बलसाड, खेड़ा आदि के किसानों को एकत्र किया। उनके इस आंदोलन ने उन्हें प्रसिद्धि एवं प्रतिष्ठा दिलाई। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस ने प्रमुख स्थान दिया। लोगों ने उन्हें सरदार की उपाधि दी। आजादी के बाद छोटी-छोटी रियायतों को एक करने का कार्य किया। 15 अगस्त, 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर सभी रियायतें भारत संघ में सम्मिलित हो गई थीं। गृहमंत्री बनने के बाद लगभग छः सौ रियायतों को भारत संघ में सम्मिलित किया। हैदराबाद के नवाब ने विरोध किया तो वहाँ सेना भेजकर निजाम को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया। 15 दिसम्बर, 1950 को जगमगता वह सितारा, हमें अंधकार में छोड़कर चला गया। सन् 1991 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया। स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभभाई की जीवनी सदैव प्रेरणादायी है।

वकालत शब्द को व्याकरणिक दृष्टि से पहचानिए -

  1. विशेषण
  2. व्यक्तिवाचक संज्ञा
  3. जातिवाचक संज्ञा
  4. भाववाचक संज्ञा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भाववाचक संज्ञा

गद्यांश Question 7 Detailed Solution

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सही उत्तर है - "भाववाचक संज्ञा" lKey Points

  • व्याकरण की दृष्टि से वकालत शब्द एक भाववाचक संज्ञा है l
    • वकील का भाववाचक संज्ञा वकालत है।
  • यहाँ पर वकालत शब्द से किसी भाव, अवस्था, गुण, दोष, दशा आदि का पता चल रहा है, अतः वकालत शब्द भाववाचक संज्ञा है।
  • भाववाचक संज्ञा की परिभाषा :-
    • जिन संज्ञा शब्दों से पदार्थों की अवस्था, गुण, दोष, धर्म, दशा, आदि का बोध हो वह भाववाचक संज्ञा कहलाता है।

अन्य विकल्पों का विश्लेषण:-

  • विशेषण -
    • संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं।
  • व्यक्तिवाचक संज्ञा -
    • जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान अथवा वस्तु के नाम का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
  • जातिवाचक संज्ञा -
    • जिस शब्द से किसी प्राणी या वस्तु की समस्त जाति का बोध होता है,उन शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
  • यह तीनों विकल्प अनुचित उत्तर है, क्योंकि वकालत इनमें से किसी का भी उदाहरण नहीं है l

Additional Information

  • भाववाचक संज्ञा के उदाहरण:-
    • बंद कमरे में बैठने से मुझे बेचैनी हो जाती है।
    • लता मंगेशकर की आवाज में दैवीय मधुरता है।
  • विशेषण के उदाहरण:-
    • बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।
  • व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण:-
    • जयपुर, दिल्ली, भारत, रामायण, अमेरिका, राम इत्यादि।
  • जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण:-
    • घोड़ा, फूल, मनुष्य,वृक्ष इत्यादि।

Comprehension:

नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा गद्यांश पर आधारित प्रश्नों का उत्तर बताइए:

मनुष्य के जीवन में स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता दोनों का वास्तविक अर्थ एक ही माना जाता है। स्वावलंबन का अर्थ है आश्रय या सहारा बनना और आत्मनिर्भरता का अर्थ है किसी दूसरे का बोझ न बनकर या किसी पर निर्भर न होकर अपने – आप पर निर्भर  रहना। इस तरह दोनों शब्द परावलंबन या पराश्रिता त्यागकर सब प्रकार के दु:ख– कष्ट सहकर भी अपने पैरों पर खड़े रहने की शिक्षा और प्रेरणा देने वाले शब्द हैं। मानव जगत में दूसरों पर आश्रित होना एक प्रकार का पाप, व्यक्ति के अंत:  व्यक्तित्व को हीन या तुच्छ बना देने वाला हुआ करता है। पराश्रित अवस्था में व्यक्ति आश्रयदाता के अधीन बन कर रह जाता है। इशारों पर नाचने वाली कठपुतली बन कर रह जाता है। उसमे पवित्र बाध्यता और विवशता ही दिखाई देती है। तनिक-सी अभिलाषा के लिए भी दूसरों का मुहॅ ताकना पड़ता है। मन मार कर जीवन व्यतीत करना पड़ता है। इसलिए स्वाधीनता एवं स्वावलंबन को स्वर्ग का द्वार पुण्य-कार्यो का परिणाम और सर्वोच्च कार्य स्वीकार किया गया है।

इस गद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए।

  1. स्वावलंबन या परावलंबन
  2. स्वावलंनी जीवन
  3. स्वावलंबन: स्वर्ग का द्वार
  4. संसार में परावलंबन

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : स्वावलंबन: स्वर्ग का द्वार

गद्यांश Question 8 Detailed Solution

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स्वावलंबन: स्वर्ग का द्वार, यहाँ सही विकल्प है। अन्य विकल्प असंगत है। 

  • प्रस्तुत गद्यांश में स्वावलंबन के महत्व के बारे में बताया गया है।धीनता एवं स्वावलंबन को स्वर्ग का द्वार पुण्य-कार्यो का परिणाम और सर्वोच्च स्वीकार किया गया है।

          अत: सही विकल्प 3 स्वावलंबन: स्वर्ग का द्वार है ।

Comprehension:

निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश के बाद प्रश्न दिये गये हैं। इस गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़े और चार विकल्पों में से प्रत्येक प्रश्न का सर्वोत्तम उत्तर चुनें।

अवध की संस्कृति में सुसज्जित घोड़ा परिवहन का साधन और शान का प्रतीक था। मुख्य रूप से तीन प्रकार के ताँगे और इक्के मिलते हैं - बग्गी, फिटन और टमटम। बग्गी बंद डिब्बे की होती है, जिन्हें नवाबों द्वारा यात्रा में वरीयता दी जाती थी। किन्तु ताँगे व इक्के का शाब्दिक अर्थ अधिक अश्व शक्ति की और इंगित करता है। इक्के में एक घोडा होता है जबकि बग्गी या ताँगे में दो, चार या अधिक घोड़े होते हैं। यह वास्तव में इस्तेमाल करने वाले की सामाजिक प्रतिष्ठा पर निर्भर करता है। 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19वीं सदी के प्रारम्भ में अवध के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक माहौल में बदलाव आया। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों मे हल्के वाहनों का निर्माण और इस्तेमाल होने लगा, जिसमें कम से कम अश्व शक्ति लगे। सामान्य बोलचाल में इक्के का अर्थ है इक या एक यानि एक व्यक्ति के इस्तेमाल के लिए। इसके अतिरिक्त ताँगा एक परिवार वाहन था।‍ किन्तु, किफायत की मजबूरी को देखते हुए इक्के में अधिक संख्या में यात्री बैठाने पड़े। ताँगा अपेक्षाकृत भारी और बड़ा वाहन है, जिसमें पैरों के लिए अधिक जगह होती है और चार से छह वयस्क पीछे कमर लगाकर बैठ सकते हैं। हर साल इन ताँगो और इक्कों की दौड़ लखनऊ में होती है। जँगी घोड़े इस दौरान सबके लिए आर्कषण का केन्द्र-बिन्दु होते हैं। घोड़े के खूरों का भी श्रृंगार किया जाता है। पुरानी पैरों की सुंदरता बढ़ाने के लिए कशीदाकारी युक्त वस्त्र पैरों में डाले जाते हैं और पीतल या चाँदी के घुंघरू बाँधे जाते हैं।

ताँगे और इक्के के कितने प्रकार है?

  1. चार
  2. दो
  3. तीन
  4. पाँच

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : तीन

गद्यांश Question 9 Detailed Solution

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ताँगे और इक्के के तीन प्रकार है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही उत्तर विकल्प 3 तीन होगा।

Key Points

अवध की संस्कृति में सुसज्जित घोडा परिवहन का साधन और शान का प्रतीक था | मुख्य रूप से तीन प्रकार के ताँगे और इक्के मिलते हैं - बग्गी, फिटन और टमटम | 

 

Comprehension:

निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए:

स्वामी विवेकानन्द जी एक ऐसे संत थे जिनका रोम-रोम राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत था। उनके सारे चिन्तन का केन्द्रबिन्दु राष्ट्र था। अपने राष्ट्र की प्रगति एवं उत्थान के लिए जितना चिन्तन एवं कर्म इस तेजस्वी संन्यासी ने किया उतना पूर्ण समर्पित राजनीतिज्ञों ने भी सम्भवत: नहीं किया। अन्तर यह है कि इन्होंने सीधे राजनीतिक धारा में भाग नहीं लिया किन्तु इनके कर्म एवं चिन्तन की प्रेरणा से हज़ारों ऐसे कार्यकर्त्ता तैयार हुए जिन्होंने राष्ट्र-रथ को आगे बढ़ाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

इन्होंने निजी मुक्ति को जीवन का लक्ष्य नहीं बनाया था बल्कि करोड़ों देशवासियों के उत्थान को ही अपना जीवन-लक्ष्य बनाया। राष्ट्र के दीन-हीन जनों की सेवा को ही वे ईश्वर की सच्ची पूजा मानते थे सत्य की अनवरत खोज उन्हें दक्षिणेश्वर के संत श्री रामकृष्ण परमहंस तक ले गई और परमहंस ही वह सच्चे गुरु सिद्ध हुए जिनका सान्रिध्य पाकर इनकी ज्ञान-पिपासा शांत हुई। उनतालीस वर्ष के संक्षिप्त जीवनकाल में स्वामी जी जो कार्य कर गए वे आने वाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।

तीस वर्ष की आयु में इन्होंने शिकागो, अमेरिका के विश्व धर्म-सम्मेलन में हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और इसे सार्वभौमिक पहचान दिलवायी। तीन वर्ष तक वे अमेरिका में रहे और वहाँ के लोगों को भारतीय तत्त्व-ज्ञान की अदभुति ज्योति प्रदान की। “अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा” यह स्वामी जी का दृढ़ विश्वास था।

वे केवल संत ही नहीं, एक महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक और मानव-प्रेमी भी थे। अमेरिका से लौटकर उन्होंने आज़ादी की लड़ाई में योगदान देने के लिए देशवासियों का आह्वान किया और जनता ने स्वामी जी की पुकार का उत्तर दिया। गाँधी जी को आज़ादी की लड़ाई में जो जन-समर्थन मिला था, वह स्वामी जी के आह्वान का ही फल था। उन्नीसवीं सदी के आख़िरी दौर में वे लगभग सशक्त क्रांति के जरिए भी देश को आज़ाद कराना चाहते थे। परन्तु उन्हें जल्द ही यह विश्वास हो गया था कि परिस्थितियाँ उन इरादों के लिए अभी परिपक्व नहीं हैं। इसके बाद ही उन्होंने एक परिब्राजक के रूप में भारत और दुनिया को खंगाल डाला।

स्वामी जी इस बात से आश्वस्त थे कि धरती की गोद में यदि कोई ऐसा देश है जिसने मनुष्य की हर तरह की बेहतरी के लिए ईमानदार कोशिशें की है, तो वह भारत ही है। उनकी दृष्टि में हिन्दू धर्म के सर्वश्रेष्ठ चिन्तकों के विचारों का निचोड़ पूरी दुनिया के लिए अब भी आश्चर्य का विषय है। स्वामी जी ने संकेत दिया था कि विदेशों में भौतिक समृद्धि तो है और उसकी भारत को ज़रूरत भी है लेकिन हमें याचक नहीं बनना चाहिए। हमारे पास उससे ज़्यादा बहुत कुछ है जो हम पश्चिम को दे सकते हैं और पश्चिम को उसकी बेसाख़्ता ज़रूरत है।

राष्ट्रभक्ति में कौन सा समास प्रयुक्त है?

  1. कर्म तत्पुरुष
  2. करण तत्पुरुष
  3. अपादान तत्पुरुष
  4. सम्बन्ध तत्पुरुष

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : सम्बन्ध तत्पुरुष

गद्यांश Question 10 Detailed Solution

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  • ‘राष्ट्रभक्ति’ का सामासिक विग्रह करने पर ‘राष्ट्र की भक्ति’ अथवा 'राष्ट्र के लिए भक्ति' होगा।
  • यहाँ ‘की’ कारक चिन्ह का प्रयोग हुआ है। इस आधार पर ‘सम्बन्ध कारक’ होगा क्योंकि ‘सम्बन्ध कारक’ का कारक चिन्ह ‘का, के, की’ होता है। अतः सही विकल्प सम्बन्ध तत्पुरुष है।
  • क्योंकि यहाँ राष्ट्र से भक्ति का सम्बन्ध बताया जा रहा है।

Additional Information

अन्य विकल्प

कर्म तत्पुरुष अर्थात यह समास को चिन्ह के लोप से बनता है।

करण तत्पुरुष अर्थात यह समास दो कारक चिन्हों से और के द्वारा के लोप से बनता है।

अपादान तत्पुरुष अर्थात इस समास में कारक चिन्ह ‘से अलग होना का लोप हो जाता है।

Comprehension:

निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें।

सच्चे वीर अपने प्रेम के जोर से लोगों को सदा के लिए बाँध देते हैं। वीरता की अभिव्यक्ति कई प्रकार से होती है, कभी लड़ने-मरने से, खून बहाने से, तोप तलवार के सामने बलिदान करने से होती है, तो कभी जीवन के गूढ़ तत्व और सत्य की तलाश में बुद्ध जैसे राजा विरक्‍त होकर वीर हो जाते हैं, और सारे संसार में शांति व समृद्धि फैलाते हैं। वीरता एक प्रकार की अंतः प्रेरणा है, जब कभी उसका विकास हुआ तभी एक रौनक, एक रंग, एक बहार संसार में छा गई। वीरता हमेशा निराली और नई होती है। वीरों को बनाने के कारखाने नहीं होते हैं। जिसमें सौदेबाजी की जा सके। लाभ-व-हानि देखा जा सके। वे तो देवदार के वृक्ष की भाँति जीवन रूपी वन में स्वंय पैदा होते हैं और बिना किसी के पानी दिए, बिना किसी के दूध पिलाये बढ़ते हैं। 'जीवन के केन्द्र में निवास करो और सत्य की चट्टान पर दृढ़ता से खड़े हो जाओ। बाहर की सतह छोड़कर जीवन के अंदर की तहों में पहुँचे तब नए रंग खिलेंगे।

यही वीरता का संदेश

वीरों के देवदार वृक्ष से तुलना की गई है, क्योंकि दोनोंः

  1. खाना-पीना मिलने पर ही बढ़ते हैं
  2. दोनों का दिल उदार होता है
  3. सत्य का हमेशा पालन करते है
  4. स्वयं पैदा होते हैं और बिना किसी के दूध पिलाए बढ़ते हैं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : स्वयं पैदा होते हैं और बिना किसी के दूध पिलाए बढ़ते हैं

गद्यांश Question 11 Detailed Solution

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प्रस्तुत गद्यांश  में बताया गया है कि देवदार  स्वयं पैदा होते हैं और बिना किसी के दूध पिलाए बढ़ते हैं। अत: इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प संख्या 4 है। बाकी सभी विकल्प गलत हैं। 

Key Points

  •  वीर शब्द के पर्यायवाची : 
  • वीर = बहादुर, निडर, निर्भीक, निर्भय, अभय 

Important Points

  •  यहाँ खाना - पीना द्वंद्व समास का एक उदाहरण है। इसी प्रकार द्वंद्व समास के कुछ अन्य उदाहरण भी हैं : 
समास  समस विग्रह 
राम - सीता  राम और सीता 
भूल - चूक  भूल या चूक 
मार - पीट  मार और पीट 
ठंडा - गरम  ठंडा या  गरम 
गौरी - शंकर  गौरी और शंकर 

Additional Information

  •  द्वंद्व समास : जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर 'और' तथा 'या' आदि पद आते हैं उसे द्वंद्व समास कहते हैं।

Comprehension:

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए:

आज शिक्षक की भूमिका उपदेशक या ज्ञानदाता की-सी नहीं रही। वह तो मात्र एक प्रेरक है कि शिक्षार्थी स्वयं सीख सकें। उनके किशोर मानस को ध्यान में रखकर शिक्षक को अपने शिक्षण कार्य के दौरान अध्ययन- अध्यापन की परंपरागत विधियों से दो कदम आगे जाना पड़ेगा, ताकि शिक्षार्थी समकालीन यथार्थ और दिन-प्रतिदिन बदलते जीवन की चुनौतियों के बीच मानव-मूल्यों के प्रति अडिग आस्था बनाए रखने की प्रेरणा ग्रहण कर सके। पाठगत बाधाओं को दूर करते हुए विद्यार्थियों की सहभागिता को सही दिशा प्रदान करने का कार्य शिक्षक ही कर सकता है।

भाषा शिक्षण की कोई एक विधि नहीं हो सकती। जैसे मध्यकालीन कविता में अलंकार, छंद विधान, तुक आदि के प्रति आग्रह था किन्तु आज लय और प्रवाह का महत्व है। कविता पढ़ाते समय कवि की युग चेतना के प्रति सजगता समझना आवश्यक है। निबंध में लेखक के दृष्टिकोण और भाषा-शैली का महत्त्व है और शिक्षार्थी को अर्थग्रहण की योग्यता का विकास जरूरी है। कहानी के भीतर बुनी अनेक कहानियों को पहचानने और उन सूत्रों को पल्लवित करने का अभ्यास शिक्षार्थी की कल्पना और अभिव्यक्ति कौशल को बढ़ाने के लिए उपयोगी हो सकता है। कभी-कभी कहानी का नाटक में विधा परिवर्तन कर उसका मंचन किया जा सकता है।

मूल्यांकन वस्तुत: सीखने की ही एक प्रणाली है, ऐसी प्रणाली जो रटंत प्रणाली से मुक्ति दिला सके। परंपरागत साँचे का अनुपालन न करे, अपना ढाँचा निर्मित कर सके। इसलिए यह गाँठ बाँध लेना आवश्यक है कि भाषा और साहित्य के प्रश्न बँधे-बँधाए उत्तरों तक सीमित नहीं हो सकते। शिक्षक पूर्वनिर्धारित उत्तर की अपेक्षा नहीं कर सकता। विद्यार्थियों के उत्तर साँचे से हटकर किंतु तर्क संगत हो सकते हैं और सही भी। इस खुलेपन की चुनौती को स्वीकारना आवश्यक है।

‘सहभागिता’ शब्द का निर्माण किस उपसर्ग और प्रत्यय से हुआ है?

  1. सह, ता
  2. स, इता
  3. सह, इता
  4. स, ता

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : सह, इता

गद्यांश Question 12 Detailed Solution

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‘सहभागिता’ शब्द का निर्माण ‘सह’ उपसर्ग तथा ‘इता’ प्रत्यय लगाकर किया गया है।
सहभागिता का अर्थ - साझेदारी 
Key Points सहभागिता शब्द में सह + भाग + इता ये तीनो मिलकर शब्द बना है। सहभागिता में मूल शब्द भाग है, इस शब्द के आगे सह उपसर्ग लगा हुआ है, और ता प्रत्यय लगा हुआ है।

उपसर्ग

प्रत्यय

उपसर्ग उस अक्षर या अक्षर समूह को कहते हैं जो किसी शब्द के पहले जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन लाता है।

शब्द के उपरांत जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है वह प्रत्यय है।

जैसे - प्र, सु, अति, अधि, अनु, नि

प्र + हार = प्रहार

जैसे - ता, औना, अन, अत

श्रो + ता = श्रोता

विशेष (उपसर्ग प्रत्यय वाले अन्य शब्द)

बेईमानी

बे + ईमान + ई

स्वतंत्रता

स्व + तंत्र + ता

अज्ञानता

अ + ज्ञान + ता

अनुशासनहीन

अनु + शासन + हीन

Comprehension:

घोड़ों की टापों की आवाज सुनकर ममता भयभीत हो गई। पथिक ने कहा, ''वह स्‍त्री कहॉं गई है उसे खोेज निकालो।'' ममता छिपने के लिए अधिक सचेत हुई। वह मृगदाव मे चली गई। दिनभर उसमें से न निकली। संध्‍या में जब उन लोगों के जाने का उपक्रम हुआ, तो ममता ने सुना, पथिक घोड़े पर सवार होते हुए कह रहा था, ''मिरजा! उस स्‍त्री को मैं कुछ न दे सका, उसका घर बनवा देना, क्‍योंकि मैंने विपत्ति में यहॉं विश्रााम पाया था। यह स्‍थान भूलना मत।''

चौसा के मुगल-पठान युद्ध को बहुत दिन बीत गए। ममता अब सत्‍तर वर्ष की वृद्धा है। वह अपनी  झोपड़ी में एक दिन पड़ी थी। उसका जीर्ण कंकाल खॉंसी से गूंज रहा था। ममता ने जल पीना चाहा एक स्‍त्री ने सौंपी से जल पिलाया। सहसा एक अश्‍वारोही झोपड़ी के द्वार पर दिखाई पड़ा, मीरजा ने जो चित्र बनाकर दिया था इसी जगह का होना चाहिए। बुढि़या मर गई होगी अब किससे पूछूँ कि एक दिन शहंशाह हुमायूँ ने किस छप्‍पर केे नीचे विश्राम किया था।

उपरोक्‍त गदयांश को पढ़कर नीचे लिखें प्रश्‍नो के उत्‍तर दीजिए-

निम्‍नलिखित में से बुढि़या को क्‍या नहीं था?

  1. बुढ़ापा
  2. खॉंसी
  3. कमजोरी
  4. सामर्थ्‍य

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : सामर्थ्‍य

गद्यांश Question 13 Detailed Solution

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उपरोक्त गद्यांश के अनुसार बुढि़या को सामर्थ्‍य नहीं था,अन्य विकल्प असंगत है। अत: विकल्प 4 सामर्थ्‍य सही उत्तर होगा। 

Key Points

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार बुढि़या का शरीर जीर्ण और कंकाल हो चुका था तथा उसका शरीर खॉंसी से गूंज रहा था।

 

Comprehension:

निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर चुनिए ः

धरातल से युद्ध की विभीषिकाओं को सदा-सदा के लिए समाप्त करने के लिए गाँधीजी ने विश्व को अहिंसा रूपी अस्त्र प्रदान किया। गाँधीजी कहा करते थे कि प्रेम और अहिंसा के द्वारा विश्व के कठोर से कठोर हृदय को भी कोमल बनाया जा सकता है। उन्होंने इन सिद्धान्तों का परीक्षण भी किया और वे “नितान्त' सफल सिद्ध हुए । हिंसा से हिंसा बढ़ती है, 'घृणा', घृणा को जन्म देती है और प्रेम से प्रेम की अभिवृद्धि होती है। अतः यह निश्चित है कि बिना प्रेम और अहिंसा के विश्व में शान्ति स्थापित नहीं हो सकती। शान्ति के अभाव में मानव जाति का विकास सम्भव नहीं। प्रत्येक राष्ट्र का स्वर्णिम-युग वही कहा जाता है, जबकि वहाँ पूर्ण शांति और सुख रहा हो तथा उत्तमोत्तम रचनात्मक कार्य किए जाते हों। भौतिक दृष्टि से व्यापार और कृषि की उन्नति भी शांतिकाल में ही सम्भव होती है, अतः हम यदि विश्व का कल्याण चाहते हैं तो हमें युद्ध का बहिष्कार करना ही होगा। अहिंसा और प्रेम की भावना से विश्व में शान्ति स्थापित करनी होगी, तभी विश्व में सुखमय एवं शांतिमय राज्य की स्थापना सम्भव होगी।  

'नितान्त' शब्द का उपयुक्त पर्याय है

  1. भलीभाँति
  2. बिलकुल
  3. विधिवत्
  4. निम्न

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : बिलकुल

गद्यांश Question 14 Detailed Solution

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सही उत्तर बिलकुल है 

Key Points'नितान्त' शब्द का उपयुक्त पर्याय बिलकुल है 

अन्य विकल्प:

  • भलीभाँति का अर्थ= तरीके से 
  • विधिवत् का अर्थ= कानूनन 
  • निम्न का अर्थ=नीच, नीचे 

Comprehension:

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

भारत भयंकर अंग्रेज़ी - मोह की दुरवस्था से गुजर रहा है । इस दुरवस्था का एक भयानक दुष्परिणाम यह है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य पर उन लोगों की दृष्टि नहीं पड़ती जो विश्वविद्यालयों के प्रायः सर्वोत्तम छात्र थे और अब शासन तंत्र में ऊँचे ओहदों पर काम कर रहे हैं । इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखकों से हीन नहीं हैं, बल्कि उनकी किस्मत मिस्र, बर्मा, इंडोनेशिया, चीन और जापान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है क्योंकि इन सभी देशों के लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यंत सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही हैं जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्रायः नहीं पड़ती । हमारा तथाकथित उच्च शिक्षित समुदाय जो कुछ पढ़ना चाहता है, उसे अंग्रेज़ी में ही पढ़ लेता है, यहाँ तक कि उसकी कविता और उपन्यास पढ़ने की तृष्णा भी अंग्रेज़ी की कविता और उपन्यास पढ़कर ही समाप्त हो जाती है और उसे यह जानने की इच्छा ही नहीं होती कि शरीर से वह जिस समाज का सदस्य है उसके मनोभाव उपन्यास और काव्य में किस अदा से व्यक्त हो रहे हैं।

उपयुक्त शीर्षक दीजिए -

  1. भारतीय शिक्षितों का अंग्रेज़ी - मोह
  2. भारत की दुरवस्था
  3. भारतीय लेखकों की दुर्दशा 
  4. भारतीय शिक्षितों की दुरवस्था

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भारत की दुरवस्था

गद्यांश Question 15 Detailed Solution

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इस प्रश्न का सही उत्तर भारत की दुरवस्था होगा।

अत: सही विकल्प 2 होगा।

Key Points

  •  प्रश्न के उत्तर का अंदाजा गद्यांश की प्रथन लाईन से लगाया जा सकता है।
  • भारत भयंकर अंग्रेज़ी - मोह की दुरवस्था से गुजर रहा है । 
  • अर्थात गद्यांश में भारत की दुरवस्था की बात की है।
  • विकल्प में भी भारत की दुरवस्था दिया हुआ है।
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