पद्यांश MCQ Quiz - Objective Question with Answer for पद्यांश - Download Free PDF
Last updated on Apr 19, 2025
Latest पद्यांश MCQ Objective Questions
पद्यांश Question 1:
Comprehension:
निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
आराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्तर,
तुम वरो विजय संयत प्राणों से प्राणों पर;
रावण अशुद्ध होकर भी यदि कर सका त्रस्त
तो निश्चय तुम हो सिद्ध करोगे उसे ध्वस्त;
शक्ति की करो मौलिक कल्पना, करो पूजन,
छोड़ दो समर जब तक न सिद्धि हो, रघुनंदन !
तब तक लक्ष्मण हैं महावाहिनी के नायक
मध्य भाग में, अंगद दक्षिण-श्वेत सहायक,
मैं भल्ल-सैन्य; हैं वाम पार्श्व में हनूमान,
नल, नील, और छोटे कपिगण - उनके प्रधान;
सुग्रीव, विभीषण, अन्य यूथपति यथासमय
आयेंगे रक्षा हेतु जहाँ भी होगा भय।"
प्रस्तुत पद्यांश में 'भल्ल-सैन्य' का संबंध है :
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 1 Detailed Solution
प्रस्तुत पद्यांश में 'भल्ल-सैन्य' का संबंध है : भालुओं के सेना नायक जाम्बवंत से
Key Points
- प्रस्तुत पद्यांश में 'भल्ल-सैन्य' का संबंध 'भालुओं की सेना' से होता है।
- 'भल्ल' का अर्थ 'भालू' होता है, और 'सैन्य' का अर्थ 'सेना'।
- रामायण में भालुओं की सेना के नायक जाम्बवंत थे।
Additional Informationअन्य विकल्प -
- कपिगण से - 'कपिगण' का मतलब 'वानरों का समूह' होता है। 'कपि' शब्द संस्कृत में वानर (बंदर) के लिए उपयोग किया जाता है, और 'गण' का अर्थ समूह होता है।
- सुग्रीव से - 'सुग्रीव' का मतलब वानरों के राजा से है। रामायण की कथा के अनुसार, सुग्रीव वानरों के राजा थे और भगवान राम के मित्र एवं सहयोगी।
- रघुनंदन से - 'रघुनंदन' का मतलब भगवान श्रीराम से है। भगवान श्रीराम राजा दशरथ के पुत्र थे, जो स्वयं रघु वंश के थे। इसलिए, श्रीराम को 'रघुनंदन' कहा जाता है।
पद्यांश Question 2:
Comprehension:
निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
आराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्तर,
तुम वरो विजय संयत प्राणों से प्राणों पर;
रावण अशुद्ध होकर भी यदि कर सका त्रस्त
तो निश्चय तुम हो सिद्ध करोगे उसे ध्वस्त;
शक्ति की करो मौलिक कल्पना, करो पूजन,
छोड़ दो समर जब तक न सिद्धि हो, रघुनंदन !
तब तक लक्ष्मण हैं महावाहिनी के नायक
मध्य भाग में, अंगद दक्षिण-श्वेत सहायक,
मैं भल्ल-सैन्य; हैं वाम पार्श्व में हनूमान,
नल, नील, और छोटे कपिगण - उनके प्रधान;
सुग्रीव, विभीषण, अन्य यूथपति यथासमय
आयेंगे रक्षा हेतु जहाँ भी होगा भय।"
निम्नलिखित में से 'शक्ति' शब्द के पर्यायवाची नहीं हैं :
(A) बल
(B) उग्र
(C) सामर्थ्य
(D) अक्षय
(E) ताकत
नीचे दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उत्तर का चयन कीजिए :
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर है - केवल (B) और (D)
Key Points
- 'शक्ति' शब्द के पर्यायवाची - सामर्थ्य, बल, ताकत होगा।
- 'शक्ति' के अन्य पर्यायवाची शब्द - ऊर्जा, क्षमता, पराक्रम।
- पर्यायवाची - ऐसे शब्द जिनके अर्थ समान हों, पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
अन्य विकल्प -
शब्द | पर्यायवाची शब्द |
उग्र | तीव्र, विकट, उत्कट, प्रचंड, तेज, कड़ा, प्रबल, रौद्र। |
अक्षय | अमर, अविनाशी, चिरंजीवी, अकल्पित, अनंत, अनादि, अविनाश। |
Additional Information
कुछ महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द -
शब्द | पर्यायवाची शब्द |
अनुपम | अनोखा, अनूठा, अपूर्व, अद्भुत, अद्वितीय, अतुल। |
इच्छुक | अभिलाषी, आतुर, चाहने वाला, आकांक्षी। |
उत्कृष्ट | उत्तम, उन्नत, श्रेष्ठ, अच्छा, बढ़िया, उम्दा। |
ऐश्वर्य | वैभव, संपन्नता, धन-संपत्ति, समृद्धि, दौलत। |
कान्ति | प्रकाश, आलोक, उजाला, दीप्ति, छव, प्रभा, छटा। |
खसीस | बख़ील, कंजूस, मक्खीचूस, कृपण, सूम, मत्सर। |
चतुर | विज्ञ, निपुण, नागर, पटु, कुशल, दक्ष, प्रवीण, योग्य। |
जगत | विश्व, दुनिया, जगती, संसार, भव, जग, जहान्, लोक। |
पद्यांश Question 3:
Comprehension:
निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
आराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्तर,
तुम वरो विजय संयत प्राणों से प्राणों पर;
रावण अशुद्ध होकर भी यदि कर सका त्रस्त
तो निश्चय तुम हो सिद्ध करोगे उसे ध्वस्त;
शक्ति की करो मौलिक कल्पना, करो पूजन,
छोड़ दो समर जब तक न सिद्धि हो, रघुनंदन !
तब तक लक्ष्मण हैं महावाहिनी के नायक
मध्य भाग में, अंगद दक्षिण-श्वेत सहायक,
मैं भल्ल-सैन्य; हैं वाम पार्श्व में हनूमान,
नल, नील, और छोटे कपिगण - उनके प्रधान;
सुग्रीव, विभीषण, अन्य यूथपति यथासमय
आयेंगे रक्षा हेतु जहाँ भी होगा भय।"
'भय' शब्द का विलोम है :
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 3 Detailed Solution
'भय' शब्द का विलोम है : निर्भय
Key Points
- 'भय' शब्द का विलोम शब्द 'निर्भय' होगा।
- 'भय' शब्द का अर्थ है - डर, ख़ौफ़।
- 'निर्भय' शब्द का अर्थ - डर रहित, निडर, बेखौफ।
- विलोम - जो शब्द किसी एक शब्द के विपरीत अर्थ को व्यक्त करते हैं, वे विलोम शब्द कहलाते हैं।
अन्य विकल्प-
शब्द | विलोम |
अजेय | जेय |
पराजय | विजय |
Additional Information कुछ अन्य विलोम शब्द-
शब्द | विलोम |
ध्वस्त | निर्मित |
निरक्षर | साक्षर |
ऋजुता | वक्रता |
ऐच्छिक | अनैच्छिक |
कठोर | कोमल |
विस्मरण | कंठस्थ |
गतिरोध | निर्विरोध |
गृहीत | प्रदत्त |
निर्दयी | दयालु |
पद्यांश Question 4:
Comprehension:
निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
आराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्तर,
तुम वरो विजय संयत प्राणों से प्राणों पर;
रावण अशुद्ध होकर भी यदि कर सका त्रस्त
तो निश्चय तुम हो सिद्ध करोगे उसे ध्वस्त;
शक्ति की करो मौलिक कल्पना, करो पूजन,
छोड़ दो समर जब तक न सिद्धि हो, रघुनंदन !
तब तक लक्ष्मण हैं महावाहिनी के नायक
मध्य भाग में, अंगद दक्षिण-श्वेत सहायक,
मैं भल्ल-सैन्य; हैं वाम पार्श्व में हनूमान,
नल, नील, और छोटे कपिगण - उनके प्रधान;
सुग्रीव, विभीषण, अन्य यूथपति यथासमय
आयेंगे रक्षा हेतु जहाँ भी होगा भय।"
'दृढ़ आराधन' से क्या तात्पर्य है ?
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 4 Detailed Solution
'दृढ़ आराधन' से तात्पर्य है - कठिन साधना
Key Points
- पद्यांश में दृढ़ आराधन का अर्थ है संपूर्ण निष्ठा, अनुशासन, तथा समर्पण के साथ किए गए
- पूजा या साधना जिनमें कठिन परिश्रम और संकल्प की आवश्यकता होती है।
Additional Informationअन्य विकल्प -
- हठयोग का अर्थ - पाँच इंद्रियों और मन के हस्तक्षेप के बिना योग का जिद्दी अभ्यास।
- सगुण भक्ति का अर्थ - ईश्वर को रूप, रंग, गुण, लीलाओं, शक्ति, और भावनाओं से युक्त मानकर उनकी पूजा करने को सगुण भक्ति कहते हैं।
- वज्रयान का अर्थ - बौद्ध धर्म का एक रूप है जो आत्मज्ञान प्राप्त करने का एक त्वरित तरीका प्रदान करने का दावा करता है।
पद्यांश Question 5:
Comprehension:
निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
आराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्तर,
तुम वरो विजय संयत प्राणों से प्राणों पर;
रावण अशुद्ध होकर भी यदि कर सका त्रस्त
तो निश्चय तुम हो सिद्ध करोगे उसे ध्वस्त;
शक्ति की करो मौलिक कल्पना, करो पूजन,
छोड़ दो समर जब तक न सिद्धि हो, रघुनंदन !
तब तक लक्ष्मण हैं महावाहिनी के नायक
मध्य भाग में, अंगद दक्षिण-श्वेत सहायक,
मैं भल्ल-सैन्य; हैं वाम पार्श्व में हनूमान,
नल, नील, और छोटे कपिगण - उनके प्रधान;
सुग्रीव, विभीषण, अन्य यूथपति यथासमय
आयेंगे रक्षा हेतु जहाँ भी होगा भय।"
नीचे दो कथन दिए गए हैं :
कथन I : पद्यांश के अनुसार, रघुनंदन का आशय राम से है।
कथन II : महावाहिनी के नायक सुग्रीव हैं।
उपर्युक्त कथन के आलोक में, नीचे दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उत्तर का चयन कीजिए :
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है - कथन I सही है, लेकिन कथन II ग़लत है
Key Points
- पद्यांश के अनुसार- रघुनंदन का आशय राम से है।
- यह कथन सही है क्योंकि "रघुनंदन" का अर्थ "रघुकुल का नंदन" या "रघुकुल का पुत्र" होता है।
- यह नाम भगवान श्रीराम के लिए प्रयोग किया जाता है। रघुकुल के प्रमुख राम थे, और इसलिए रघुनंदन का आशय राम से ही है।
Additional Information
- पद्यांश में महावाहिनी, अर्थात् मुख्य सेना का नायक लक्ष्मण को बताया गया है।
- सुग्रीव इस सेना का प्रमुख योद्धा हैं और साथ में विभीषण और अन्य सहयोगी भी हैं, लेकिन महावाहिनी के नायक लक्ष्मण ही हैं।
कथन II: महावाहिनी के नायक सुग्रीव हैं। यह कथन गलत है।
Top पद्यांश MCQ Objective Questions
Comprehension:
वह आता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
पेट – पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी – भर दाने को – भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली को फैलाता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
‘वह आता’ में ‘वह’ सर्वनाम किसका द्योतक हो सकता है?
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रस्तुत गद्यांश में भिखारी की स्थिति का वर्णन है जिसमें 'वह' सर्वनाम का प्रयोग भिक्षुक के संदर्भ या उसके लिए किया गया है। अतः सही विकल्प 'भिक्षुक' है।
Key Points
स्पष्टीकरण
- सर्वनाम - संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। जैसे - मैं, वह, वे, उन्हें, अपने तुम, हम आदि।
- हिंदी में मूलतः सर्वनामों की संख्या 11 है – मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कौन, कोई, क्या और कुछ।
Additional Information
शब्दार्थ
अतिथि |
मेहमान, अभ्यागत। |
भिक्षुक |
भिखमंगा, भिखारी, भिक्षार्थी। |
विकलांग |
अपंग, किसी अंग से हीन, अपूर्ण या बेकार अंगोंवाला। |
Comprehension:
वह आता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
पेट – पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी – भर दाने को – भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली को फैलाता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
‘मुँह’ शब्द में प्रयुक्त चंद्रबिंदु को कहते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF'मुँह' शब्द में प्रयुक्त चन्द्रबिन्दु को अनुनासिक कहा जाता है। अतः सही विकल्प 'अनुनासिक' है।
Key Points
स्पष्टीकरण
- जिस ध्वनि के उच्चारण में हवा नाक और मुख दोनों से निकलती है उसे अनुनासिक कहते हैं।
- अनुनासिक वाले अन्य शब्द हैं -'आँख, माँ, गाँव, बाँसुरी आदि'।
अन्य विकल्प
अनुस्वार |
अनुस्वार स्वर के बाद आने वाला व्यञ्जन है। इसकी ध्वनि नाक से निकलती है। हिंदी भाषा की लिपि में अनुस्वार का चिह्न बिंदु (.) के रूप में विभिन्न जगहों पर प्रयोग किया जाता है। |
जैसे- गङ्गा, चञ्चल इत्यादि। |
नासिक्य |
ऐसा व्यंजन होता है जिसे नरम तालू को नीचे लाकर उत्पन्न किया जाए और जिसमें मुँह से वायु निकलने पर अवरोध हो लेकिन नासिकाओं से निकलने की छूट हो। न, म और ण ऐसे तीन व्यंजन हैं। |
जैसे- ङ्, ञ्, ण्, न्, म्। |
शिरोरेखा |
देवनागरी लिपि में वर्णों के ऊपर लगाई जाने वाली रेखा। |
जैसे – केला, मैना तीर आदि। |
Comprehension:
निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए।
चमकीली है सुबह आज की आसमान में
निश्चय कल की सुबह और चमकीली होगी
बेचैनी की बाँहों में कल फूल खिलेंगे
घुटन गमकती साँसों की आवाज़ सुनेगी।
कुंठाओं की टहनी छिन्न-भिन्न होगी फिर
आशा अपने हाथों से अब कुसुम चुनेगी,
चटकीली है आज चहकती हुई चाँदनी
कल चंदा की किरण ओर चटकीली होगीं
खुल जाएँगे अब सबके दिल के दरवाजे
काव्यांश में ‘चमकीली सुबह’ का क्या आशय है?
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF- दी गयी कविता में आशा और उम्मीद की किरण की बात की जा रही है। यहाँ हर निराशा को समाप्त कर के एक आशा की लौ की बात की जा रही है।
- इस आधार पर यहाँ कविता के आरम्भ में ‘चमकीली सुबह’ का प्रयोग एक आशाभरी भोर के लिए किया गया है। अतः सही विकल्प अंधकार समाप्ति के बाद आशाभरी सुबह है।
अन्य विकल्प
- इसके अतिरिक्त दिए गये विकल्प में शब्दार्थ बताया गया है जबकि यहाँ निहितार्थ प्रमुख है।
Comprehension:
निर्देश: दिए गए गद्यांश को पढ़कर प्रश्न के उत्तर दीजिये।
वरदन्त की पंगति कुंदकली अधराधर पल्लव लोचन की।
चपला चमके घन बिच जगै छवि मोतिन माल अमोलन की।।
घुंगरारी लटे लटके मुख ऊपर कुण्डल लाल कपोलन की।
निवछावर प्राण करे ‘तुलसी’ बलि जाऊं ललाइन बोलन की।।
इस पद्यांश में कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पद्यांश में 'वात्सल्य रस' है। प्रस्तुत पंक्तियों में श्री राम जी के बाल सौंदर्य का वर्णन किया गया है। ये पद्यांश ‘तुलसीदास जी’ द्वारा रचित 'कवितावली' से लिया गया है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 'वात्सल्य रस' है।
Additional Information
वात्सल्य रस (स्थायी भाव - वात्सल्यता (अनुराग) है) - माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम आदि स्नेह भाव वात्सल्य रस कहलाता है। |
शांत रस (इसका स्थाई भाव निर्वेद है) - अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक ज्ञान से विषयों के वैराग्य से उत्पन्न रस परिपक्व होकर शांति में परिणत हो। जैसे – मन रे तन कागद का पुतला। लागे बूंद बिनसि जाय छिन में, गरब करें क्या इतना। |
करुण रस (स्थाई भाव शोक है) - किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था। जैसे – सोक विकल सब रोंवही रानी। रूपु सीलु बलु तेज बखानी। करहिं मिलाप अनेक प्रकार। परहिं भूमि तल बारहिं बारा। |
श्रृंगार रस (इसका स्थाई भाव रति (प्रेम है) - जिस रस में नायक नायिका के प्रेम, मिलने, बिछुड़ने जैसी क्रियायों का वर्णन हो। |
Comprehension:
निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए।
चमकीली है सुबह आज की आसमान में
निश्चय कल की सुबह और चमकीली होगी
बेचैनी की बाँहों में कल फूल खिलेंगे
घुटन गमकती साँसों की आवाज़ सुनेगी।
कुंठाओं की टहनी छिन्न-भिन्न होगी फिर
आशा अपने हाथों से अब कुसुम चुनेगी,
चटकीली है आज चहकती हुई चाँदनी
कल चंदा की किरण ओर चटकीली होगीं
खुल जाएँगे अब सबके दिल के दरवाजे
‘कुंठाओं की टहनी छिन्न-भिन्न होगी’ से क्या तात्पर्य है?
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF- यहाँ ‘कुंठा’ शब्द का प्रयोग ‘निराशा’ शब्द का द्योतक है।
- यहाँ उस भोर का इंतजार है जिससे कई आशाएँ की गयी हैं कि उसके आने से हर निराशा दूर हो जाएगी। इस आधार पर निराशा दूर होगी सही विकल्प है।
अन्य विकल्प
इसके अतिरिक्त दिए गये विकल्प कविता के भाव को स्पष्ट नहीं कर रहे हैं।Comprehension:
निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए।
चमकीली है सुबह आज की आसमान में
निश्चय कल की सुबह और चमकीली होगी
बेचैनी की बाँहों में कल फूल खिलेंगे
घुटन गमकती साँसों की आवाज़ सुनेगी।
कुंठाओं की टहनी छिन्न-भिन्न होगी फिर
आशा अपने हाथों से अब कुसुम चुनेगी,
चटकीली है आज चहकती हुई चाँदनी
कल चंदा की किरण ओर चटकीली होगीं
खुल जाएँगे अब सबके दिल के दरवाजे
निम्न में से कौन सा शब्द ‘कुसुम’ का पर्यायवाची नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF‘कुसुम’ शब्द का अर्थ है ‘फूल’ जबकि ‘कमल’ एक फूल का नाम है।
- कमल के पर्यायवाची शब्द हैं – जलज, सरोज, पंकज,राजीव, इत्यादि। अतः सही विकल्प ‘कमल’ है।
Key Points
अन्य विकल्प
- पुष्प, सुमन तथा प्रसून ‘कुसुम’ के पर्यायवाची शब्द हैं।
Additional Information
विशेष -
शब्द |
परिभाषा |
उदाहरण |
पर्यायवाची |
एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द, जो बनावट में भले ही अलग हों। 'पर्यायवाची-शब्द' को 'समानार्थी-शब्द' भी कहा जाता है| |
आग - अनल, पावक, दहन, वह्नि, कृशानु, हुताशन आदि। |
Comprehension:
वह आता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
पेट – पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी – भर दाने को – भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली को फैलाता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
‘पेट-पीठ’ दोनो मिलकर हैं एक’ इसका कारण क्या हो सकता है?
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDF‘पेट-पीठ’ दोनो मिलकर हैं एक’ इसका कारण 'कुछ भी भोजन न करना' है। अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
स्पष्टीकरण -
- प्रस्तुत पद्यांश में भिखारी के बारे में विवेचना की गई है जिसमें उसकी दुर्दशा का वर्णन किया गया है।
- यहाँ पर पेट-पीठ दोनों एक हो जाने का तात्पर्य कुछ भी भोजन न करने से है जिसके कारण उसका पेट धँसा हुआ दिख रहा है।
- अतः सही विकल्प 'कुछ भी भोजन न करना' है।
Comprehension:
निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए।
चमकीली है सुबह आज की आसमान में
निश्चय कल की सुबह और चमकीली होगी
बेचैनी की बाँहों में कल फूल खिलेंगे
घुटन गमकती साँसों की आवाज़ सुनेगी।
कुंठाओं की टहनी छिन्न-भिन्न होगी फिर
आशा अपने हाथों से अब कुसुम चुनेगी,
चटकीली है आज चहकती हुई चाँदनी
कल चंदा की किरण ओर चटकीली होगीं
खुल जाएँगे अब सबके दिल के दरवाजे
कवि को विश्वास है कि -
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF- दी गयी पंक्तियों में कल की चमकीली सुबह का इंतजार किया जा रहा है। यहाँ कवि के उस विश्वास को बताया जा रहा है जिसमें कल की सुबह में एक उम्मीद एक आशा की चाहत है।
- इस आधार पर कल की सुबह आज से अच्छी होने की आशा है। अतः कल की सुबह आज से अच्छी होगी सही विकल्प है।
अन्य विकल्प
- यहाँ अन्य विकल्प संदर्भानुसार उपयुक्त नहीं हैं। अन्य विकल्पों का दी गयी कविता से कोई सम्बन्ध नहीं है।
आधुनिक युग में विज्ञान महत्त्वपूर्ण है।
उपरोक्त वाक्य में रेखांकित शब्द के पर्यायवाची का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF'आधुनिक' शब्द का समानार्थी शब्द अर्वाचीन होगा।
- आधुनिक युग में विज्ञान महत्त्वपूर्ण है।
- 'आधुनिक' का पर्यायवाची है - अर्वाचीन
- आधुनिक शब्द के अन्य पर्यायवाची शब्द - नूतनकालीन, अप्राचीन, वर्तमान
Key Pointsअन्य विकल्पों के पर्यायवाची -
- प्रासंगिक - संबद्ध, उपयुक्त, सामयिक
- पुरातन - प्राचीन, पूर्वकालीन, पुराना
Additional Information
- समानार्थी का अर्थ होता है – समान अर्थों वाला
- जिस शब्द से किसी अन्य शब्द का समान अर्थ पता चले उसे समानार्थी शब्द कहते हैं।
उदाहरण -
- जालबंधन - फंदा, बंधन, पाश, जकड़न
- प्रचण्ड - भीषण, भयंकर, उग्र
- कुसुमरज - रंज, पुष्परज, पराग
- विप्लव - कयामत, प्रलय, कल्पान्त
- निर्मम - निर्दय, निष्ठुर, बेदर्द, बेरहमा
- नियति - भाग्य, प्रारब्ध, विधि, भावी
- रामरस - लवण, नमक, लोन
- दिव्य - अलौकिक, स्वर्गिक, लोकातीत
- थकन - क्लान्ति, थकान, थकावट, श्रान्ति
Comprehension:
निर्देश - निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
सूर्योदय, सूर्यास्त असंख्यों
सोना ही सोना बरसा कर
मोल नहीं ले पाए इसको;
भीषण बादल
आसमान में गरज गरज कर
धरती को न कभी हर पाये,
प्रलय सिंधु में डूब-डूब कर
उभर-उभर आयी है ऊपर।
भूचालों-भूकम्पों से यह मिट न सकी है।
'सिंधु' का पर्यायवाची शब्द नहीं है -
Answer (Detailed Solution Below)
पद्यांश Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF'सिंधु' का पर्यायवाची शब्द नहीं है - जलद
- 'बादल' का पर्यायवाची शब्द है - जलद, वारिद, पयोद, पयोधर, अम्बुद, मेघ, घन, जलधर।
- 'सिंधु' का पर्यायवाची शब्द है - उदधि, सागर, जलधि, रत्नाकर, नीरनिधि, पयोधि, नदीश, वारिधि, अब्धि।
Key Points
- एक ही शब्द के एक से ज्यादा अर्थ निकले, उसे पर्यायवाची शब्द कहते है।
Additional Informationकुछ महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द:-
- पानी- जल, वारि, नीर, तोय, सलिल, अंबु, सर।
- आकाश- व्योम, शून्य, गगन, अम्बर, आसमान, अंतरिक्ष, नभ, अनंत।
- हवा- पवन, वायु, समीर, अनिल, वात, मरुत्, पवमान, बयार, प्रकंपन।
- साँप- सर्प, नाग, विषधर, व्याल, भुजंग, उरग, अहि पन्नग।
- जंगल- वन, कानन, बीहड़, विटप, विपिन।
- घर- गृह, सदन, आवास, आलय, गेह, निवास, निलय, मंदिर।
- इंद्र- सुरेश, देवेंद्र, देवराज, पुरंदर, सुरपति, मघवा, वासव, महेंद्र।
- कमल- जलज, पंकज, सरोज, राजीव, अरविन्द, नीरज।