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Download Solution PDF'असाध्यवीणा' का संगीत सुनते ही राजा को क्या अनुभव हुआ?
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RPSC 2nd Grade Hindi (Held on 1st July 2017) Official Paper
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Option 4 : उनका अहंकार नष्ट हो गया।
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RPSC Senior Grade II (Paper I): Full Test 1
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Detailed Solution
Download Solution PDF'असाध्यवीणा' का संगीत सुनते ही राजा को अनुभव हुआ कि उनका अहंकार नष्ट हो गया।
- राजा को अपने वैभव पर गर्व था परंतु प्रियम्वद द्वारा वीणा को साधने पर जो ज्ञान उन्हें प्राप्त हुआ उससे उनका अहंकार नष्ट हो गया।
Key Pointsअसाध्य वीणा-
- रचनाकार -अज्ञेय
- प्रकाशन वर्ष -1961 ई.
- यह कविता 'आंगन के पार द्वार' काव्य संग्रह में संकलित है।
- विषय-
- यह कविता पाश्चात्य कथा को भारतीय मूल में रूपांतरित करके रचित है।
- किरीटी नामक वृक्ष से यह वीणा बनायी गयी है।
- दरबार के समस्त कलावंत इसे बजाने में असमर्थ है।
- सभी की विद्या व्यर्थ हो जाती है क्योकि इस वीणा को केवल एक सच्चा साधक ही साध सकता है।
- अन्त में इस ‘असाध्य वीणा’ को केशकम्बली प्रियंवद ने साधकर दिखाया।
- जब केशकम्बली प्रियंवद ने असाध्य वीणा को बजाकर दिखाया तब उससे निकलने वाले स्वरों को राजा,रानी और प्रजाजनों ने अलग-अलग सुना।
Important Pointsअज्ञेय-
- जन्म-1911-1987 ई.
- तार सप्तक(1943 ई.) के प्रणेता है।
- प्रयोगवादी कवि है।
- मुख्य रचनाएँ-
- भग्नदूत(1933 ई.), चिंता(1942 ई.), इत्यलम्(1946 ई.), हरी घास पर क्षणभर(1949 ई.), इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये(1957 ई.) आदि।
Additional Informationकविता का सार-
- असाध्य वीणा जीवन का प्रतीक है, हर व्यक्ति को अपनी भावना के अनुरूप ही उसकी स्वर लहरी प्रतीत होती है।
- कला की विशिष्टता उसके अलग-अलग सन्दर्भों में , अलग-अलग अर्थो में होती है।
- ‘असाध्य वीणा’ को वही साध पाता है जो सत्य को एवं स्वयं को शोधता है या वो जो परिवेश और अपने को भूलकर उसी के प्रति समर्पित हो जाता है।
- बौद्ध दर्शन में इसे ‘तथता’ कहा गया है जिसमे स्वयं को देकर ही सत्य को पाया जा सकता है।
Last updated on Jul 19, 2025
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