एक निकाय सरल आवर्त गति कर रहा है। तब इसकी-

  1. प्रति चक्र औसत कुल ऊर्जा इसकी अधिकतम गतिज ऊर्जा के बराबर होती है।
  2. प्रति चक्र औसत गतिज ऊर्जा इसकी अधिकतम गतिज ऊर्जा के आधे के बराबर होती है।
  3. प्रति चक्र औसत गतिज ऊर्जा उसकी अधिकतम गतिज ऊर्जा के \(\frac{2}{\pi}\) आधे के बराबर होती है।
  4. वर्ग माध्य मूल वेग अपने अधिकतम वेग का \(\frac{1}{\sqrt2}\) गुना होता है।

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Option :

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अवधारणा:

सरल आवर्त गति:
सरल आवर्त गति (S.H.M.) एक प्रकार का आवर्ती दोलन है, जिसमें प्रत्यानयन बल, विस्थापन के समानुपाती होता है।
→ सरल लोलक की गति, सरल आवर्त गति का एक अच्छा उदाहरण है, जिसमें गोलक गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में निम्नतम और उच्चतम स्थिति के  अनुदिश स्वतंत्र रूप से दोलन करता है।

व्याख्या:

प्रति चक्र औसत गतिज ऊर्जा = 1/4 (mω2A2)

प्रति चक्र अधितम गतिज ऊर्जा  = 1/2 (mω2A2)

औसत गतिज ऊर्जा = 1/2 (अधिकतम गतिज ऊर्जा)

आवर्ती वक्र अर्थात ज्या या कोज्या वक्र के लिए,

\(X_{rms}=\frac{X_{max}}{\sqrt2}\)

चूँकि सरल आवर्त गति के वेग में परिवर्तन समय-समय पर बदलता रहता है, इसलिए

\(V_{rms}=\frac{V_{max}}{\sqrt2}\)

अतः विकल्प (2) और (4) सही उत्तर हैं।

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