हास्य रस MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for हास्य रस - मोफत PDF डाउनलोड करा
Last updated on Mar 22, 2025
Latest हास्य रस MCQ Objective Questions
Top हास्य रस MCQ Objective Questions
हास्य रस Question 1:
इनमें से कौन सा कथन सही है ?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर 'हास्य रस का स्थायी भाव हास्य' है।
Key Points
- रस और स्थायी भाव
रस | स्थायी भाव |
श्रृंगार | रति |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
रौद्र | क्रोध |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा |
अद्भुत | आश्चर्य |
शांत | निर्वेद |
नोटः अन्य विकल्प असंगत है।
Additional Information
रस |
परिभाषाः- रस का शाब्दिक अर्थ आनन्द है। काव्य को पढने या सुनने से हमें जिस अनन्द की अनुभूति होती है उसे रस कहते है। |
स्थायी भाव |
हमारे हृदय में जो भाव पहले से विद्यमान रहते है उसे स्थायी भाव कहते है। इसकी संख्या 9 होती है। ( जो ऊपर दिये गये है। ) |
Important Points
- भरतमुनि ने अपने ग्रंथ नाट्यशास्त्र में रस की परिभाषा दियाः-
- 'विभावानुभावव्यभिचारी संयोगाद्रसनिष्पत्ति'
- अर्थात विभाव , अनुभाव तथा संचारी भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।
हास्य रस Question 2:
हास्य रस का स्थायी भाव क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 2 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘हास’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- हास्य रस का स्थायी भाव ‘हास’ है।
- किसी वस्तु या व्यक्ति का विचित्र (असंगत) आकार अजीव ढंग की वेशभूषा, बातचीत और ऊटपटांग आभूषणों आदि को देखकर हृदय में जो विनोदपूर्ण भाव उत्पन्न हो जाता है, उसे हास कहते हैं।
Additional Information
रस |
काव्य के पढ़ने, सुनने अथवा उसका अभिनय देखने मे पाठक, श्रोता या दर्शक को जो आनंद मिलता है, वही काव्य मे रस कहलाता हैं। आचार्य भरत ने नाटक मे आठ रस माने है। परवर्ती आचार्यों ने शान्त रस को अतिरिक्त स्वीकृति देकर कुल नौ रसों की पहचान निश्चित की। काव्य मे महाकवि सूरदास ने वात्सल्य से संबंधित मधुर पद लिखे, तो एक अन्य नया रस वात्सल्य रस की स्थापना या जन्म हुआ। रस के 10 प्रकार होते हैं। |
रस और उनके स्थायी भाव-
रस |
स्थायी भाव |
शृंगार रस |
रति |
हास्य रस |
हास |
करुण रस |
शोक |
रौद्र रस |
क्रोध |
वीर रस |
उत्साह |
भयानक रस |
भय |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
अद्भुत रस |
विस्मय |
शांत रस |
निर्वेद |
वात्सल्य रस |
वत्सल |
हास्य रस Question 3:
हास्य रस का स्थायी भाव क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 3 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘हास’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- हास्य रस का स्थायी भाव ‘हास’ है।
- किसी वस्तु या व्यक्ति का विचित्र (असंगत) आकार अजीव ढंग की वेशभूषा, बातचीत और ऊटपटांग आभूषणों आदि को देखकर हृदय में जो विनोदपूर्ण भाव उत्पन्न हो जाता है, उसे हास कहते हैं।
Additional Information
रस |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
रस और उनके स्थायी भाव -
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत |
निर्वेद |
हास्य रस Question 4:
"निकसी उहि गैल हुते जहाँ मोहन, लीनी उतारि तबै चल कै।, पतुकी धरि स्याम खिसाय रहे, उत ग्वारि हँसी मुख आँचल कै।।" काव्यांश में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 4 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियों में हास्य रस है। अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- निकसी उहि गैल हुते जहाँ मोहन, लीनी उतारि तबै चल कै।, पतुकी धरि स्याम खिसाय रहे, उत ग्वारि हँसी मुख आँचल कै।। काव्यांश में हास्य रस है।
रस |
परिभाषा |
हास्य रस |
जब हास स्थायी भाव का संयोग विभाव, अनुभाव एवं संचारी भाव से होता है, तो हास्य रस की उत्पत्ति होती है। |
Additional Information
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
अद्भुत रस
|
आश्चर्यजनक एवं विचित्र चीजों को देखकर विस्मयकारी भावना का उत्पन्न होना अद्भुत रस कहलाता है। |
देख यशोदा शिशु के मुख में सकल विश्व की माया। क्षणभर को वह बनी अचेतन हिल न सकी कोमल काया।। |
रौद्र रस
|
क्रोध की अधिकता से उत्पन्न इंद्रियों की प्रबलता को रौद्र कहते हैं। जब इस क्रोध का मेल विभाव, अनुभाव और संचारीभाव से होता है, तब रौद्ररस की निष्पत्ति होती है। |
श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे। |
वात्सल्य रस |
छोटे बच्चों के प्रति स्नेह के चित्रण में वात्सल्य रस उत्पन्न होता है। हृदय में ‘वत्सल’ नामक स्थायी भाव का मेल विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से होता है, तब वात्सल्य रस परिपुष्ट होता है। |
"धूरि भरे अति सोभित स्यामजू,
|
हास्य रस Question 5:
हृदय में उत्पन्न विनोदपूर्ण भाव हास होता है और यही हास जब विभाव, अनुभाव तथा व्यभिचारी भावों के संयोग से रस रूप में परिणत होता है ________ रस हो जाता है ।
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 5 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘हास्य रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- हृदय में जो विनोदपूर्ण भाव उत्पन्न हो जाता है, उसे हास कहते हैं।
- यह हास जब विभाव, अनुभाव तथा व्यभिचारी भावों के संयोग से रस रूप में परिणत हो तो हास्य रस होता है ।
हास्य रस |
किसी वस्तु या व्यक्ति का विचित्र (असंगत) आकार अजीव ढंग की वेशभूषा, बातचीत और ऊटपटांग आभूषणों आदि को देखकर हृदय में जो विनोदपूर्ण भाव उत्पन्न हो जाता है, उसे हास कहते हैं। |
हॅसि हॅसि भाजें देखि दूलह दिगम्बर कौं, पाहुनी जो आवैं हिमाचल के उछाह में । कहे ‘पद्माकर सु काहू सो कहै सो कहाँ, जोइ जहाँ देखे सो हँसई तहाँ राह में। |
Additional Information
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
वीर रस |
युद्ध और कठिन कार्य करने के लिए जागा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता है। |
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रुको नहीं, तुम कभी झुको नहीं। |
शांत रस |
शांति रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। |
चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय। दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। |
करुण रस |
किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। |
करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जाय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लागा, धीरज छूकर धीरज भागा। |
हास्य रस Question 6:
'सीस पर गंगा हँसे, भुजनि भुजंगा हँसैं, हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में।' इस वाक्य में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 6 Detailed Solution
Key Points
- सीस पर गंगा हँसे, भुजनि भुजंगा हँसैं, हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में।
-
इन पंक्तियों में हास्य रस है, इसमें महादेव आलम्बन विभाव, उनका नंगा रूप उद्दपन विभाव, गंगा और नागों का हँसना अनुभाव, वर को देखने को उत्सुक भीड़ का दृश्य देखकर भयभीत होना और भागना आदि संचारी भाव हैं और हास स्थायी भाव है।
-
जहाँ किसी व्यक्ति की विकृत (अटपटी) बाते वेश एवं बनावट, चेष्टा आदि का वर्णन हो जिसे सुनकर या देखकर हँसी उत्पन्न होती हैं, वहाँ हास्य रस होता हैं।
अन्य विकल्प -
रौद्र रस | दुष्ट के अत्याचार, अपने अपमान आदि के कारण जाग्रत क्रोध स्थायी भाव का विभावादि मे पुष्ट होकर रौद्र रस रूप मे परिपाक होता हैं। |
करुण रस | किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जागे शोक स्थायी भाव का विभावादि से पुष्ट होने पर करूण रस परिपाक होता हैं। |
शांत रस |
शान्त रस विषय वैराग्य एवं स्यायी भाव निर्वेद हैं। संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर ह्रदय में विरक्ति उत्पन्न होती है। इस प्रकार के वर्णनो मे शान्त रस होता हैं। |
Additional Information
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
हास्य रस Question 7:
बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय। किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 7 Detailed Solution
सही उत्तर है - हास्य
Key Points
- 'बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय, किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय' यह पंक्ति हास्य रस की है।
- किसी व्यक्ति की अनोखी विचित्र वेशभूषा, रूप, हाव-भाव को देखकर अथवा सुनकर जो हास्यभाव जाग्रत होता है,
- वही हास्य रस कहलाता है। हास्य रस का स्थायी भाव हास है।
- उदाहरण -
- बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय।
- सौंह करै भौंहन हंसै दैन कहै नटिं जाय।।
- (यहाँ पर कृष्ण की मुरली को छुपाने और उसे माँगने पर हंसने और मना करने से हास्य रस उत्पन्न हो रहा है।)
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
वीर रस:-
उदाहरण -
संयोग शृंगार:-
उदाहरण-
शान्त रस:-
उदाहरण-
|
हास्य रस Question 8:
अधिकांशतः "हास्य रस" वाली रचनाओं के लेखक इनमें से कौन है?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 8 Detailed Solution
Key Points
काका हाथरसी -
-
काका हाथरसी हिंदी हास्य कवि थे।
-
उनकी शैली की छाप उनकी पीढ़ी के अन्य कवियों पर तो पड़ी ही, आज भी अनेक लेखक और व्यंग्य कवि काका की रचनाओं की शैली अपनाकर लाखों श्रोताओं और पाठकों का मनोरंजन कर रहे हैं।
-
व्यंग्य का मूल उद्देश्य लेकिन मनोरंजन नहीं बल्कि समाज में व्याप्त दोषों, कुरीतियों, भ्रष्टाचार और राजनीतिक कुशासन की ओर ध्यान आकृष्ट करना है। ताकि पाठक इनको पढ़कर बौखलाये और इनका समर्थन रोके। इस तरह से व्यंग्य लेखक सामाजिक दोषों के ख़िलाफ़ जनमत तैयार करता है और समाज सुधार की प्रक्रिया में एक अमूल्य सहयोग देता है।
-
इस विधा के निपुण विद्वान थे काका हाथरसी, जिनकी पैनी नज़र छोटी से छोटी अव्यवस्थाओं को भी पकड़ लेती थी और बहुत ही गहरे कटाक्ष के साथ प्रस्तुत करती थी।
अन्य विकल्प -
- तुलसीदास - भक्ति रस
- सूरदास - वात्सल्य रस
- कबीरदास - शांत रस
Additional Information
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
हास्य रस Question 9:
निम्नलिखित काव्य पंक्ति में कौन-सा रस है?
‘कहा बन्दरिया ने बन्दर से, चलो नहायें गंगा। बच्चों को छोडेंगे घर में, होने दो हुड़दंगा।’Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 9 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘हास्य रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में हास नामक स्थायी भाव है।
- बंदर की गंगा नहाने जाने की बात और बच्चों को घर में छोडकर हुड़दंग करने की बात हास्य प्रकट कर रही है।
हास्य रस |
किसी वस्तु या व्यक्ति का विचित्र (असंगत) आकार अजीव ढंग की वेशभूषा, बातचीत और ऊटपटांग आभूषणों आदि को देखकर हृदय में जो विनोदपूर्ण भाव उत्पन्न हो जाता है, उसे हास कहते हैं। |
हॅसि हॅसि भाजें देखि दूलह दिगम्बर कौं, पाहुनी जो आवैं हिमाचल के उछाह में । कहे ‘पद्माकर सु काहू सो कहै सो कहाँ, जोइ जहाँ देखे सो हँसई तहाँ राह में। |
Additional Information
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
वीर रस |
युद्ध और कठिन कार्य करने के लिए जागा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता है। |
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रुको नहीं, तुम कभी झुको नहीं। |
शांत रस |
शांति रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। |
चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय। दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। |
करुण रस |
किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। |
करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जाय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लागा, धीरज छूकर धीरज भागा। |
हास्य रस Question 10:
बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय। किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 10 Detailed Solution
सही उत्तर है - हास्य
Key Points
- 'बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय, किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय' यह पंक्ति हास्य रस की है।
- किसी व्यक्ति की अनोखी विचित्र वेशभूषा, रूप, हाव-भाव को देखकर अथवा सुनकर जो हास्यभाव जाग्रत होता है,
- वही हास्य रस कहलाता है। हास्य रस का स्थायी भाव हास है।
- उदाहरण -
- बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय।
- सौंह करै भौंहन हंसै दैन कहै नटिं जाय।।
- (यहाँ पर कृष्ण की मुरली को छुपाने और उसे माँगने पर हंसने और मना करने से हास्य रस उत्पन्न हो रहा है।)
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
वीर रस:-
उदाहरण -
संयोग शृंगार:-
उदाहरण-
शान्त रस:-
उदाहरण-
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