वीभत्स रस MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for वीभत्स रस - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Mar 23, 2025

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वीभत्स रस Question 1:

वीभत्स रस का स्थायी भाव क्या है? 

  1. हास्य 
  2. शोक 
  3. आश्चर्य 
  4. जुगुप्सा 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : जुगुप्सा 

वीभत्स रस Question 1 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 4 ‘जुगुप्सा’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

Key Points

  • वीभत्स रस का स्थायी भाव ‘जुगुप्सा’ है।
  • घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस है

Additional Information

रस

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

रस और उनके स्थायी भाव -

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत

निर्वेद

वीभत्स रस Question 2:

उल्लिखित पंक्तियों में से वीभत्स रस वाली पंक्ति को चुनिए -

  1. एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराया

    विकल बटोही बीच ही, परयो मूरछा खाया
  2. एक दिन न्यूयार्क भी मेरी तरह हो जाएगा

    जिसने मिटाया है मुझे, वह भी मिटाया जाएगा
  3. स्वान अंगुरिन काटिकाटि कै खात विदारता

    सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारता
  4. हाथी जैसी चाल है, गैंडे जैसी खाल

    तरबूजे सी खोपड़ी, खरबूजे सी गाल

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 :

स्वान अंगुरिन काटिकाटि कै खात विदारता

सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारता

वीभत्स रस Question 2 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से स्वान अंगुरिन काटिकाटि कै खात विदारता, सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारताइन पंक्तियों में वीभत्स रस है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प वीभत्स रस है।

विवरण

वीभत्स रस : जहाँ किसी वस्तु अथवा दृश्य के प्रति जुगुप्सा का भाव परिपुष्ट हो, वहाँ वीभत्स रस होता है।

 स्वान अंगुरिन काटिकाटि कै खात विदारता, सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारताइन पंक्तियों में कुत्तों का उंगलियों काटना, कौआ का आँख निकालना आदि उद्दीपन है। इसलिए यहाँ वीभत्स रस होगा।

अन्य विकल्प

विकल्प

रस

एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराया

विकल बटोही बीच ही, परयो मूरछा खाया

इन पंक्तियों में भयानक रस है, भयानक रस अर्थात जहाँ भय स्थायी भाव पुष्ट और विकसित हो, वहाँ भयानक रस होता है। इसका स्थायी भाव भय है।

एक दिन न्यूर्यार्क भी मेरी तरह हो जाएगा

जिसने मिटाया है मुझे, वह भी मिटाया जाएगा

इन पंक्तियों में रौद्र रस है, रौद्र रस अर्थात जहाँ क्रोध और प्रतिशोध का भाव विविध अनुभवों, विभावों और संचारियों के योग से परिपुष्ट होता है, वहाँ रौद्र रस की अभिव्यक्ति होती है। इसका स्थायी भाव क्रोध है।

हाथी जैसी चाल है, गैंडे जैसी खाल

तरबूजे सी खोपड़ी, खरबूजे सी गाल

इन पंक्तियों में हास्य रस है, हास्य रस अर्थात जहाँ विलक्षण स्थितियों द्वारा हँसी का पोषण हो, वहाँ हास्य रस होता है। इसका स्थायी भाव हँसी है।

वीभत्स रस Question 3:

वीभत्स रस का स्थायी भाव क्या होगा?

  1. क्रोध
  2. जुगुप्सा
  3. निर्वेद
  4. विस्मय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : जुगुप्सा

वीभत्स रस Question 3 Detailed Solution

  • वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा होता है।
  • Key Points

    घृणित विचार वालो या घृणित विचारो को लिखना ही वीभत्स रस कहलाता हैI

    स्थायी भाव

    रस

    रति

    श्रंगार

    भक्ति

    श्रंगार(देव विषयक रति)

    हास

    हास्य

    रस नौ हैं –

    रस का प्रकार

    स्थायी भाव

    श्रृंगार रस

    रति

    हास्य रस

    हास

    करुण रस

    शोक

    रौद्र रस

    क्रोध

    वीर रस

    उत्साह

    भयानक रस

    भय

    वीभत्स रस

    घृणा, जुगुप्सा

    अद्भुत रस

    आश्चर्य

    शांत रस

    निर्वेद

     

    रस

    रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। इसके नौ भेद हैं- शृंगार, हास, करुण, वीर, रौद्र, भयानक, वीभत्स, अद्भुत, शांत,

वीभत्स रस Question 4:

‘वीभत्स रस’ के स्थायी भाव का चयन कीजिये। 

  1. रति
  2. हास
  3. निर्वेद
  4. जुगुप्सा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : जुगुप्सा

वीभत्स रस Question 4 Detailed Solution

इसका सही उत्तर विकल्प 4 ‘जुगुप्सा’ होगा। अन्य विकल्प सही नहीं हैं।

  • ‘वीभत्स रस’ का स्थायी भाव ‘जुगुप्सा’ है। 

रस

स्थायी भाव

परिभाषा

उदाहरण

 

वीभत्स रस

जुगुप्सा

जहां घृणा का भाव होता है वहाँ पर वीभत्स रस होता है।

मकड़ियों के जाल मुंह पर, और सर के बाल मुंह पर, मच्छरों के दंश वाले, दाग काले-लाल मुंह पर.....


अन्य विकल्प:

रस

स्थायी भाव

परिभाषा

उदाहरण

श्रृंगार रस

रति

इस रस में नायक नायिका के मिलन की स्थिति का वर्णन होता आई। इसके दो भेद हैं- संयोग और वियोग

 

बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, सौंह करें, भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाए। (संयोग)

भूषण वसन विलोकत सीय के प्रेम विवस मन कंप, पुलक तनु नीरज नीर भाए पिय के। (वियोग)

हास्य रस

हास

किसी वस्तु या व्यक्ति की वेश-भूषा, उसका आकार, चाल-ढाल किसी घटना और भावना से उत्पन्न रस को हास्य रस कहते हैं।

बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभर यानी।। पुनि पुनि मोहि देखात कुहारु। चाहत उड़ावन कुंकी पहारू।।

शांत रस

निर्वेद या शम शांति रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो।

चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय।

दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय।


अन्य विकल्प:

Additional Information

  • श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
  • रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है उसे स्थायी भाव होता है। 
  • रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
  • रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है। 
  • काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है। 
  • संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।

वीभत्स रस Question 5:

'वीभत्स रस' का स्थायी भाव इनमें से कौन सा है?

  1. हास
  2. जुगुप्सा
  3. शोक
  4. निर्वेद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : जुगुप्सा

वीभत्स रस Question 5 Detailed Solution

'वीभत्स रस' का स्थायी भाव जुगुप्सा है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 2 ‘जुगुप्सा​’ है।

  Key Points

वीभत्स रस

वीभत्स का स्थायी भाव जुगुप्सा है। अत्यंत गंदे और घृणित दृश्य वीभत्स रस की उत्पत्ति करते हैं। गंदी और घृणित वस्तुओं के वर्णन से जब घृणा भाव पुष्ट होता है तब यह रस उत्पन्न होता है।

 

रस का नाम 

वीभत्स रस

स्थाई भाव 

जुगुप्सा

आलम्बन 

घृणास्पद वस्तु या कार्य, माँस, रक्त, अस्थि, श्मशान, दुर्गन्ध।

उद्दीपन 

आलम्बन के कार्य, रक्त, माँस आदि का सङना, कुत्ते-गिद्ध आदि द्वारा शव नोंचना।

अनुभाव 

मुँह मोङना, नाक-आँख बंद करना, थूकना।

संचारी भाव 

मोह, असूया, अपस्मार, आवेग, व्याधि जङता आदि।

 

Important Points

स्थायी भाव - मानव हृदय में, कुछ भाव स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं। इन्हें स्थायी भाव कहते हैं। स्थायी भाव की परिपक्व अवस्था ही रस है। ये 9 हैं, अतः रस भी 9 माने गये हैं।

स्थायी भाव

रस

1. रति

श्रृंगार

2. हास

हास्य

3. शोक

करुण

4. उत्साह

वीर

5. क्रोध

रौद्र

6. भय

भयानक

7. जुगुप्सा  (घृणा)

वीभत्स

8. विस्मय

अद्भुत

9. निर्वेद (वैराग्य)

शान्त

Additional Information

रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

 

वीभत्स रस Question 6:

दिए गए विकल्पों में जुगुप्सा' किसका स्थायी भाव है?

  1. वीभत्स रस
  2. हास्य रस
  3. शृंगार रस
  4. वात्सल्य रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वीभत्स रस

वीभत्स रस Question 6 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 1 वीभत्स रस ’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

Key Points

रस

परिभाषा

वीभत्स रस

 वीभत्स रस घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है. ... जिन वस्तुओं के वर्णन से मनुष्य के अन्दर घृणा का भाव आये जैसे मांस, पीत (मवाद), खून इत्यादि।

 

अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

शृंगार  रस

 

इस रस में नायक  नायिका के मिलन की स्थिति का वर्णन होता आई। इसके दो भेद हैंसंयोग और वियोग। जैसे - बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, सौंह करें, भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाए। (संयोग)

भूषण वसन विलोकत सीय के प्रेम विवस मन कंप, पुलक तनु नीरज नीर भाए पिय के। (वियोग)

करुण रस

किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था।

जैसे – सोक विकल सब रोंवही रानी। रूपु सीलु बलु तेज बखानी। करहिं मिलाप अनेक प्रकार। परहिं भूमि तल बारहिं बारा।

वात्सल्य रस

वत्सल का दूसरा अर्थ प्रेम है। परन्तु यह प्रेम श्रृंगार रस की भाँती प्रेमियों या दांपत्य पर आधारित ना होकर प्रेम वत्सलता - पुत्र स्नेह, मानव स्नेह, भागवत प्रेम तक है।

जैसे – मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो, बाल ग्वाल सब पीछे परिके बरबस मुख लपटायो।

 

Additional Information

रस

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस और उनके स्थायीभाव -

रस

स्थायी भाव

शृंगार रस

रति

हास्य रस

हास

करुण रस

शोक

रौद्र रस

क्रोध

वीर रस

उत्साह

भयानक रस

भय

वीभत्स रस

जुगुप्सा

अद्भुत रस

विस्मय

शांत

निर्वेद

 

इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-

वात्सल्य

स्नेह

भक्ति

वैराग्य

वीभत्स रस Question 7:

रक्त, मांस एवं दुर्गन्ध से जुगुप्ता जाग्रता होती है। इस कथन में परिपक्व रस है -

  1. वीर रस
  2. रौद्र रस
  3. भयानक रस
  4. वीभत्स रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वीभत्स रस

वीभत्स रस Question 7 Detailed Solution

  • जब काव्य में घृणित वस्तुओं जो देखकर या उनके बारे मे सुन कर जुगुप्सा स्थायी भाव विभाव अनुभाव और संचारी भावों के संयोग से परिपक्व अवस्था मे पहुँच कर वीभत्स रास परिणित होरा है|
  • सड़ा माँस, वमन आदि इसके आलम्बन विभाव हैं|
  • कीड़े पड़ना, दुर्दन्ध, आदि उद्दीपन विभाव हैं|
  • घृणा करना, नाक सिकोड़ना, मुँह सिकोड़ने, थूकना आदि अनुभाव है|
  • आवेग, जड़ता, व्याधि, अप्सपार, निर्वेद, ग्लानि आदि संचारी भाव हैं|
  • जुगुप्सा स्थायी भाव है|
  • Key Points

    • वीभत्स रस का स्थायी भाव ‘जुगुप्सा’ है।
    • घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस है

    Additional Information

    रस

    काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

    रस और उनके स्थायी भाव -

     

    रस

    स्थायी भाव

    1.

    शृंगार रस

    रति

    2.

    हास्य रस

    हास

    3.

    करुण रस

    शोक

    4.

    रौद्र रस

    क्रोध

    5.

    वीर रस

    उत्साह

    6.

    भयानक रस

    भय

    7.

    वीभत्स रस

    जुगुप्सा

    8.

    अद्भुत रस

    विस्मय

    9.

    शांत

    निर्वेद

वीभत्स रस Question 8:

वीभत्स रस 

का स्थायी भाव है ?

  1. क्रोध
  2. निर्वेद
  3. जुगुप्सा
  4. रति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : जुगुप्सा

वीभत्स रस Question 8 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 जुगुप्सा’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

Key Points

  • स्थायी भावसाहित्य में वे मूल तत्व जो मूलतः मनुष्यों के मन में प्रायः सदा निहित रहते और कुछ विशिष्ट अवसरों पर अथवा कुछ विशिष्ट कारणों से स्पष्ट रूप से प्रकट होते हैं।
    जैसे–प्रेम, हर्ष या उससे उत्पन्न होनेवाला हास्य, खेद, दुःख, शोक, भय, वैराग्य आदि।
  • वीभत्स रस जुगुप्सा स्थाई भाव जब अनुभाव (प्रभाव), विभाव (भाव को प्रकट करने वाला कारण) आदि के द्वारा परिपक्व अवस्था में पहुंच जाए।
    जैसे – सिर पर बैठ्यो काग आँख दोउ खात निकारत खीचत जीभाहिं स्यार अतिहि आनंद उर धारत। गीध जांघि को खोदि-खोदि कै मांस उपारत स्वान आंगुरित काटी-काटी कै खात विदारत।

 

Additional Information

रस

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

 

रस और उनके स्थायीभाव -

रस

स्थायी भाव

शृंगार रस

रति

हास्य रस

हास

करुण रस

शोक

रौद्र रस

क्रोध

वीर रस

उत्साह

भयानक रस

भय

वीभत्स रस

जुगुप्सा

अद्भुत रस

विस्मय

शांत

निर्वेद

 

इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
 

वात्सल्य

स्नेह

भक्ति

वैराग्य

वीभत्स रस Question 9:

उल्लेखित पंक्तियों में से वीभत्स रस वाली पंक्ति को चुनिए -

  1. एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराया विकल बटोही बीच ही, परयो मूरछा खाया
  2. एक दिन न्यूर्यार्क भी मेरी तरह हो जाएगा जिसने मिटाया है मुझे, वह भी मिटाया जाएगा
  3. स्वान अंगुरिन काटि – काटि कै खात विदारता सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारता
  4. हाथी जैसी चाल है, गैंडे जैसी खाला तरबूजे सी खोपड़ी, खरबूजे सी गाला

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : स्वान अंगुरिन काटि – काटि कै खात विदारता सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारता

वीभत्स रस Question 9 Detailed Solution

  • वीभत्स रस यहाँ सही विकल्प है, अन्य विकल्प असंगत हैI
  • “स्वान अंगुरिन काटि – काटि कै खात विदारता
  •              सिर पर बैठयो काग आँख दोउ खात निकारता”

    पंक्ति में वीभत्स रस के भाव प्रकट हो रहे हैI वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा होता है।

    विशेष:

    घृणित विचार वालो या घृणित विचारो को लिखना ही वीभत्स रस कहलाता हैI

वीभत्स रस Question 10:

‘जुगुप्सा’ किस रस का स्थायी भाव है?

  1. श्रृंगार
  2. वीभत्स
  3. वात्सल्य
  4. करुण

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वीभत्स

वीभत्स रस Question 10 Detailed Solution

श्रृंगार रस’ का स्थायी भाव रति है, ‘वीभत्स रस’ का स्थायी भाव जुगुप्सा है, ‘वात्सल्य रस’ का स्थायी भाव है वत्सल तथा ‘करुण रस’ का स्थायी भाव शोक है| अतः सही विकल्प वीभत्स है|

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