नयी कविता (1960 के बाद) MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for नयी कविता (1960 के बाद) - मोफत PDF डाउनलोड करा
Last updated on Mar 29, 2025
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नयी कविता (1960 के बाद) Question 1:
अज्ञेय की कविता नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
नयी कविता (1960 के बाद) Question 1 Detailed Solution
कालिदास अज्ञेय की कविता नहीं है।
Key Points
- प्रकाशन वर्ष-1959 ई.
- विधा-काव्य
- रचनाकार-नागार्जुन
Important Points
- इस कविता में नागार्जुन संस्कृत के महाकवि कलिदास के माध्यम से कविता की रचना की बात करते हैं।
- कालिदास जी ने अपने काव्यों में जिन पात्रों की पीड़ा को अपने हृदय में अनुभव किया उन्हीं पात्रों का उदाहरण नागार्जुन ने दिया है।
- कालिदास कविता का प्रथम अनुच्छेद 'रघुवंश' महाकाव्य के प्रसंग पर आधारित है।
Additional Informationअज्ञेय की रचनाएँ-
रचना | प्रकाशन वर्ष | विधा |
कलगी बाजरे की | 1949 ई. | काव्य |
यह दीप अकेला | 1953 ई. | काव्य |
साँप | 1954 ई. | काव्य |
नयी कविता (1960 के बाद) Question 2:
धूमिल की कविताओं का संगत वर्ग कौन-सा है?
Answer (Detailed Solution Below)
नयी कविता (1960 के बाद) Question 2 Detailed Solution
धूमिल की कविताओं का संगत वर्ग है : "मोचीराम, रोटी और संसद, अकाल दर्शन, नक्सलवाड़ी"
Key Pointsसुदामा पाण्डेय धूमिल -
- सुदामा पाण्डेय धूमिल हिंदी की समकालीन कविता के दौर के मील के पत्थर सरीखे कवियों में एक है।
- उनकी कविताओं में आजादी के सपनों के मोहभंग की पीड़ा और आक्रोश की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति मिलती है।
- व्यवस्था जिसने जनता को छला है, उसको आइना दिखाना मानों धूमिल की कविताओं का परम लक्ष्य है।
- धूमिल के तीन काव्य-संग्रह प्रकाशित हैं-
- संसद से सड़क तक - 1972
- कल सुनना मुझे - 1976
- सुदामा पांडे का प्रजातंत्र - 1984
- धूमिल की कुछ सबसे लोकप्रिय कविताएँ हैं-
- मोचीराम
- बीस साल बाद
- पटकथा
- रोटी और संसद
- लोहे का स्वाद
Important Pointsनागार्जुन के प्रमुख कविता संग्रह -
- युगधारा - 1953
- सतरंगे पंखों वाली - 1959
- प्यासी पथराई आँखें - 1962
- तालाब की मछलियाँ - 1974
- तुमने कहा था - 1980
भवानीप्रसाद मिश्र के प्रमुख कविता संग्रह -
- गीत फरोश
- चकित है दुख
- गान्धी पंचशती
- बुनी हुई रस्सी
- खुशबू के शिलालेख
केदारनाथ सिंह के प्रमुख कविता संग्रह -
- अभी बिल्कुल अभी - 1960
- जमीन पक रही है - 1980
- यहाँ से देखो - 1983
- अकाल में सारस - 1988
Additional Information
- शासन की बंदूक - नागार्जुन
- सतपुड़ा के जंगल - भवानीप्रसाद मिश्र
- रोटी - केदारनाथ सिंह
नयी कविता (1960 के बाद) Question 3:
वंचना है चांदनी सित, झूठ वह आकाश का निरवधि गहन विस्तार, शिशिर की राका निशा की, शांति है निस्सार' पंक्तियाँ किस काल' से जुड़ी हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
नयी कविता (1960 के बाद) Question 3 Detailed Solution
यह पंक्तियाँ नई कविता से जुडी हैं।
Key Points नई कविता-
- नयी कविता आंदोलन की शुरुआत इलाहाबाद की साहित्यिक संस्था परिमल के कवि लेखकों- जगदीश गुप्त, रामस्वरुप चतुर्वेदी और विजयदेव नारायण साही के संपादन में 1948 में प्रकाशित नयी कविता (पत्रिका) से माना जाता है।
- इससे पहले अज्ञेय के संपादन में प्रकाशित काव्य-संग्रह 'दूसरा सप्तक' की भूमिका तथा उसमें शामिल कुछ कवियों के वक्तव्यों में अपनी कवितओं के लिये 'नयी कविता' शब्द को स्वीकार किया गया था।
- नयी कविता हिन्दी साहित्य में सन् 1949 के बाद की उन कविताओं को कहा गया, जिनमें परंपरागत कविता से आगे नये भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ ही नये मूल्यों और नये शिल्प-विधान का अन्वेषण किया गया।
- यह प्रयोगवाद के बाद विकसित हुई हिन्दी कविता की नवीन धारा है।
Additional Information छायावादी-
- छायावाद हिंदी साहित्य के रोमांटिक उत्थान की वह काव्य-धारा है जो लगभग ई.स. 1918 से 1936 तक की प्रमुख युगवाणी रही।
- जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला', सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा छायावाद के स्तंभ माने जाते हैं।
- छायावाद नामकरण का श्रेय मुकुटधर पाण्डेय को जाता है।
प्रयोगवादी-
- प्रयोगवाद 1943 से 1953 के बीच का दौर है।
- प्रयोगवाद हिंदी साहित्य में कविता की उस प्रवृत्ति का जिक्र अज्ञेय ने दूसरा सप्तक की भूमिका में किया था।
- प्रयोग अपने आप में इष्ट नहीं है बल्कि वह साधन और दोहरा साधन है। वह एक ओर तो सत्य को जानने का साधन है दूसरी तरफ वह उस साधन को भी जानने का साधन है।
- प्रयोगवाद में कविता में शिल्प और संवेदना के स्तर पर सर्वथा नवीन प्रयोग मिलते हैं।
- प्रयोगवाद ने साहित्य में पहली बार व्यक्तिक अस्मिता, निजी व्यक्तित्व और निजता को बहुत महत्व दिया।
- इसमें क्षण को महत्व देकर जीवन को भरपूर ढंग से जीने की चाह है।
- प्रयोगवादी कवि व्यक्तिक प्रेम की सहज स्वीकृति पर बल देता है।
अकविता-
- जगदीश चतुर्वेदी अकविता आन्दोलन के प्रवर्तक माने जाते है।
-
अकविता साहित्यिक मानकों को अस्वीकार कर चलने वाली नए रूप-प्रारूप की हिंदी कविता जो ‘नई कविता’ के बाद शुरू हुई।
नयी कविता (1960 के बाद) Question 4:
नई कविता के कवियों के लिए 'राहों के अन्वेषी' किसने कहा है ?
Answer (Detailed Solution Below)
नयी कविता (1960 के बाद) Question 4 Detailed Solution
नई कविता के कवियों के लिए 'राहों के अन्वेषी' अज्ञेय ने कहा।Key Points
अज्ञेय-
- जन्म-(1911-1987)
- अज्ञेय ललित-निबन्धकार, सम्पादक और अध्यापक के रूप में जाने जाते है।
- प्रयोगवाद और नई कविता को हिंदी साहित्य में इन्होने प्रतिष्ठित किया।
प्रमुख रचनाएँ-
- कहानियाँ:-विपथगा 1937, परम्परा 1944, कोठरी की बात 1945, शरणार्थी 1948, जयदोल 1951
- उपन्यास:-शेखर एक जीवनी- प्रथम भाग(उत्थान)1941, द्वितीय भाग(संघर्ष)1944, नदी के द्वीप 1951, अपने अपने अजनबी 1961
- यात्रा वृतान्त:- अरे यायावर रहेगा याद? 1953,एक बूँद सहसा उछली 1960 आदि।
Additional Information जगदीश गुप्त-(1924-2001)
- जगदीश गुप्त शिक्षाविद तथा हिन्दी के आधुनिक कवि थे। हिन्दी कविता में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान है।
प्रमुख रचनाएँ-
- नाव के पाँव
- शम्बूक
- आदित्य एकान्त
- हिम-विद्ध
- शब्द-दंश
- युग्म
- गोपा गौतम आदि।
भवानी प्रसाद-(1913-1985)
- भवानी प्रसाद मिश्र हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक थे।
- वे 'दूसरा सप्तक' के प्रथम कवि हैं।
प्रमुख रचनाएँ-
- गीत-फ़रोश
- चकित है दुख
- गांधी पंचशती
- अंधेरी कविताएँ
- बुनी हुई रस्सी आदि।
भारतभूषण अग्रवाल-(1910-1975)
- कवि, लेखक और समालोचक के रूप में भारतभूषण अग्रवाल का नाम प्रसिद्ध हैं।
प्रमुख रचनाएँ-
- 'जागते रहो' (1942)
- 'मुक्तिमार्ग' (1947)
- 'ओ अप्रस्तुत मन'(1959) आदि।
नयी कविता (1960 के बाद) Question 5:
नई कविता' के प्रमुख कवि इनमें से कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
नयी कविता (1960 के बाद) Question 5 Detailed Solution
नई कविता' के प्रमुख कवि सचिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' हैं।
नई कविता की शुरुआत 1948ई. के बाद मानी जाती है।
Key Pointsअज्ञेय-
- जन्म-1911-1987ई.
- 'अज्ञेय' हिन्दी के सबसे चर्चित कवि, कथाकार, निबन्धकार, पत्रकार, सम्पादक, यायावर एवं अध्यापक रहे हैं।
- इन्हें कविता में नये प्रयोग के लिए जाना जाता है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- परम्परा 1944
- शेखर एक जीवनी- प्रथम भाग 1941 द्वितीय भाग(संघर्ष)1944
- नदी के द्वीप 1951 अपने अपने अजनबी 1961
- एक बूँद सहसा उछली 1960 आदि।
Additional Informationरामधारी सिंह 'दिनकर-
- जन्म-1908-1974ई.
- हिन्दी के प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
- 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये।
- प्रमुख रचनाएँ-
- रेणुका 1935ई.
- हुंकार 1938ई.
- रसवंती 1939ई.
- द्वन्दगीत 1940
- क्रुरुक्षेत्र 1946ई. आदि।
जयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937ई.
- हिन्दी के कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे।
- वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
- प्रमुख रचनाएँ-
- प्रेमपथिक 1914 ई.
- झरना 1918ई.
- आँसूं 1924ई.
- महाराणा का महत्त्व 1914ई. आदि।
निराला-
- जन्म-1899-1961ई.
- छायावाद के स्तम्भ एवं प्रसिद्ध कवि,कहानीकार एवं निबंधकार थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- बेला 1946ई.
- नये पत्ते 1946ई.
- अर्चना 1950ई.
- आराधना 1953ई. आदि।
नयी कविता (1960 के बाद) Question 6:
नयी कविता की प्रवृत्तियों में सम्मिलित नहीं है-
Answer (Detailed Solution Below)
नयी कविता (1960 के बाद) Question 6 Detailed Solution
नयी कविता की प्रवृत्तियों में सम्मिलित नहीं है- जीवन के प्रति इसमें आस्था है।
Key Points नयी कविता-
- नयी कविता हिन्दी साहित्य में सन् 1951 ई. के बाद की उन कविताओं को कहा गया,
- जिनमें परंपरागत कविता से आगे नये भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ ही नये मूल्यों और नये शिल्प-विधान का अन्वेषण किया गया।
- यह प्रयोगवाद के बाद विकसित हुई हिन्दी कविता की नवीन धारा है।
- नयी कविता में 'कैक्टसवाद' का जन्म होता है।
- नयी कविता में कैक्टस प्रतीक रूप में अपनाया गया है, जो अदम्य उत्साह, जीवनाकांक्षा और अनगढ़ता का प्रतीक है।
Important Points
- दूसरे सप्तक' के प्रकाशन वर्ष 1951 ई. से “नयी कविता' का प्रारंभ माना जाता है।
- अज्ञेय को 'नयी कविता का भारतेन्दु' कह सकते हैं ।
- इसमें व्यक्ति का चित्रण वर्गीय चेतना के दायरे में किया गया है।
- यह जीवन-मूल्यों की पुनः परीक्षा करती है।
- “नयी कविता' में दो प्रमुख तत्व - (1) अनुभूति की प्रामाणिकता और (2) बुद्धिमूलक यथार्थवादी दृष्टि।
नई कविता के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ
- भवानी प्रसाद मिश्र-
- रचनाएँ; सन्नाटा, गीत फरोश, चकित है दुःख।
- कुंवर नारायण-
- रचनाएँ; चक्रव्यूह, आमने-सामने, कोई दूसरा नही।
- शमशेर बहादुर सिंह-
- रचनाएँ; काल तुझ से होड़ है मेरी, इतने पास अपने, बात बोलेगी हम नहीं।
- जगदीश गुप्त-
- रचनाएँ; नाव के पाँव, शब्द दंश, बोधि वृक्ष, शम्बूक।
- दुष्यंत कुमार-
- रचनाएँ; सूर्य का स्वागत, आवाजों के घेरे, साये में धूप।
- श्रीकांत वर्मा-
- रचनाएँ; दिनारम्भ, भटका मेघ, माया दर्पण, मखध।
- रघुवीर सहाय-
- रचनाएँ; हँसो-हँसो जल्दी हँसो, आत्म हत्या के विरुद्ध।
- नरेश मेहता-
- रचनाएँ; वनपांखी सुनों, बोलने दो चीड़ को, उत्सव।
Additional Information नयी कविता की विशेषताएँ-
- कथ्य की व्यापकता
- अनुभूति की प्रमाणिकता
- लघुमानववाद,
- क्षणवाद तथा तनाव व द्वन्ध
- मूल्यों की परीक्षा
- लोक-सम्पृक्ति
- काव्य संरचना
- काव्य-भाषा-बातचीत की भाषा, शब्दों पर जोर
- नये उपमान, नये प्रतीक, नये बिम्बों का प्रयोग
नयी कविता (1960 के बाद) Question 7:
इनमें से कौन सी रचनाएँ लीलाधर जगूड़ी की हैं?
A. इस यात्रा में
B. दीवार पर खून से
C. भय भी शक्ति देता है
D. रंग खतरे में है
E. नाटक जारी है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
नयी कविता (1960 के बाद) Question 7 Detailed Solution
लीलाधर जगूड़ी के रचनाएं - A, C, E
Key Points
लीलाधर जगूड़ी -
- जन्म - 1940 ई.
- जन्म स्थान - उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले में
- मुख्य -
- लीलाधर जगूड़ी एक भारतीय शिक्षक,पत्रकार और हिंदी साहित्य के कवि है।
- अनुभव के आकाश में चांद (1997 ई.) के संकलन के लिए इन्हे साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
- भारत सरकार ने इन्हें हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए (2004 ई.)में चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया।
Important Points
लीलाधर जगूड़ी की रचनाएं -
- शंख मुखी शिखरों पर (1964 ई.)
- नाटक जारी है (1972 ई.)
- इस यात्रा में (1974 ई.)
- रात अब भी मौजुद है
- घबराए हुए शब्द
- बची हुई पृथ्वी पर
- अनुभव के आकाश में चांद
- भय भी शक्ति देता है
- महाकाव्य के बिना
- ईश्वर की अध्यक्षता में
- खबर का मुंह विज्ञापन से ढका है
Additional Information
रंग खतरे में-
- रचनाकार - कुमार विकल
- विधा - कविता संग्रह
- कुमार विकल के अन्य कविता संग्रह-
- संपूर्ण कविताएं
- एक छोटी सी लड़ाई
- निरुपमा दत में बहुत उदास हूं।
- आओ पहल करें
- शब्दों की हिफाजत के लिए।
दीवार पर खून से-
- रचनाकार - चंद्रकांत देवताले
- प्रकाशन वर्ष - 1975 ई.
- रचनाएं –
- हड्डियों में छिपा ज्वर (1973 ई.)
- लकड़बग्घा हँस रहा है (1980 ई.)
- रोशनी मैदान की तरफ (1982 ई.)
- उजड़ में संग्रहालय (2003 ई.)
- पत्थर फ्रैंक रहा हूँ (2010 ई.)- इस पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
नयी कविता (1960 के बाद) Question 8:
निम्न मे से कौन से रचनाकार नवगीतकार हैं-
A. शंभुनाथ सिंह
B. बिहारी लाल हरित
C. राजेन्द्र प्रसाद सिंह
D. रमानाथ अवस्थी
E. नरेंद्र जैन
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन करें-
Answer (Detailed Solution Below)
नयी कविता (1960 के बाद) Question 8 Detailed Solution
नवगीतकार हैं-
- A. शंभुनाथ सिंह
- C. राजेन्द्र प्रसाद सिंह
- D. रमानाथ अवस्थी
Key Pointsशंभुनाथ सिंह-
- जन्म- 1916-1991 ई.
- काव्य रचनाएं-
- रूप रश्मि(1941 ई.)
- छायालोक(1945 ई.)
- समय की शिला पर(1968 ई.) आदि।
राजेन्द्र प्रसाद सिंह-
- जन्म- 1930-2007 ई.
- काव्य रचनाएं-
- गीतांगिनी(1958 ई.)
- भूमिका(1950 ई.)
- भरी सड़क पर(1980 ई.) आदि।
रामनाथ अवस्थी-
- जन्म- 1927-1999 ई.
- काव्य रचनाएं-
- हंस अकेला(2002 ई.)
- आग और पराग
- सुमन सौरभ
- राख और शहनाई आदि।
Important Pointsनरेंद्र जैन-
- जन्म-1948 ई.
- काव्य रचनाएं-
- दरवाजा खुलता है(1980 ई.)
- यह मैं हूँ पत्थर(1984 ई.)
- चौराहे पर लोहार आदि।
बिहारी लाल हरित-
- जन्म-1910-1999 ई.
- काव्य रचनाएं-
- अछूतों का पैगंबर(1946 ई.)
- भीमायण(1973 ई.)
- चमार हूँ मैं(1975 ई.) आदि।
नयी कविता (1960 के बाद) Question 9:
संगतकार मुख्य गायक के स्वर की तुलना में अपना स्वर धीमा क्यों रखता है?
Answer (Detailed Solution Below)
नयी कविता (1960 के बाद) Question 9 Detailed Solution
सही उत्तर है - मुख्य गायक के प्रति आदर का भाव होने के कारण।
Key Points
- मुख्य गायक के प्रति आदर का भाव होने के कारण संगतकार अपना स्वर उससे धीमा रखता है।
- किन्तु उसकी धीमी आवाज़ को या उसकी हिचक को उसकी कमज़ोरी नहीं समझना चाहिए।
- यह उसकी मनुष्यता है।
Important Points
- पाठ:- संगतकार।
- रचयिता:- मंगलेश डबराल।
- विधा:- कविता।
Additional Informationमंगलेश डबराल-
- जन्म- 1948-2020 ई.
- हिन्दी की आधुनिक कविता के अत्यंत सम्मानीय और शीर्ष रचनाकारों में से एक हैं।
- हिन्दी कविता को नये अनुभवों से सम्पन्न किया है।
- अन्य काव्य संग्रह-
- पहाड़ पर लालटेन (1981)
- घर का रास्ता (1988)
- हम जो देखते हैं (1995)
- आवाज भी एक जगह है (2004)
- नये युग में शत्रु। (2013)
नयी कविता (1960 के बाद) Question 10:
संगतकार की मनुष्यता का परिचायक क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
नयी कविता (1960 के बाद) Question 10 Detailed Solution
सही उत्तर है - अपने स्वर को जानबूझ कर मुख्य गायक से ऊँचा न उठाना।
Key Points
- संगतकार कविता में कवि बताता है कि संगतकार की दबी आवाज़ उसकी कमज़ोरी नहीं है।
- उसकी आवाज़ में जो हिचक है वह इसलिए नहीं कि वह कमज़ोर है।
- वह उसकी मनुष्यता है, उसे उसकी विफलता नहीं समझना चाहिए।
Important Pointsसंगतकार कविता का सार-
- संगतकार के माध्यम से कवि उस वर्ग की ओर संकेत करना चाहता है जिसके सहयोग के बिना कोई भी व्यक्ति ऊँचाई के शिखर को प्राप्त नहीं कर सकता है।
- जैसे संगतकार मुख्य गायक के साथ मिलकर उसके सुरों में अपने सुरों को मिलाकर उसके गायन में नई जान फूँकता है और उसका सारा श्रेय मुख्य गायक को ही प्राप्त होता है।
Additional Informationमंगलेश डबराल-
- जन्म- 1948-2020 ई.
- हिन्दी की आधुनिक कविता के अत्यंत सम्मानीय और शीर्ष रचनाकारों में से एक हैं।
- हिन्दी कविता को नये अनुभवों से सम्पन्न किया है।
- अन्य काव्य संग्रह-
- पहाड़ पर लालटेन (1981)
- घर का रास्ता (1988)
- हम जो देखते हैं (1995)
- आवाज भी एक जगह है (2004)
- नये युग में शत्रु। (2013)