स्थायी भाव MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for स्थायी भाव - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക
Last updated on Mar 21, 2025
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स्थायी भाव Question 1:
निम्नलिखित में से "उत्साह" किस रस का स्थायी भाव है?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 1 Detailed Solution
उत्साह वीर रस का स्थायी भाव है।
- वीर रस - जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
- स्थायी भाव - उत्साह
उदाहरण -
- साजि चतुरंग सैन अंग उमंग धारि
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है।
भूषन भनत नाद बिहद नगारन के
नदी नाद मद गैबरन के रलत हैं।।
- बुन्देलों हरबोलो के मुह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
- सत्य कहता हूँ सखे, सुकुमार मत जानों मुझे,
यमराज से भी युद्ध में, प्रस्तुत सदा मानो मुझे।
और कि तो बात क्या, गर्व मैं करता नही,
मामा तथा निज तात से भी युद्ध में डरता नहीं।।
- क्रुद्ध दशानन बीस भुजानि सो लै कपि रिद्द अनी सर बट्ठत।
लच्छन तच्छन रक्त किये, दृग लच्छ विपच्छन के सिर कट्टत।।
Key Pointsअन्य विकल्पों के स्थायी भाव व उनके उदाहरण -
- शांत रस - निर्वेद
- तपस्वी! क्यों इतने हो क्लांत,
वेदना का यह कैसा वेग?
आह! तुम कितने अधिक हताश
बताओ यह कैसा उद्वेग?
- तपस्वी! क्यों इतने हो क्लांत,
- करुण रस - शोक
- सीता गई तुम भी चले मै भी न जिऊंगा यहाँ
सुग्रीव बोले साथ में सब जाएँगे वानर वहाँ।
- सीता गई तुम भी चले मै भी न जिऊंगा यहाँ
- हास्य रस - हास
- हाथी जैसा देह, गैंडे जैसी चाल।
तरबूजे-सी खोपड़ी, खरबूजे-सी गाल॥
- हाथी जैसा देह, गैंडे जैसी चाल।
Additional Informationरस के अवयव -
- स्थायी भाव - स्थायी भाव सुप्त अवस्था में सदैव सहृदय व्यक्ति के हृदय में विद्यमान रहते हैं, जो की अवसर आने पर वह जाग्रत होते हैं रस के रूप में परिणत होते हैं।
- विभाव - जिसके द्वारा (व्यक्ति, पदार्थ आदि) स्थायी भाव उद्दीप्त हो।
- विभाव के अंग - आलंबन विभाव और उद्दीपन विभाव
- अनुभाव - आलंबन और उद्दीपन द्वारा रस की उत्पत्ति को पुष्ट करनेवाले भाव।
- संचारी अथवा व्यभिचारी भाव - जो भाव स्थायी भावों को अधिक पुष्ट करते हैं, व तत्काल बनते एवं मिटते हैं उन्हें ही संचारी भाव कहा जाता है।
- संचारी भावों की संख्या 33 मानी गई है।
रस के स्थायी भाव -
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
रौद्र | क्रोध |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
अद्भुत | आश्चर्य |
वीभत्स | जुगुप्सा |
शांत | निर्वेद |
वात्सल्य | वत्सलता |
भक्ति | देवविषयक रति/दास्य |
स्थायी भाव Question 2:
शांत रस का स्थायी भाव है-
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 2 Detailed Solution
शांत रस का स्थायी भाव है- 'निर्वेद'
- ज्ञान की प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने के पश्चात जब मनुष्य को न सुख-दुःख और न किसी से द्वेष-राग होता है,
- तो ऐसी मनोस्थिति में मन में उठा विभाव शांत रस कहलाता है।
उदाहरण-
- मन रे तन कागज का पुतला,
- लगे बुद विनसि जाए झण में, गरब करै क्यों इतना।
- (व्याख्या:- प्रस्तुत पंक्ति कबीर दास की है। इस पंक्ति के माध्यम से कहा गया है
- कि हे मनुष्य तुम किस बात पर गर्व करते हो। जो यह शरीर को और अपने जीवन को लेकर यूं ही जो मदमस्त रहते हो।
- यह कुछ काम नहीं आएगा, यह तन एक कागज का पुतला है।)
Key Pointsरस एवं उनके स्थायी भाव-
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानव | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य |
शांत | निर्वेद |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | वत्सल |
भक्ति रस | अनुराग |
Additional Informationरस:-
- काव्य पढ़ने या नाटक देखने से जो विशेष प्रकार का आनंद प्राप्त होता है उसे रस कहा गया है।
- रस का विवेचन सर्वप्रथम भरत मुनि ने अपने ग्रन्थ नाट्य शास्त्र में किया था।
स्थायी भाव Question 3:
‘प्रिय-पति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है। दु:ख-जलनिधि डूबी का सहारा कहाँ है।’ - इस काव्य पंक्ति में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 3 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 'करुण रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
- ‘प्रिय-पति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है। दु:ख-जलनिधि डूबी का सहारा कहाँ है।’ इस काव्य पंक्ति में करुण रस है।
- इसका स्थायी भाव 'शोक' है।
- किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं, वहाँ करुण रस होता है।
- दी गई काव्य पंक्ति में पति के जाने से शोक उत्पन्न हो रहा है यही करुण रस है।
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
स्थायी भाव Question 4:
उत्साह किस रस का स्थायी भाव क्या होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 4 Detailed Solution
- वीर रस - जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
- स्थायी भाव - उत्साह
उदाहरण - साजि चतुरंग सैन अंग उमंग धारि
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है।
भूषन भनत नाद बिहद नगारन के
नदी नाद मद गैबरन के रलत हैं॥
- हास्य रस - हास
- करुण रस - शोक
- शृंगार रस - रति
Additional Informationरस के अवयव -
- स्थायी भाव - स्थायी भाव सुप्त अवस्था में सदैव सहृदय व्यक्ति के हृदय में विद्यमान रहते हैं, जो की अवसर आने पर वह जाग्रत होते हैं रस के रूप में परिणत होते हैं।
- विभाव - जिसके द्वारा (व्यक्ति, पदार्थ आदि) स्थायी भाव उद्दीप्त हो।
- विभाव के अंग - आलंबन विभाव और उद्दीपन विभाव
- अनुभाव - आलंबन और उद्दीपन द्वारा रस की उत्पत्ति को पुष्ट करनेवाले भाव।
- संचारी अथवा व्यभिचारी भाव - जो भाव स्थायी भावों को अधिक पुष्ट करते हैं, व तत्काल बनते एवं मिटते हैं उन्हें ही संचारी भाव कहा जाता है।
- संचारी भावों की संख्या 33 मानी गई है।
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
रौद्र | क्रोध |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
अद्भुत | आश्चर्य |
वीभत्स | जुगुप्सा |
शांत | निर्वेद |
वात्सल्य | वत्सलता |
भक्ति | देवविषयक रति/दास्य |
स्थायी भाव Question 5:
आश्चर्य किस रस का स्थायी भाव होता है ?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 5 Detailed Solution
आश्चर्य "अद्भुत रस" का स्थायी भाव है। अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
रस | परिभाषा | उदाहरण |
अद्भुत रस | भारतीय काव्य शास्त्र के विभिन्न रसों में से एक है, इसका स्थायी भाव आश्चर्य होता है। जब किसी जीव के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि का भाव उत्पन्न होता है , उसे अद्भुत रस कहा जाता है। इसका स्थायी भाव आश्चर्य है। |
अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु। चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।। |
रस- रस एक प्रकार का आनन्द है, काव्य पढ़ने या नाटक देखने से जो विशेष प्रकार का आनन्द प्राप्त होता है। उसे रस कहा जाता है। हिन्दी में 'स्थायी भाव' के आधार पर काव्य में नौ रस बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं:- |
क्रम संख्या | रस | स्थायी भाव |
1. | श्रृंगार रस | रति |
2. | हास्य रस | हास |
3. | करूण रस | शोक |
4. | रौद्र रस | क्रोध |
5. | वीर रस | उत्साह |
6. | भयानक रस | भय |
7. | वीभत्स रस | जुगुप्सा |
8. | अद्भुत रस | विस्मय |
9. | शांत रस | निर्वेद |
इसके अलावा दो रस और माने जाते हैं। वे हैं-
10. | वात्सल्य रस | वात्सल्य |
11. | भक्ति रस | वैराग्य |
स्थायी भाव Question 6:
वीर रस का स्थायी भाव है
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 6 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 'उत्साह' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- वीर सर का स्थायी भाव 'उत्साह' होता है।
- अत्यन्त कठिन कार्य करने के उत्साह से रस की उत्पत्ति होती है। वीर रस के चार प्रकार हैं - युद्धवीर, दानवीर, दयावीर और धर्मवीर।
- उदाहरण - बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। - अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
स्थायी भाव Question 7:
निम्नलिखित में से किस रस का स्थायी भाव 'रति' है?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 7 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 ‘शृंगार रस’ है। अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- दिए गए विकल्पों में 'रति' शृंगार रस का स्थायी भाव है।
- शृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है।
- शृंगार रस के अंतर्गत नायिकालंकार, ऋतु तथा प्रकृति का भी वर्णन किया जाता है।
- नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस की अवस्था को पहुँचकर आस्वादन के योग्य हो जाता है तो वह 'शृंगार रस' कहलाता है।
- इसके दो भेद हैं- संयोग शृंगार और वियोग ।
- संयोग शृंगार - बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, सौंह करें, भौंहनि हँसे, दैन कहे नटि जाए।
- वियोग शृंगार - भूषण वसन विलोकत सीय के प्रेम विवस मन कंप, पुलक तनु नीरज नीर भाए पिय के।
Additional Information
रस- काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रस कहा जाता है। |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
10.
|
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति | वैराग्य |
स्थायी भाव Question 8:
“रक्त मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है।
महा घोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।”
उपर्युक्त पंक्तियों में इनमें से कौन सा रस है ?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 8 Detailed Solution
"रक्त मास के सड़े पंक से उमड़ रही है,महा घोर दुर्गंध रुद्ध हो उठती श्वासा।" में वीभत्स रस है।
- उपर्युक्त पंक्तियों से घृणा एवं जुगुप्सा का भाव उत्पन्न हो रहा है।
- अतः इस वजह से यहां पर वीभत्स रस है।
- वीभत्स रस का स्थायी भाव घृणा एवं जुगुप्सा है।
भावार्थ
- खून और रक्त से सने हुए कीचड़ से बहुत तीव्र दुर्गंध आ रही है जिससे श्वास तक रुद्ध हो रही है।
- रस :- वीभत्स रस
- स्थायी भाव :- जुगुप्सा
रस एवं उनके स्थायी भाव-
- शृंगार - रति
- करुण - शोक
- हास्य - हास
- वीर - उत्साह
- भयानव - भय
- रौद्र - क्रोध
- अद्भुत - आश्चर्य , विस्मय
- शांत – निर्वेद या निवृत्ति
- वीभत्स - जुगुप्सा
- वात्सल्य - रति
- भक्ति रस - अनुराग
अद्भुत रस का उदाहरण
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
- चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।।
रौद्र रस के उदाहरण
- सुनहूँ राम जेहि शिवधनु तोरा सहसबाहु सम सो रिपु, मोरा सो बिलगाउ बिहाइ समाजा न त मारे जइहें सब राजा।
करुण रस के उदाहरण
- सीस पगा न झगा तन में प्रभु, जानै को आहि बसै केहि ग्रामा।
- धोति फटी-सी लटी दुपटी अरु, पाँय उपानह की नहिं सामा॥
स्थायी भाव Question 9:
वीर रस का स्थायी भाव है-
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 9 Detailed Solution
वीर रस का स्थायी भाव 'उत्साह' होता है . सही उत्तर विकल्प 4 'उत्साह' है. अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं.
- वीर रस - वीर रस, नौ रसों में से एक प्रमुख रस है। जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
- वीर रस का स्थायी भाव 'उत्साह' होता है
अन्य विकल्प
- क्रोध - रोद्र
- भय - भयानक
- विस्मय - अद्भुत
Additional Information
रस के चार तत्व हैं-
- विभाव :- जो व्यक्ति, पदार्थ अथवा ब्राह्य विकार अन्य व्यक्ति के हृदय में भावोद्रेक करता है, उन कारणों को 'विभाव' कहा जाता है।
- अनुभाव :- आलम्बन और उद्यीपन विभावों के कारण उत्पत्र भावों को बाहर प्रकाशित करनेवाले कार्य 'अनुभाव' कहलाते है।
- व्यभिचारी या संचारी भाव :- मन में संचरण करनेवाले (आने-जाने वाले) भावों को 'संचारी' या 'व्यभिचारी' भाव कहते है।
- स्थायी भाव :- रस के मूलभूत कारण को स्थायी भाव कहते हैं।
स्थायी भाव Question 10:
"जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं । प्रेम गली अति सांकरी जामें दो न समाहीं ॥" इस पद में कौनसा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
स्थायी भाव Question 10 Detailed Solution
सही उत्तर विकल्प 1 शांत रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- उपरोक्त काव्य पंक्ति 'शांत रस’ की प्रतीत होती है।
- क्योंकि इन पंक्तियों में चित्रित किया गया है कि कबीर दास जी को ईश्वर की सत्ता से साक्षात्कार होने के बाद अहं से विरक्ति का भाव महसूस हुआ।
- कबीर दास ने लिखा है कि जब तक मन में अहंकार था तब तक ईश्वर का साक्षात्कार न हुआ, जब अहंकार (अहम) समाप्त हुआ तभी प्रभु मिले | जब ईश्वर का साक्षात्कार हुआ, तब अहंकार स्वत: ही नष्ट हो गया | ईश्वर की सत्ता का बोध तभी हुआ | प्रेम में द्वैत भाव नहीं हो सकता, प्रेम की संकरी (पतली) गली में केवल एक ही समा सकता है - अहम् या परम ! परम की प्राप्ति के लिए अहम् का विसर्जन आवश्यक है|
शांत रस |
शांति रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। |
चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय। दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। |
Additional Information
रस |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
रस और उनके स्थायी भाव -
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत |
निर्वेद |