प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन MCQ Quiz - Objective Question with Answer for प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन - Download Free PDF
Last updated on Mar 27, 2025
Latest प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन MCQ Objective Questions
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 1:
'बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है।' यह कथन किसका है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 1 Detailed Solution
'बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है।' यह कथन रामचन्द्र शुक्ल का है।
रामचन्द्र शुक्ल-
- "बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है। वाक्य रचना व्यवस्थित है और शब्दों के रूप का व्यवहार एक निश्चित प्रणाली पर है। यह बात बहुत कम कवियों में पाई जाती है।"
Key Pointsबिहारी-
- जन्म-1595-1663 ई.
- रीतिकाल की रीतिसिद्ध शाखा के प्रमुख कवि है।
- रचना-
- सतसई।
- जॉर्ज ग्रियर्सन-
- पूरे यूरोप में एक भी कवि बिहारी की बराबरी नहीं कर सकता।"
Important Pointsडॉ. नगेन्द्र-
- "कविता को व्यापक अर्थ में त्स् के साहित्य अथवा ललित वांग्मय को मैं मूलतः आत्माभिव्यक्ति ही मानता हूँ।"
बच्चन सिंह-
- "बिहारी का मन क्रीड़ापरक प्रेम में बहुत अच्छी तरह रमा था। यही कारण है कि इनके काव्य में सुरति चित्रों का अत्यधिक उल्लेख हुआ है। जिस हाव-योजना या भंगिमा वर्णन के लिए बिहारी की अत्यधिक प्रशंसा की जाती है उसके मूल में यही प्रवृत्ति समझनी चाहिए।"
हजारी प्रसाद द्विवेदी-
- "बिहारी सतसई सैकड़ो वर्षों से रसिकों का मन मोह रही है। यह उनके हृदय का हार बनी हुई है और बनी रहेगी।"
Additional Informationरामचन्द्र शुक्ल के अन्य कथन बिहारी के संदर्भ में-
- "किसी कवि का यश उसकी रचनाओं के परिणाम के हिसाब से नहीं गुण के हिसाब से होता है।"
- "यदि प्रबंध काव्य एक विस्तृत वनस्थली है तो मुक्तक एक चुना हुआ गुलदस्ता है।"
- "भावों का बहुत उत्कृष्ट और उदात्त स्वरूप बिहारी में नहीं मिलता। कविता उनकी शृंगारी है, पर प्रेम की उच्च भूमि पर नहीं पहुँचती, नीचे ही रह जाती है।"
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 2:
"कविता और कुछ नहीं होकर कवि की आत्मा प्रस्वेद होती है।"-यह कथन किसका आलोचक है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 2 Detailed Solution
"कविता और कुछ नहीं होकर कवि की आत्मा प्रस्वेद होती है।"-यह कथन रामधारी सिंह 'दिनकर' का है।
Key Pointsरामधारी सिंह 'दिनकर' -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- काव्य की भूमिका
- पंत प्रसाद और मैथिलीशरण गुप्त
- शुद्ध कविता की खोज
Additional Information
- "केशव को कवि ह्रदय नहीं मिला था" , -यह कथन रामचंद्र शुक्ल का है।
- "कला साहित्य काव्य रूप है और जीवन उसका अंत:स्वरूप" , -यह कथन शांतिप्रिय द्विवेदी का है।
Important Pointsरामचन्द्र शुक्ल -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- गोस्वामी तुलसीदास (1923)
- जायसी ग्रंथावली (1924)
- भ्रमरगीत सार (1925)
- हिंदी साहित्य का इतिहास (1929)
- काव्य में रहस्यवाद (1929)
- रस मीमांसा (1949)
हजारीप्रसाद द्विवेदी -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- सूर साहित्य (1930)
- हिंदी साहित्य की भूमिका (1940)
- कबीर (1942)
- हिंदी साहित्य का आदिकाल (1952)
- सहज साधना (1963)
- कालिदास की ललित योजना (1965)
- मध्य कालीनबोध का स्वरूप (1970)
शांतिप्रिय द्विवेदी -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- हमारे साहित्य निर्माता (1934)
- कवि और काव्य (1936)
- साहित्यिक (1938)
- संचारिणी (1939)
- युग और साहित्य (1941)
- सामयिकी (1944)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 3:
"स्वच्छन्द वृत्तिवालों की संवेदना अनेक प्रकार की हो सकती है। पर मध्यकाल के इन स्वच्छन्द कर्ताओं की संवेदना केवल प्रेम की संवेदना थी, ये 'प्रेम की पीर' के पक्षी थे।"
यह कथन किस आलोचक का है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 3 Detailed Solution
यह कथन आलोचक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र का है।
Key Pointsविश्वनाथ प्रसाद मिश्र-
- जन्म-1906-1982 ई.
- हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार, आलोचक एवं महान क्रन्तिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के परम मित्र थे।
- यह प्रख्यात साहित्यिक संस्था 'प्रसाद परिषद' के सभापति रहे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- हिन्दी साहित्य का अतीत
- हिन्दी का सामायिक इतिहास
- वाङ्मय विमर्श
- हिन्दी नाट्य साहित्य का विकास
- बिहारी की वाग्विभूति
- कामांग कौमुदी आदि।
Additional Informationरामचंद्र शुक्ल-
- जन्म-1884-1941 ई.
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी आलोचक,कहानीकार,निबन्धकार,कोशकार,अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- इनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है हिन्दी साहित्य का इतिहास है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- चिंतामणि
- रसमीमांसा आदि।
चन्द्रबली पांडेय-
- जन्म-1904-1958 ई.
- चन्द्रबली पांडेय हिंदी भाषा एवं साहित्य के उन्नयन, संरक्षण एवं संवर्धन के लिए समर्पित थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- उर्दू का रहस्य
- तसव्वुफ़ अथवा सूफ़ीमत
- भाषा का प्रश्न
- राष्ट्रभाषा पर विचार
- कालिदास
- केशवदास
- तुलसीदास आदि।
शिवकुमार मिश्र-
- जन्म-1930-2013 ई.
- हिन्दी साहित्य के प्रतिबद्ध मार्क्सवादी आलोचक थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- कामायनी और प्रसाद की कविता गंगा (1954 ई.)
- वृन्दावनलाल वर्मा : उपन्यास और कला (1956 ई.)
- नया हिन्दी काव्य (1962 ई.)
- आधुनिक कविता और युग-दृष्टि (1966 ई.)
- प्रगतिवाद (1966 ई.)
- मार्क्सवादी साहित्य-चिन्तन : इतिहास तथा सिद्धान्त (1973 ई.)
- यथार्थवाद (1975 ई.) आदि।
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 4:
"उन्होंने 'निज भाषा' शब्द का व्यवहार किया है, 'मिली-जुली', 'आमफहम', 'राष्ट्रभाषा' आदि शब्दों का नहीं। प्रत्येक जाति की अपनी भाषा है और वह निज भाषा की उन्नति के साथ उन्नत होती है।"
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का यह कथन किस विद्वान् के प्रति है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 4 Detailed Solution
"उन्होंने 'निज भाषा' शब्द का व्यवहार किया है, 'मिली-जुली', 'आमफहम', 'राष्ट्रभाषा' आदि शब्दों का नहीं। प्रत्येक जाति की अपनी भाषा है और वह निज भाषा की उन्नति के साथ उन्नत होती है।" आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का यह कथन भारतेन्दु हरिश्चन्द्र विद्वान् के प्रति है।
Key Pointsचन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी'-
- जन्म-1883-1922 ई.
- कविताएँ-
- एशिया की विजय दशमी
- भारत की जय
- वेनॉक बर्न
- आहिताग्नि
- झुकी कमान
- स्वागत
- ईश्वर से प्रार्थना आदि।
Important Pointsहजारीप्रसाद द्विवेदी-
- जन्म-1907-1979 ई.
- रचनाएँ-
- सूर साहित्य(1936 ई.)
- हिन्दी साहित्य की भूमिका(1940 ई.)
- कबीर(1942 ई.)
- नाथ संप्रदाय(1950 ई.)
- हिन्दी साहित्य का आदिकाल(1952 ई.)
- साहित्य का मर्म(1949 ई.) आदि।
Additional Informationभारतेन्दु हरिश्चन्द्र-
- निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल।।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी-
- ’’चीटीं से लेकर हाथी पर्यन्त पशु, भिक्षुक से लेकर राजा पर्यन्त मनुष्य, बिन्दु से लेकर समुद्र पर्यन्त जल, अनन्त आकाश, अनन्त पृथ्वी, अनन्त पर्वत सभी पर कविता हो सकती है।’’
बालकृष्ण भट्ट-
- महावीरप्रसाद द्विवेदी ने कहा हैं-
- "अच्छी हिन्दी बस एक ही व्यक्ति लिखता था-बालकृष्ण भट्ट।"
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 5:
यह कथन किसके द्वारा कहा गया है - 'नए युग में जिन नवीन ढंग के निबंधों का प्रचलन हुआ है वे व्यक्ति की स्वाधीन चिन्ता की उपज है।'
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 5 Detailed Solution
यह कथन हजारी प्रसाद द्विवेदी के द्वारा कहा गया है - 'नए युग में जिन नवीन ढंग के निबंधों का प्रचलन हुआ है वे व्यक्ति की स्वाधीन चिन्ता की उपज है।'
Key Pointsहजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म-1907-1979 ई.
- निबंध संग्रह-
- अशोक के फूल(1948 ई.)
- कल्पलता(1951 ई.)
- विचार और वितर्क(1957 ई.)
- कुटज(1964 ई.)
- साहित्य सहचर(1965 ई.) आदि।
Important Pointsआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म-1884-1941 ई.
- निबंध संग्रह-
- चिंतामणि(भाग-1)
- चिंतामणि(भाग-2)
- चिंतामणि(भाग-3)
- चिंतामणि(भाग-4)
- चिंतामणि भाग-1 (1939 ई.) में संकलित मुख्य निबंध-
- भाव या मनोविकार
- श्रद्धा-भक्ति
- लज्जा और ग्लानि
- लोभ और प्रीति
- कविता क्या है?
- तुलसी का भक्तिमार्ग
- काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था आदि।
विजयेन्द्र स्नातक-
- जन्म-1914-1998 ई.
- निबंध संग्रह-
- चिंतन के क्षण(1966 ई.)
- विचार के क्षण(1970 ई.)
- विमर्श के क्षण(1979 ई.) आदि।
डॉ. नगेंद्र-
- जन्म-1915-1999 ई.
- निबंध संग्रह-
- विचार और अनुभूति(1949 ई.)
- विचार विश्लेषण(1955 ई.)
- विचार और विवेचन(1959 ई.)
- अनुसंधान और आलोचना(1961 ई.)
- आलोचक की आस्था(1966 ई.)
- आस्था के चरण(1968 ई.) आदि।
Additional Informationरामचंद्र शुक्ल-
- "यदि गद्य कवियों की कसौटी है, तो निबंध गद्य की।"
Top प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन MCQ Objective Questions
"निराला जी पर बंग भाषा की काव्यशैली का प्रभाव, समास मेंं गुम्फित पदवल्लरी, क्रियापद के लोप आदि में स्पष्ट झलकाता है। लाक्षणिक वैलक्षण्य लाने की प्रवृत्ति इनमें उतनी नहीं पाई जाती जितनी प्रसाद और पंत में।"
उपर्युक्त कथन किसका है
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त कथन रामचंद्र शुक्ल जी का है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) रामचंद्र शुक्ल सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- उपर्युक्त कथन शुक्ल जी ने निराला जी का आलोचनात्मक विश्लेषण करके कहा है।
- शुक्ल जी ने निराला जी की लाक्षणिक वैलक्ष्णय लाने की प्रवृत्ति प्रसाद और पंत की तुलना में कम बताई है।
- उपर्युक्त कथन रामचंद्र शुक्ल ने अपनी पुस्तक हिंदी साहित्य का इतिहास के आधुनिक काल के प्रकरण -2 में कहा है।
Important Points
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (11 अक्टूबर, 1884ईस्वी- 2 फरवरी, 1941ईस्वी) हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- उनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है "हिन्दी साहित्य का इतिहास" है।
- हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात उन्हीं के द्वारा हुआ।
- हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
- भाव, मनोविकार सम्बंधित मनोविश्लेषणात्मक निबन्ध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं।
Additional Information
- आलोचनात्मक ग्रंथ :
- सूर, तुलसी जायसी पर की गई आलोचनाएं
- काव्य में रहस्यवाद
- काव्य में अभिव्यंजनावाद
- रसमीमांसा
"जन्मना कवि, प्रकृत्या घुमक्कड़ और विचारत: मूलत: मार्क्सवादी। कवतिा के लिए कोई भी विषय हो सकता है - X X X X । घुमक्कड़ ऐसे कि कभी यहॉं, कभी वहॉं। मूलत: मार्क्सवादी किन्तु वे उसके बाहर भी झॉंक लेते हैं।"
बच्चन सिंह का उक्त कथन किस कवि के विषय में है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त कथन नागार्जुन के लिए बच्चन सिंह ने कहा है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (4) नागार्जुन सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- बच्चन सिंह ने यह कथन नागार्जुन के लिए कहा है।
- बच्चन सिंह एक हिंदी साहित्यकार, आलोचक एवं इतिहासकार थे।
- बच्चन सिंह :-
- कहानी-संग्रह :-
- कई चेहरों के बाद
- उपन्यास :-
- लहरें और कगार, पांचाली, कुन्ती, फाँसी से पूर्व (रामप्रसाद बिस्मिल पर), शहीद-ए-आजम (भगत सिंह पर), शहादत (चन्द्रशेखर आजाद पर)
- हिन्दी अनुवाद :-
- महाभारत की कथा (बुद्धदेव बसु की पुस्तक महाभारतेर का)
- कहानी-संग्रह :-
- नागार्जुन के काव्य संग्रह:-
- युगधारा (1953), सतरंगे पंखों वाली (1959), प्यासी, पथराई आँखें (1962), तालाब की मछलियाँ (1974), तुमने कहा था (1980), खिचड़ी विप्लव देखा हमने (1980), हजार-हजार बाँहों वाली (1981), पुरानी, जूतियों का कोरस (1983), रत्नगर्भ (1984), ऐसे भी हम क्या! ऐसे भी तुम क्या!! (1985), आखिर ऐसा, क्या कह दिया मैंने (1986), इस गुब्बारे की छाया में (1990), भूल जाओ पुराने सपने (1994), अपने खेत में (1997)
- गजानन माधव मुक्तिबोध:-
- गजानन माधव मुक्तिबोध (13 नवंबर 1917 - 1 सितंबर 1964) हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक, निबंधकार, कहानीकार तथा उपन्यासकार थे।
- उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता है।
- केदारनाथ अग्रवाल की रचनाएं :-
- गुलमेंहदी, हे मेरी तुम, जमुन जल तुम, जो शिलाएँ तोड़ते हैं, कहें केदार खरी खरी, खुली आँखें खुले डैने, कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह, मार प्यार की थापें, फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1, फूल नहीं रंग बोलते हैं-2, आग का आइना, पंख और पतवार (1979), अपूर्वा, नींद के बादल, आत्म गंध, बम्बई का रक्त स्नान, युग-गंगा, बोले बोल अबोल, लोक आलोक, चुनी हुयी कविताएँ, पुष्पदीप, वसंत में प्रसन्न पृथ्वी, अनहारी हरियाली
- नलिन विलोचन शर्मा :-
- नलिन विलोचन शर्मा (1916–1961) पटना विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक, हिन्दी लेखक एवं आलोचक थे।
- वे हिन्दी में 'नकेनवाद' आन्दोलन के तीन पुरस्कर्ताओं में से एक थे।
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 8:
"निराला जी पर बंग भाषा की काव्यशैली का प्रभाव, समास मेंं गुम्फित पदवल्लरी, क्रियापद के लोप आदि में स्पष्ट झलकाता है। लाक्षणिक वैलक्षण्य लाने की प्रवृत्ति इनमें उतनी नहीं पाई जाती जितनी प्रसाद और पंत में।"
उपर्युक्त कथन किसका है
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 8 Detailed Solution
उपर्युक्त कथन रामचंद्र शुक्ल जी का है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) रामचंद्र शुक्ल सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- उपर्युक्त कथन शुक्ल जी ने निराला जी का आलोचनात्मक विश्लेषण करके कहा है।
- शुक्ल जी ने निराला जी की लाक्षणिक वैलक्ष्णय लाने की प्रवृत्ति प्रसाद और पंत की तुलना में कम बताई है।
- उपर्युक्त कथन रामचंद्र शुक्ल ने अपनी पुस्तक हिंदी साहित्य का इतिहास के आधुनिक काल के प्रकरण -2 में कहा है।
Important Points
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (11 अक्टूबर, 1884ईस्वी- 2 फरवरी, 1941ईस्वी) हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- उनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है "हिन्दी साहित्य का इतिहास" है।
- हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात उन्हीं के द्वारा हुआ।
- हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
- भाव, मनोविकार सम्बंधित मनोविश्लेषणात्मक निबन्ध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं।
Additional Information
- आलोचनात्मक ग्रंथ :
- सूर, तुलसी जायसी पर की गई आलोचनाएं
- काव्य में रहस्यवाद
- काव्य में अभिव्यंजनावाद
- रसमीमांसा
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 9:
ज्ञान राशि के संचित कोष ही का नाम साहित्य है।' किसका कथन है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 9 Detailed Solution
यह कथन महावीर प्रसाद द्विवेदी जी का है।
Key Points
महावीर प्रसाद द्विवेदी-(1864-1938)
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे।
- आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' के नाम से जाना जाता है।
प्रमुख रचनाएँ-
- देवी स्तुति-शतक (1892 ई.)
- कान्यकुब्जावलीव्रतम (1898 ई.)
- समाचार पत्र सम्पादन स्तवः (1898 ई.)
- नागरी (1900 ई.)
- कान्यकुब्ज-अबला-विलाप (1907 ई.)
- काव्य मंजूषा (1903 ई.)
- सुमन (1923 ई.) आदि।
Additional Information
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल- ( 1884-1941ई.)
- आचार्य शुक्ल हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- इनकी सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तक हिन्दी साहित्य का इतिहास जिसके द्वारा आज भी काल निर्धारण एवं पाठ्यक्रम निर्माण में सहायता ली जाती है।
प्रमुख रचनाएँ-
- हिंदी साहित्य का इतिहास
- सूरदास,रसमीमांसा,त्रिवेणी आदि।
भारतेंदु हरिश्चन्द्र (1850-1885 ई.)
- आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक माने जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे।
प्रमुख रचनाएँ-
- वैदिक हिंसा हिंसा न भवति 1873
- भारत दुर्दशा 1875
- नीलदेवी 1881
- अंधेर नगरी 1881
- धनंजय-विजय 1874
- चन्द्रावली 1881 आदि।
बालकृष्ण भट्ट-(1844-1914ई.)
- हिन्दी के पत्रकार, उपन्यासकार, नाटककार और निबंधकार थे।
- उन्हें गद्य प्रधान कविता का जनक माना जा सकता है। हिन्दी गद्य साहित्य में उनका प्रमुख स्थान है।
प्रमुख रचनाएँ-
- साहित्य सुमन
- भट्ट निबंधमाला
- आत्मनिर्भरता (1893)
- चंद्रोदय
- संसार महानाट्यशाला
- प्रेम के बाग का सैलानी
- माता का स्नेह आदि।
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 10:
"कविता और कुछ नहीं होकर कवि की आत्मा प्रस्वेद होती है।"-यह कथन किसका आलोचक है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 10 Detailed Solution
"कविता और कुछ नहीं होकर कवि की आत्मा प्रस्वेद होती है।"-यह कथन रामधारी सिंह 'दिनकर' का है।
Key Pointsरामधारी सिंह 'दिनकर' -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- काव्य की भूमिका
- पंत प्रसाद और मैथिलीशरण गुप्त
- शुद्ध कविता की खोज
Additional Information
- "केशव को कवि ह्रदय नहीं मिला था" , -यह कथन रामचंद्र शुक्ल का है।
- "कला साहित्य काव्य रूप है और जीवन उसका अंत:स्वरूप" , -यह कथन शांतिप्रिय द्विवेदी का है।
Important Pointsरामचन्द्र शुक्ल -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- गोस्वामी तुलसीदास (1923)
- जायसी ग्रंथावली (1924)
- भ्रमरगीत सार (1925)
- हिंदी साहित्य का इतिहास (1929)
- काव्य में रहस्यवाद (1929)
- रस मीमांसा (1949)
हजारीप्रसाद द्विवेदी -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- सूर साहित्य (1930)
- हिंदी साहित्य की भूमिका (1940)
- कबीर (1942)
- हिंदी साहित्य का आदिकाल (1952)
- सहज साधना (1963)
- कालिदास की ललित योजना (1965)
- मध्य कालीनबोध का स्वरूप (1970)
शांतिप्रिय द्विवेदी -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- हमारे साहित्य निर्माता (1934)
- कवि और काव्य (1936)
- साहित्यिक (1938)
- संचारिणी (1939)
- युग और साहित्य (1941)
- सामयिकी (1944)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 11:
"कविता और कुछ नहीं होकर कवि की आत्मा प्रस्वेद होती है।"-यह कथन किसका आलोचक है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 11 Detailed Solution
"कविता और कुछ नहीं होकर कवि की आत्मा प्रस्वेद होती है।"-यह कथन रामधारी सिंह 'दिनकर' का है।
Key Pointsरामधारी सिंह 'दिनकर' -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- काव्य की भूमिका
- पंत प्रसाद और मैथिलीशरण गुप्त
- शुद्ध कविता की खोज
Additional Information
- "केशव को कवि ह्रदय नहीं मिला था" , -यह कथन रामचंद्र शुक्ल का है।
- "कला साहित्य काव्य रूप है और जीवन उसका अंत:स्वरूप" , -यह कथन शांतिप्रिय द्विवेदी का है।
Important Pointsरामचन्द्र शुक्ल -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- गोस्वामी तुलसीदास (1923)
- जायसी ग्रंथावली (1924)
- भ्रमरगीत सार (1925)
- हिंदी साहित्य का इतिहास (1929)
- काव्य में रहस्यवाद (1929)
- रस मीमांसा (1949)
हजारीप्रसाद द्विवेदी -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- सूर साहित्य (1930)
- हिंदी साहित्य की भूमिका (1940)
- कबीर (1942)
- हिंदी साहित्य का आदिकाल (1952)
- सहज साधना (1963)
- कालिदास की ललित योजना (1965)
- मध्य कालीनबोध का स्वरूप (1970)
शांतिप्रिय द्विवेदी -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- हमारे साहित्य निर्माता (1934)
- कवि और काव्य (1936)
- साहित्यिक (1938)
- संचारिणी (1939)
- युग और साहित्य (1941)
- सामयिकी (1944)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 12:
"जन्मना कवि, प्रकृत्या घुमक्कड़ और विचारत: मूलत: मार्क्सवादी। कवतिा के लिए कोई भी विषय हो सकता है - X X X X । घुमक्कड़ ऐसे कि कभी यहॉं, कभी वहॉं। मूलत: मार्क्सवादी किन्तु वे उसके बाहर भी झॉंक लेते हैं।"
बच्चन सिंह का उक्त कथन किस कवि के विषय में है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 12 Detailed Solution
उपर्युक्त कथन नागार्जुन के लिए बच्चन सिंह ने कहा है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (4) नागार्जुन सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- बच्चन सिंह ने यह कथन नागार्जुन के लिए कहा है।
- बच्चन सिंह एक हिंदी साहित्यकार, आलोचक एवं इतिहासकार थे।
- बच्चन सिंह :-
- कहानी-संग्रह :-
- कई चेहरों के बाद
- उपन्यास :-
- लहरें और कगार, पांचाली, कुन्ती, फाँसी से पूर्व (रामप्रसाद बिस्मिल पर), शहीद-ए-आजम (भगत सिंह पर), शहादत (चन्द्रशेखर आजाद पर)
- हिन्दी अनुवाद :-
- महाभारत की कथा (बुद्धदेव बसु की पुस्तक महाभारतेर का)
- कहानी-संग्रह :-
- नागार्जुन के काव्य संग्रह:-
- युगधारा (1953), सतरंगे पंखों वाली (1959), प्यासी, पथराई आँखें (1962), तालाब की मछलियाँ (1974), तुमने कहा था (1980), खिचड़ी विप्लव देखा हमने (1980), हजार-हजार बाँहों वाली (1981), पुरानी, जूतियों का कोरस (1983), रत्नगर्भ (1984), ऐसे भी हम क्या! ऐसे भी तुम क्या!! (1985), आखिर ऐसा, क्या कह दिया मैंने (1986), इस गुब्बारे की छाया में (1990), भूल जाओ पुराने सपने (1994), अपने खेत में (1997)
- गजानन माधव मुक्तिबोध:-
- गजानन माधव मुक्तिबोध (13 नवंबर 1917 - 1 सितंबर 1964) हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक, निबंधकार, कहानीकार तथा उपन्यासकार थे।
- उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता है।
- केदारनाथ अग्रवाल की रचनाएं :-
- गुलमेंहदी, हे मेरी तुम, जमुन जल तुम, जो शिलाएँ तोड़ते हैं, कहें केदार खरी खरी, खुली आँखें खुले डैने, कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह, मार प्यार की थापें, फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1, फूल नहीं रंग बोलते हैं-2, आग का आइना, पंख और पतवार (1979), अपूर्वा, नींद के बादल, आत्म गंध, बम्बई का रक्त स्नान, युग-गंगा, बोले बोल अबोल, लोक आलोक, चुनी हुयी कविताएँ, पुष्पदीप, वसंत में प्रसन्न पृथ्वी, अनहारी हरियाली
- नलिन विलोचन शर्मा :-
- नलिन विलोचन शर्मा (1916–1961) पटना विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक, हिन्दी लेखक एवं आलोचक थे।
- वे हिन्दी में 'नकेनवाद' आन्दोलन के तीन पुरस्कर्ताओं में से एक थे।
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 13:
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की भाषा परिष्कार पर टिप्पणी करते हुए निम्नलिखित कथन किसका है?
"खड़ी बोली के पद्य विधान पर द्विवेदी जी का पूरा-पूरा असर पड़ा। बहुत से कवियों की भाषा शिथिल और अव्यवस्थित होती थी। द्विवेदी जी ऐसे कवियों की भेजी हुई कविताओं की भाषा आदि दुरुस्त करके सरस्वती में छापा करते थे। इस प्रकार कवियों की भाषा साफ होती गई और द्विवेदी जी के अनुकरण में अन्य लेखक भी शुद्ध भाषा लिखने लगे।"
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 13 Detailed Solution
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की भाषा परिष्कार पर टिप्पणी करते हुए उपर्युक्त कथन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का है। Key Pointsआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म- 1884-1941 ईo
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
-
गोस्वामी तुलसीदास (1923)
-
जायसी ग्रंथावली (1924)
-
भ्रमरगीत सार (1925)
-
हिंदी साहित्य का इतिहास (1929)
-
काव्य में रहस्यवाद (1929)
-
रसमीमांसा (1949)
-
Important Pointsडॉ. रामविलास शर्मा-
- जन्म- 1912 - 2000 ईo
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
-
प्रेमचंद (1941)
-
भारतेन्दु युग (1943)
-
निराला (1946)
-
प्रगति और परम्परा (1949)
-
साहित्य और संस्कृति (1949)
-
प्रेमचंद और उनका युग (1952)
-
प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ
-
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (1955)
-
भाषा और समाज (1961)
-
बाबू श्यामसुंदर-
- जन्म- 1875-1944 ई.
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
-
साहित्यलोचन (1922)
-
भाषा विज्ञान (1923)
-
हिंदी भाषा का विकास (1924)
-
हिंदी भाषा और साहित्य (1930)
-
रूपक रहस्य (1931)
-
भाषा रहस्य (1935)
-
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म- 1907-1979 ईo
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
-
सूर साहित्य (1930)
-
हिंदी साहित्य की भूमिका (1940)
-
कबीर (1942)
-
हिंदी साहित्य का आदिकाल (1952)
-
सहज साधना (1963)
-
कालिदास की लालित्य योजना (1965)
-
मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970)
-
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 14:
"प्राचीन और नवीन का सुंदर सामंजस्य भारतेन्दु की कला का विशेष माधुर्य है।"- यह कथन किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 14 Detailed Solution
"प्राचीन और नवीन का सुंदर सामंजस्य भारतेन्दु की कला का विशेष माधुर्य है।"- यह कथन रामचन्द्र शुक्ल का है।
Key Pointsरामचन्द्र शुक्ल -
- कथन -
- "केशव को कवि ह्रदय नहीं मिला था" ,
- "जगत अव्यक्त की अभिव्यक्ति है, काव्य अभिव्यक्ति की अभिव्यक्ति है"
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- गोस्वामी तुलसीदास (1923)
- जायसी ग्रंथावली (1924)
- भ्रमरगीत सार (1925)
- हिंदी साहित्य का इतिहास (1929)
- काव्य में रहस्यवाद (1929)
- रस मीमांसा (1949)
Important Pointsहजारीप्रसाद द्विवेदी -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- सूर साहित्य (1930)
- हिंदी साहित्य की भूमिका (1940)
- कबीर (1942)
- हिंदी साहित्य का आदिकाल (1952)
- सहज साधना (1963)
- कालिदास की ललित योजना (1965)
- मध्य कालीनबोध का स्वरूप (1970)
गुलाब राय -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- नवरस
- सिद्धांत और अध्ययन (1946)
- काव्य के रूप (1947)
डॉ. नामवर सिंह -
- आलोचनात्मक ग्रंथ -
- हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग (1952)
- छायावाद (1955)
- इतिहास और आलोचना (1957)
- आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां (1962)
- कहानी नई कहानी (1965)
- कविता के नए प्रतिमान (1968)
- दूसरी परंपरा की खोज ( 1982)
- वाद-विवाद संवाद (1989)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 15:
"शुक्ल जी ने न तो भारत के रूढि़वाद को स्वीकार किया, न पश्चिमी व्यक्तिवाद को।"
उपर्युक्त कथन किस लेखक का है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 15 Detailed Solution
उपर्युक्त कथन-2) रामविलास शर्मा का है।
Important Points
- रामविलास शर्मा का प्रथम आलोचनात्मक लेख 'निरालाजी की कविता' है।
- हिंदी जाति की अवधारणा रामविलास शर्मा के जातीय चिंतन का केंद्रीय बिंदु है।
Additional Information
- रामविलास शर्मा मार्क्सवादी दृष्टि से भारतीय संदर्भों का मूल्यांकन करते हैं।
- सर्वप्रथम नवजागरण शब्द का प्रयोग इनके द्वारा ही 1977 में लिखे गये पुस्तक "महाविर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण" में हुुआ।