काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - Download Free PDF
Last updated on Jun 25, 2025
Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
काव्य पंक्तियाँ Question 1:
"निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल।" यह किसकी प्रसिद्ध उक्ति है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution
"निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल।" यह प्रसिद्ध उक्ति है- भारतेन्दु
Key Pointsभारतेन्दु हरिश्चंद्र-
- जन्म-1850-1885 ई.
- उर्दू में 'रसा' उपनाम से लिखते थे।
- रचनाएँ-
- भक्ति सर्वस्व(1870 ई.)
- प्रेम मालिका(1871 ई.)
- प्रेम माधुरी(1875 ई.)
- प्रेम तरंग(1877 ई.)
- प्रेम प्रलाप(1877 ई.)
- मधु मुकुल(1881 ई.)
- विनय प्रेम पचासा(1881 ई.)
- फूलों का गुच्छा(1882 ई.) आदि।
Important Pointsप्रताप नारायण मिश्र-
- जन्म- 1856-1894 ई.
- भारतेन्दु युगीन कवि है।
- विषय की दृष्टि से इनके निबंधों में विविधता है।
- काव्य रचनाएँ-
- प्रेम पुष्पावली
- लोकोक्ति शतक
- शृंगार विलास
- हरगंगा आदि।
बालकृष्ण भट्ट-
- जन्म-1844-1914 ई.
- हिन्दी के सफल पत्रकार, उपन्यासकार, नाटककार और निबंधकार थे।
- भट्ट जी ने हिन्दी प्रदीप नामक मासिक पत्र निकाला।
- 1933 ई. में प्रयाग में हिन्दीवर्द्धिनी नामक सभा की स्थापना की।
- नाटक-
- जैसा काम वैसा परिणाम(1877)
- नल दमयंती स्वयंवर
- आचार विडम्बन(1899)
- नई रोशनी का विष(1884 ई.)
- वेणीसंहार
- शिशुपालवध
- चंद्रसेन आदि।
सदल मिश्र-
- जन्म-1767-1848 ई.
- अन्य रचनाएँ-
- रामचरित्र(1806 ई.)
- हिंदी पर्शियन वकेबुलरी(1809 ई.) आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 2:
'न खास हिन्दी, न खास उर्दू
जबान गोया मिली-जुली हो।' -
उपर्युक्त कथन किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution
- सही उत्तर विकल्प 1 है।
- यह पंक्तियां राजा शिव प्रसाद सितारे हिंद की हैं।
- हिंदी और उर्दू दोनों के पक्षधर थे।
- दोनों भाषाओं में रचनाएं की।
- भारतेंदु के गुरु थे।
- 'बनारस' अखबार निकालते थे।
- बनारस अखबार - 1845 - साप्ताहिक
- यह काशी से निकलता था।
- भारतेंदु हरिश्चंद्र निज भाषा यानी हिंदी के समर्थक थे।
- " निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल " - भारतेंदु
- राजा लक्ष्मण सिंह संस्कृत निष्ठ हिंदी को वरीयता देते थे।
- जॉर्ज ग्रियर्सन लल्लू लाल और सदल मिश्र को खड़ी बोली का आविष्कारक बताते हैं।
काव्य पंक्तियाँ Question 3:
'निजभाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।” पंक्ति किसकी है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution
'निजभाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।” यां पंक्ति भारतेंदु हरिश्चंद्र की है।
- यह भारतेंदु का प्रसिद्ध दोहा है।
- यह पंक्ति भारतेंदु के निज भाषा कविता से लिया गया है।
Key Pointsभारतेंदु हरिश्चंद्र-
- जन्म-1850-1885ई.
- भारतेंदु हरिश्चंद्र आधुनिक हिंदी के पितामह कहे जाते हैं।
- प्रमुख रचनाएँ-
- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति -1873ई.
- सत्य हरिश्चन्द्र-1874ई.
- विषस्य विषमौषधम्-1876ई.
- भारत दुर्दशा-1880ई.
- नीलदेवी-1881ई. आदि।
Additional Informationमैथिलीशरण गुप्त-
- जन्म-1886-1964ई.
- मैथिलीशरण गुप्त हिंदी के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी कवि थे।
- भारत-भारती इनकी प्रसिद्ध रचना है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- जयद्रथ वध 1910ई.
- भारत-भारती 1912ई.
- पंचवटी 1925ई.
- द्वापर 1936ई. आदि।
जयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937ई.
- जयशंकर प्रसाद, हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे।
- वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
- प्रमुख रचनाएँ-
- प्रेमपथिक-1909ई.
- करुणालय-1913ई.
- झरना--1918ई.
- प्रलय की छाया-1925ई.
- आंसू-1933ई.
- लहर-1935ई.
- कामायनी-1936ई. आदि।
श्रीधर पाठक-
- जन्म-1858-1928ई.
- श्रीधर पाठक प्राकृतिक सौंदर्य, स्वदेश प्रेम तथा समाजसुधार की भावनाओ के हिन्दी कवि थे।
- वे प्रकृतिप्रेमी, सरल, उदार, नम्र, सहृदय, स्वच्छंद तथा विनोदी थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- मनोविनोद-1882ई.
- एकांतवासी योगी-1886ई.
- जगत सचाई सार-1887ई.
- धन विनय-1900ई.
- गुनवंत हे मंत-1900ई. आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 4:
'निजभाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।” पंक्ति किसकी है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution
'निजभाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।” यां पंक्ति भारतेंदु हरिश्चंद्र की है।
- यह भारतेंदु का प्रसिद्ध दोहा है।
- यह पंक्ति भारतेंदु के निज भाषा कविता से लिया गया है।
Key Pointsभारतेंदु हरिश्चंद्र-
- जन्म-1850-1885ई.
- भारतेंदु हरिश्चंद्र आधुनिक हिंदी के पितामह कहे जाते हैं।
- प्रमुख रचनाएँ-
- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति -1873ई.
- सत्य हरिश्चन्द्र-1874ई.
- विषस्य विषमौषधम्-1876ई.
- भारत दुर्दशा-1880ई.
- नीलदेवी-1881ई. आदि।
Additional Informationमैथिलीशरण गुप्त-
- जन्म-1886-1964ई.
- मैथिलीशरण गुप्त हिंदी के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी कवि थे।
- भारत-भारती इनकी प्रसिद्ध रचना है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- जयद्रथ वध 1910ई.
- भारत-भारती 1912ई.
- पंचवटी 1925ई.
- द्वापर 1936ई. आदि।
जयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937ई.
- जयशंकर प्रसाद, हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे।
- वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
- प्रमुख रचनाएँ-
- प्रेमपथिक-1909ई.
- करुणालय-1913ई.
- झरना--1918ई.
- प्रलय की छाया-1925ई.
- आंसू-1933ई.
- लहर-1935ई.
- कामायनी-1936ई. आदि।
श्रीधर पाठक-
- जन्म-1858-1928ई.
- श्रीधर पाठक प्राकृतिक सौंदर्य, स्वदेश प्रेम तथा समाजसुधार की भावनाओ के हिन्दी कवि थे।
- वे प्रकृतिप्रेमी, सरल, उदार, नम्र, सहृदय, स्वच्छंद तथा विनोदी थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- मनोविनोद-1882ई.
- एकांतवासी योगी-1886ई.
- जगत सचाई सार-1887ई.
- धन विनय-1900ई.
- गुनवंत हे मंत-1900ई. आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 5:
'अंग्रेजराज सुख साज सजे सब भारी'
पै धन विदेश चलि जात यहै अतिख्वारी'
किसकी काव्य पंक्ति है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution
यह प्रसिद्ध पंक्ति 'भारतेंदु हरिश्चन्द्र' की है। Key Pointsभारतेंदु हरिश्चन्द्र (1850-1885 ई.)
- आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक माने जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे।
प्रमुख रचनाएँ-
- वैदिक हिंसा हिंसा न भवति 1873
- भारत दुर्दशा 1875
- नीलदेवी 1881
- अंधेर नगरी 1881
- चन्द्रावली 1881 आदि।
Additional Informationप्रतापनारायण मिश्र-(1856-1894)
- भारतेन्दु मण्डल के प्रमुख लेखक, कवि और पत्रकार थे।
प्रमुख रचनाएँ-
- गो संकट
- कलिकौतुक
- कलिप्रभाव
- जुआरी-खुआरी (प्रहसन)
- निबंध नवनीत
- प्रताप पीयूष
- प्रताप समीक्षा आदि।
बदरीनारायण चौधरी' प्रेमघन-(1855-1923)
- हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार थे।
- भारतेन्दु मण्डल में गिने जाने वाले प्रेमघन ने हिंदी और संस्कृत के प्रचार-प्रसार में योगदान किया है।
प्रमुख रचनाएँ-
- भारत सौभाग्य
- प्रयाग रामागमन
- संगीत सुधासरोवर
- भारत भाग्योदय काव्य आदि।
ठाकुर जगमोहन सिंह-(1857-1899)
- हिन्दी के भारतेन्दुयुगीन कवि, आलोचक और उपन्यासकार थे।
- हिंदी के अतिरिक्त संस्कृत और अंग्रेजी साहित्य की उन्हें अच्छी जानकारी थी, वे मूलतः कवि थे।
- जगन्मोहन मंडल काशी के भारतेन्दु मंडल की तर्ज में बनी एक साहित्यिक संस्था थी।
प्रमुख रचनाएँ-
- "प्रेम-संपत्ति-लता" 1942
- "श्यामालता", और
- "श्यामासरोजिनी" 1943 आदि।
Top काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
'न खास हिन्दी, न खास उर्दू
जबान गोया मिली-जुली हो।' -
उपर्युक्त कथन किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर विकल्प 1 है।
- यह पंक्तियां राजा शिव प्रसाद सितारे हिंद की हैं।
- हिंदी और उर्दू दोनों के पक्षधर थे।
- दोनों भाषाओं में रचनाएं की।
- भारतेंदु के गुरु थे।
- 'बनारस' अखबार निकालते थे।
- बनारस अखबार - 1845 - साप्ताहिक
- यह काशी से निकलता था।
- भारतेंदु हरिश्चंद्र निज भाषा यानी हिंदी के समर्थक थे।
- " निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल " - भारतेंदु
- राजा लक्ष्मण सिंह संस्कृत निष्ठ हिंदी को वरीयता देते थे।
- जॉर्ज ग्रियर्सन लल्लू लाल और सदल मिश्र को खड़ी बोली का आविष्कारक बताते हैं।
'निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल' – किस प्रसिद्ध कवि की काव्यपंक्ति है ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF'निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल।' 'भारतेन्दु हरिश्चंद्र' की पंक्ति है।
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) "आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह" कहे जाते हैं।
- इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी।
- इनके निबंध संग्रह निम्नलिखित हैं:-
- नाटक
- कालचक्र (जर्नल)
- लेवी प्राण लेवी
- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?
- कश्मीर कुसुम
- जातीय संगीत
- संगीत सार
- हिंदी भाषा
- स्वर्ग में विचार सभा
Important Points
- हिंदी में नाटकों का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है।
- भारतेन्दु के नाटक लिखने की शुरुआत बंगला के विद्यासुन्दर (1867) नाटक के अनुवाद से होती है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र के मौलिक नाटक निम्नलिखित हैं:-
'बगियान बसंत बसेरो कियो, बसिए, तेहि त्यागि तपाइए ना |
दिन काम-कुतूहल के जो बने, तिन बीच बियोग बुलाइए ना ||
'उपर्युक्त काव्य पंक्तियों के रचनाकार हैं:
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त काव्य पंक्तियों के रचनाकार-2) बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' हैं।
Important Points
- प्रेमघन की रचनाओं का क्रमशः तीन खंडों में विभाजन किया जाता है-
- प्रबंध काव्य
- संगीत काव्य
- स्फुट निबंध
- "भारत सौभाग्य" नाटक 1888 में कांग्रेस महाधिवेशन के अवसर पर खेले जाने के लिए लिखा गया था।
Additional Information
- प्रेमघन की रचनायें-भारत सौभाग्य,प्रयाग रामागमन,संगीत सुधासरोवर,भारत भाग्योदय काव्य।
- 1881 को मिर्जापुर से 'आनन्द कादम्बनी' इनके द्वारा ही संपादित की गई।
'धन्य भारत भूमि सब रतनानि की उपजावनि' इस पंक्ति के लेखक हैंः
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF"धन्य भारत भूमि सब रत्नानी की उपजावनी" इस पंक्ति के लेखक बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- "धन्य भारत भूमि सब रत्नानी की उपजावनी" पंक्ति के लेखक बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन हैं।
- उपर्युक्त कविता में प्रेमघन जी ने भारत की महिमा का वर्णन किया है।
- प्रेमघन की कविताओं में भारतेंदु जी की कविताओं की प्रवृतियां मिलती है।
- बदरीनारायण चौधरी उपाध्याय "प्रेमधन" (1855-1923 ई ) हिन्दी साहित्यकार थे।
- "अब्र" नाम से इन्होंने उर्दू में कुछ कविताएं लिखी हैं।
- कृतियाँ
- भारत सौभाग्य
- प्रयाग रामागमन
- संगीत सुधासरोवर
- भारत भाग्योदय काव्य
- दिल्ली दरबार
- ब्रजचंद पंचक
- जीवन जनपद
- आनंद अरुणोदय
- लालित्य लहरी
- हार्दिक हर्षदा
- अलौकिक लीला
- वर्षा बिंदु
Additional Information
- प्रताप नारायण मिश्र (1856-1894)
- प्रेम पुष्पा ,मन की लहर ,श्रृंगार विलास ,लोकोक्ति शतक ,तृप्यन्ताम
- भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850-1855)
- प्रेम मालिका, प्रेम सरोवर, प्रेम माधुरी, वर्षा विनोद, प्रेम फुलवारी, मधु मुकुल, विनय प्रेम पचासा
- मैथिलीशरण गुप्त (1886-1964)
- रंग में भंग(1909), भारत भारती (1912), तिलोत्तमा (1915), चंद्रहास (1916), किसान(1916) , वैतालिक (1916)
"निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल।" यह किसकी प्रसिद्ध उक्ति है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF"निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल।" यह प्रसिद्ध उक्ति है- भारतेन्दु
Key Pointsभारतेन्दु हरिश्चंद्र-
- जन्म-1850-1885 ई.
- उर्दू में 'रसा' उपनाम से लिखते थे।
- रचनाएँ-
- भक्ति सर्वस्व(1870 ई.)
- प्रेम मालिका(1871 ई.)
- प्रेम माधुरी(1875 ई.)
- प्रेम तरंग(1877 ई.)
- प्रेम प्रलाप(1877 ई.)
- मधु मुकुल(1881 ई.)
- विनय प्रेम पचासा(1881 ई.)
- फूलों का गुच्छा(1882 ई.) आदि।
Important Pointsप्रताप नारायण मिश्र-
- जन्म- 1856-1894 ई.
- भारतेन्दु युगीन कवि है।
- विषय की दृष्टि से इनके निबंधों में विविधता है।
- काव्य रचनाएँ-
- प्रेम पुष्पावली
- लोकोक्ति शतक
- शृंगार विलास
- हरगंगा आदि।
बालकृष्ण भट्ट-
- जन्म-1844-1914 ई.
- हिन्दी के सफल पत्रकार, उपन्यासकार, नाटककार और निबंधकार थे।
- भट्ट जी ने हिन्दी प्रदीप नामक मासिक पत्र निकाला।
- 1933 ई. में प्रयाग में हिन्दीवर्द्धिनी नामक सभा की स्थापना की।
- नाटक-
- जैसा काम वैसा परिणाम(1877)
- नल दमयंती स्वयंवर
- आचार विडम्बन(1899)
- नई रोशनी का विष(1884 ई.)
- वेणीसंहार
- शिशुपालवध
- चंद्रसेन आदि।
सदल मिश्र-
- जन्म-1767-1848 ई.
- अन्य रचनाएँ-
- रामचरित्र(1806 ई.)
- हिंदी पर्शियन वकेबुलरी(1809 ई.) आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 11:
'न खास हिन्दी, न खास उर्दू
जबान गोया मिली-जुली हो।' -
उपर्युक्त कथन किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 11 Detailed Solution
- सही उत्तर विकल्प 1 है।
- यह पंक्तियां राजा शिव प्रसाद सितारे हिंद की हैं।
- हिंदी और उर्दू दोनों के पक्षधर थे।
- दोनों भाषाओं में रचनाएं की।
- भारतेंदु के गुरु थे।
- 'बनारस' अखबार निकालते थे।
- बनारस अखबार - 1845 - साप्ताहिक
- यह काशी से निकलता था।
- भारतेंदु हरिश्चंद्र निज भाषा यानी हिंदी के समर्थक थे।
- " निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल " - भारतेंदु
- राजा लक्ष्मण सिंह संस्कृत निष्ठ हिंदी को वरीयता देते थे।
- जॉर्ज ग्रियर्सन लल्लू लाल और सदल मिश्र को खड़ी बोली का आविष्कारक बताते हैं।
काव्य पंक्तियाँ Question 12:
'निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल' – किस प्रसिद्ध कवि की काव्यपंक्ति है ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 12 Detailed Solution
'निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल।' 'भारतेन्दु हरिश्चंद्र' की पंक्ति है।
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) "आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह" कहे जाते हैं।
- इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी।
- इनके निबंध संग्रह निम्नलिखित हैं:-
- नाटक
- कालचक्र (जर्नल)
- लेवी प्राण लेवी
- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?
- कश्मीर कुसुम
- जातीय संगीत
- संगीत सार
- हिंदी भाषा
- स्वर्ग में विचार सभा
Important Points
- हिंदी में नाटकों का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है।
- भारतेन्दु के नाटक लिखने की शुरुआत बंगला के विद्यासुन्दर (1867) नाटक के अनुवाद से होती है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र के मौलिक नाटक निम्नलिखित हैं:-
काव्य पंक्तियाँ Question 13:
'बगियान बसंत बसेरो कियो, बसिए, तेहि त्यागि तपाइए ना |
दिन काम-कुतूहल के जो बने, तिन बीच बियोग बुलाइए ना ||
'उपर्युक्त काव्य पंक्तियों के रचनाकार हैं:
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 13 Detailed Solution
उपर्युक्त काव्य पंक्तियों के रचनाकार-2) बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' हैं।
Important Points
- प्रेमघन की रचनाओं का क्रमशः तीन खंडों में विभाजन किया जाता है-
- प्रबंध काव्य
- संगीत काव्य
- स्फुट निबंध
- "भारत सौभाग्य" नाटक 1888 में कांग्रेस महाधिवेशन के अवसर पर खेले जाने के लिए लिखा गया था।
Additional Information
- प्रेमघन की रचनायें-भारत सौभाग्य,प्रयाग रामागमन,संगीत सुधासरोवर,भारत भाग्योदय काव्य।
- 1881 को मिर्जापुर से 'आनन्द कादम्बनी' इनके द्वारा ही संपादित की गई।
काव्य पंक्तियाँ Question 14:
'धन्य भारत भूमि सब रतनानि की उपजावनि' इस पंक्ति के लेखक हैंः
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 14 Detailed Solution
"धन्य भारत भूमि सब रत्नानी की उपजावनी" इस पंक्ति के लेखक बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- "धन्य भारत भूमि सब रत्नानी की उपजावनी" पंक्ति के लेखक बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन हैं।
- उपर्युक्त कविता में प्रेमघन जी ने भारत की महिमा का वर्णन किया है।
- प्रेमघन की कविताओं में भारतेंदु जी की कविताओं की प्रवृतियां मिलती है।
- बदरीनारायण चौधरी उपाध्याय "प्रेमधन" (1855-1923 ई ) हिन्दी साहित्यकार थे।
- "अब्र" नाम से इन्होंने उर्दू में कुछ कविताएं लिखी हैं।
- कृतियाँ
- भारत सौभाग्य
- प्रयाग रामागमन
- संगीत सुधासरोवर
- भारत भाग्योदय काव्य
- दिल्ली दरबार
- ब्रजचंद पंचक
- जीवन जनपद
- आनंद अरुणोदय
- लालित्य लहरी
- हार्दिक हर्षदा
- अलौकिक लीला
- वर्षा बिंदु
Additional Information
- प्रताप नारायण मिश्र (1856-1894)
- प्रेम पुष्पा ,मन की लहर ,श्रृंगार विलास ,लोकोक्ति शतक ,तृप्यन्ताम
- भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850-1855)
- प्रेम मालिका, प्रेम सरोवर, प्रेम माधुरी, वर्षा विनोद, प्रेम फुलवारी, मधु मुकुल, विनय प्रेम पचासा
- मैथिलीशरण गुप्त (1886-1964)
- रंग में भंग(1909), भारत भारती (1912), तिलोत्तमा (1915), चंद्रहास (1916), किसान(1916) , वैतालिक (1916)
काव्य पंक्तियाँ Question 15:
'धन्य भारत भूमि सब रतनानि की उपजावनि' इस पंक्ति के लेखक हैंः
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 15 Detailed Solution
"धन्य भारत भूमि सब रत्नानी की उपजावनी" इस पंक्ति के लेखक बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- "धन्य भारत भूमि सब रत्नानी की उपजावनी" पंक्ति के लेखक बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन हैं।
- उपर्युक्त कविता में प्रेमघन जी ने भारत की महिमा का वर्णन किया है।
- प्रेमघन की कविताओं में भारतेंदु जी की कविताओं की प्रवृतियां मिलती है।
- बदरीनारायण चौधरी उपाध्याय "प्रेमधन" (1855-1923 ई ) हिन्दी साहित्यकार थे।
- "अब्र" नाम से इन्होंने उर्दू में कुछ कविताएं लिखी हैं।
- कृतियाँ
- भारत सौभाग्य
- प्रयाग रामागमन
- संगीत सुधासरोवर
- भारत भाग्योदय काव्य
- दिल्ली दरबार
- ब्रजचंद पंचक
- जीवन जनपद
- आनंद अरुणोदय
- लालित्य लहरी
- हार्दिक हर्षदा
- अलौकिक लीला
- वर्षा बिंदु
Additional Information
- प्रताप नारायण मिश्र (1856-1894)
- प्रेम पुष्पा ,मन की लहर ,श्रृंगार विलास ,लोकोक्ति शतक ,तृप्यन्ताम
- भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850-1855)
- प्रेम मालिका, प्रेम सरोवर, प्रेम माधुरी, वर्षा विनोद, प्रेम फुलवारी, मधु मुकुल, विनय प्रेम पचासा
- मैथिलीशरण गुप्त (1886-1964)
- रंग में भंग(1909), भारत भारती (1912), तिलोत्तमा (1915), चंद्रहास (1916), किसान(1916) , वैतालिक (1916)