आलोचना MCQ Quiz - Objective Question with Answer for आलोचना - Download Free PDF

Last updated on Jun 18, 2025

Latest आलोचना MCQ Objective Questions

आलोचना Question 1:

'अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' ग्रंथावली' के रचनाकार है?

  1. ओम थानवी 
  2. सदानंद शाही 
  3. नन्द किशोर 
  4. संजीव 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सदानंद शाही 

आलोचना Question 1 Detailed Solution

'अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' ग्रंथावली' के रचनाकार है- सदानंद शाही 

Key Pointsअयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' ग्रंथावली-

  • रचनाकार - सदानंद शाही
  • यह दस खंड में विभक्त है।

Important Pointsओम थानवी -

  • अपने अपने अज्ञेय (दो खंड)

नन्द किशोर-

  • अज्ञेय: संचयिता

संजीव -

  • अज्ञेय: उपन्यास संचयन

आलोचना Question 2:

'नई समीक्षा' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस विद्वान ने किया था?

  1. आई. ए. रिचर्ड्स
  2. स्प्रिंगार्न
  3. नार्थ फ्राईप
  4. स्पेंगलर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : स्प्रिंगार्न

आलोचना Question 2 Detailed Solution

'नई समीक्षा' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग स्प्रिंगार्न विद्वान ने किया था

Key Pointsनयी समीक्षा-

  • नयी समीक्षा 'new criticism' का अनुवाद है। 
  • यह 20 वीं शताब्दी के आरंभ में अमेरिका व यूरोप में विकसित हुई नयी समीक्षा आंदोलन से प्रभावित भी है। 
  • नयी समीक्षा शब्द का प्रथम प्रयोग स्पिनबर्न ने किया। 
  • इस समीक्षा के अनुसार-
    • रचना एक स्वायत्त इकाई है जिसका मूल्यांकन भाषिक एवं साहित्यिक प्रतिमानों पर ही होना चाहिए। 
    • रचना निर्वैयक्तिकता के साथ रची जानी चाहिए।  
  • प्रमुख आलोचक-
    • लक्ष्मीकान्त वर्मा 
    • धर्मवीर भारती 
    • विजयदेव नारायण साही 
    • निर्मल वर्मा 
    • रमेशचंद्र शाह आदि। 

आलोचना Question 3:

रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखित आलोचनात्मक ग्रंथ निम्न में से कौन-सा नहीं है?

  1. रसमीमांसा
  2. शिल्प और दर्शन 
  3. भ्रमरगीत सार
  4. जायसी ग्रंथावली

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : शिल्प और दर्शन 

आलोचना Question 3 Detailed Solution

रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखित आलोचनात्मक ग्रंथ नहीं है- शिल्प और दर्शन 

Key Pointsशिल्प और दर्शन-

  • रचनाकार- सुमित्रानंदन पंत 
  • प्रकाशन वर्ष- 1961 ई. 

Important Pointsआचर्य रामचंद्र शुक्ल-

  • जन्म- 1884 - 1941 ई.
  • आलोचनात्मक कृतियां-
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार  (1925 ई.)
    • हिंदी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
    • काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.)
    • कविता क्या है?

आलोचना Question 4:

सूची-I से सूची-II का मिलान कीजिए:

सूची - I

(आलोचक)

सूची - II

(ग्रंथ)

(A)

इलाचंद्र जोशी 

(I)

कबीर का रहस्यवाद

(B)

रामकुमार वर्मा 

(II)

साहित्य सर्जना 

(C)

शांतिप्रिय द्विवेदी 

(III)

सामयिकी

(D)

नन्ददुलारे वाजपेयी 

(IV)

हिंदी साहित्य: बीसवीं शताब्दी


नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :

  1. (A) - (III), (B) - (I), (C) - (IV), (D) - (II)
  2. (A) - (II), (B) - (III), (C) - (I), (D) - (IV) 
  3. (A) - (I), (B) - (II), (C) - (III), (D) - (IV) 
  4. (A) - (II), (B) - (I), (C) - (III), (D) - (IV) 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : (A) - (II), (B) - (I), (C) - (III), (D) - (IV) 

आलोचना Question 4 Detailed Solution

सही उत्तर है- (A) - (II), (B) - (I), (C) - (III), (D) - (IV)

Key Pointsसही सुमेलन है-

सूची - I

(आलोचक)

सूची - II

(ग्रंथ)

(A)

इलाचंद्र जोशी 

(II)

साहित्य सर्जना

(B)

रामकुमार वर्मा 

(I)

कबीर का रहस्यवाद 

(C)

शांतिप्रिय द्विवेदी 

(III)

सामयिकी

(D)

नन्ददुलारे वाजपेयी 

(IV)

हिंदी साहित्य: बीसवीं शताब्दी

Important Pointsइलाचंद्र जोशी-

  • जन्म- 1902-1982 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • साहित्य सर्जना (1940)
    • विवेचना (1948)
    • विश्लेषण (1954)
    • साहित्य चिंतन (1954)
    • देखा परखा (1957) आदि।

रामकुमार वर्मा-

  • जन्म- 1905-1990 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • कबीर का रहस्यवाद
    • साहित्य समालोचना आदि।

शांतिप्रिय द्विवेदी-

  • जन्म- 1906- 1967 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • हमारे साहित्य निर्माता (1934)
    • कवि और काव्य (1936)
    • साहित्यिक (1938)
    • संचारिणी (1939)
    • युग और साहित्य (1941)
    • सामयिकी (1944) आदि।

नन्ददुलारे वाजपेयी-

  • जन्म- 1906-1967 ई.
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • जयशंकर प्रसाद (1940)
    • हिंदी साहित्य: बीसवीं शताब्दी (1942)
    • आधुनिक साहित्य (1950)
    • नया साहित्यः नये प्रश्न (1955)
    • महाकवि सूरदास (1952)
    • प्रेमचन्द
    • महाकवि निराला (1965)
    • प्रकीर्णिका (1965)
    • कवि सुमित्रानन्दन पंत (1976)
    • नयी कविता (1976)
    • रस सिद्धांत (1977)
    • साहित्य का आधुनिक युग (1978)
    • आधुनिक साहित्यः सृजन और समीक्षा (1978)
    • रीति और शैली (1979)
    • समीक्षा संबंधी मेरी मान्यताएँ आदि।

आलोचना Question 5:

'मेरे समय के शब्द' किस विधा की रचना है?

  1. आलोचना
  2. निबंध
  3. चम्पू काव्य
  4. काव्य

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : आलोचना

आलोचना Question 5 Detailed Solution

'मेरे समय के शब्द' विधा की रचना है- आलोचना

Key Pointsमेरे समय के शब्द- 

  • रचनाकार - केदारनाथ सिंह
  • विधा - आलोचना

Important Pointsकेदारनाथ सिंह-

  • (7 जुलाई 1934 - 19 मार्च 2018)
  • एक भारतीय कवि थे जिन्होंने हिंदी में लिखा।
  • वे एक प्रख्यात आलोचक और निबंधकार भी थे। 
  • निबंध और कहानियाँ:
    • मेरे समय के शब्द,
    • कल्पना और छायावाद,
    • हिंदी कविता में बिंब विधान,
    • कब्रिस्तान में पंचायत

Additional Informationआलोचना-

  • किसी वस्तु/विषय की, उसके लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, उसके गुण-दोषों एवं उपयुक्तता का विवेचन करने वाली साहित्यिक विधा है।

निबंध-

  • गद्य की ऐसी विधा है जिसमें निबंधकार अपने भाव या विचार को सुसंगठित, व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत करता है।

चम्पू काव्य-

  • 'चम्पू' शब्द का अर्थ है कविता और गद्य का संयोजन। चम्पू-काव्य में गद्य (गद्य-काव्य) और पद्य-काव्य (पद्य-काव्य) का मिश्रण होता है, जिसमें गद्य खंडों के बीच छंद होते हैं।

काव्य-

  • जिसे कविता या पद्य भी कहा जाता है, साहित्य की एक विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त किया जाता है

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'कविता का अर्थात' किस विधा की रचना है?

  1. आलोचना 
  2. निबंध 
  3. संस्मरण
  4. काव्य

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : आलोचना 

आलोचना Question 6 Detailed Solution

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सही उत्तर आलोचना है। 

 Key Points

  • 'कविता का अर्थात' रचना प्रो. परमानंद श्रीवास्तव द्वारा रचित है। 
  • आलोचना पर लिखी उनकी यह पुस्तक कविता के अर्थात के लिए उन्हें व्यास सम्मान मिला।

कविता का अर्थात की मुख्य बातें -

  • कविता आज के लोकतंत्र में नया अर्थात चाहती है।
  • यह एकस्वरता का प्रतिवाद है।
  • प्रो. परमानंद ने कहा है कि
    •  कविता का विषय आज कुछ भी हो सकता है-संतरा, मालेगाँव में विस्फोट या दक्षा पटेल। 
    • कविता का संगीत है तो कविता का अनगढपन भी।

परमानन्द श्रीवास्तव परिचय -

जन्म 
  • 10 फ़रवरी, 1935 में बांसगांव, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 
शिक्षा  
  • इन्होंने 'हिंदी कहानी की रचना प्रकिया' पर पीएचडी गोरखपुर विश्वविद्यालय से पूर्ण की।
  • गोरखपुर विश्वविद्यालय से डी.लिट की उपाधि प्राप्त की। 
कार्य 
  • सेंट एंड्रयूज कालेज, गोरखपुर के हिंदी विभाग में अध्यक्षता तथा अध्यापन कार्य किया। 
  • 1989 से 1995 तक प्रेमचंद पीठ, गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे
  • केंद्रीय साहित्य अकादमी, साधारण सभा एवं परामर्श मंडल में विशिष्ट सदस्य रहे।
मुख्य कृतियाँ 

कविता संग्रह -

  • उजली हंसी के छोर पर 
  • अगली शताब्दी के बारे में

आलोचना -

  • कवि कर्म और काव्य भाषा
  • उपन्यास का यथार्थ और रचनात्मक भाषा
  • समकालीन कविता का यथार्थ
  • निराला (साहित्य अकादमी)

संपादित पुस्तकें -

  • समकालीन हिंदी कविता
  • महादेवी
  • शेखर एक जीवनी का महत्व

पत्रिकाओं का संपादन -

  • आलोचना 
  • साखी
पुरस्कार व सम्मान
  • उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत
  • 'रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार' 
  • 'भारत भारती सम्मान' 
  • 'व्यास सम्मान' 
मृत्यु
  • 5 नवम्बर, 2013

'प्रेमचंद और उनका युग' के लेखक हैं-

  1. अमृत राय
  2. शिवरानी देवी
  3. रामविलास शर्मा
  4. नामवर सिंह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रामविलास शर्मा

आलोचना Question 7 Detailed Solution

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'प्रेमचंद और उनका युग' के लेखक हैं- रामविलास शर्मा

Key Pointsरामविलास शर्मा- 

  • प्रसिद्धि - आधुनिक हिंदी के महत्वपूर्ण मार्क्सवादी समीक्षक के रूप में। 
  • पुरस्कार - 
    • 1970 में 'निराला की साहित्य साधना के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार। 
    • 1991 में 'भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी' के लिए व्यास सम्मान। 
  • प्रमुख आलोचनात्मक कृतियाँ -
    • निराला (1946)
    • प्रेमचंद और उनका युग (1952)
    • आचार्य रामचंद्र शुक्ल और हिंदी आलोचना (1955)
    • निराला की साहित्य साधना (तीन भाग - 1969,1972,1976)
    • नयी कविता और अस्तित्ववाद (1978) आदि। 

Important Pointsअमृतराय-

  • जन्म-1921-1996 ई.
  • आधुनिक कहानीकार थे।
  • अमृतराय प्रसिद्ध लेखक प्रेमचन्द के सुपुत्र है।  
  • ये प्रगतिशील साहित्यकारों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
  • अमृतराय को कलम का सिपाही नामक पुस्तक पर साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिल चुका है।
  • कृतियाँ-
    • बीज-उपन्यास 
    • तिरंगा-कहानी-संग्रह
    • कफन--कहानी-संग्रह

शिवरानी देवी-

  • शिवरानी देवी उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की जीवन संगिनी है।
  • प्रेमचंद घर में इनकी संस्मरणात्मक रचना है।

नामवर सिंह-

  • जन्म-1926-2019ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • छायावाद(1955ई.)
    • इतिहास और आलोचना(1957ई.)
    • कहानी:नयी कहानी(1965ई.)
    • कविता के नये प्रतिमान(1968ई.)
    • दूसरी परंपरा की खोज(1982ई.) आदि।

हिंदी गद्य का जन्मदाता किसे माना जाता है?

  1. प्रताप नारायण मिश्र
  2. महावीर प्रसाद द्विवेदी
  3. भारतेंदु हरिश्चन्द्र 
  4. बालकृष्ण भट्ट

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भारतेंदु हरिश्चन्द्र 

आलोचना Question 8 Detailed Solution

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 हिन्दी गद्य के जन्मदाता 'भारतेंदु हरिश्चन्द्र' माने जाते हैKey Points
  • हिंदी गद्य के विकास का पहला युग भारतेंदु युग के नाम से जाना जाता है।
  • भारतेंदु हिंदी गद्य के प्रथम लेखक कहे जाते हैं।अतः भारतेंदु के नाम से इस युग का नामकरण हुआ।
  • इस युग में गद्य साहित्य का सर्वतोमुखी विकास हुआ।
  • इस युग में नाटक ,उपन्यास ,निबंध ,आलोचना ,पत्र -पत्रिकाएँ अनुवाद आदि सभी गद्य विधाओं पर साहित्य की रचना की गयी है।
  • भारतेंदु जी ने इतिहास ,भूगोल ,विज्ञान ,पुराण आदि विषयों पर स्वयं लिखा और अन्य लेखकों को लिखने के लिए प्रेरित किया।
  • पत्र -पत्रिकाओं ,स्कूल ,क्लबों ,समाज सेवी संस्थाओं द्वारा हिंदी गद्य एवं भाषा का प्रचार -प्रसार किया गया।
  • लेखकों ने राष्ट्रीय भावना ,समाज सुधार एवं नारी जागरण का कार्य साहित्य द्वारा किया।
  • भारतेंदु जी ने हिंदी गद्य एवं भाषा को एक व्यवस्थित रूप प्रदान किया।
  • हिंदी गद्य का सर्वमान्य स्वरुप निर्धारित करने के कारण भारतेंदु हिंदी गद्य के जनक कहे जाते हैं और उनका समय भारतेंदु युग के नाम से विख्यात है।

Additional Information

भारतेंदु मंडल के प्रमुख साहित्यकार -

  • प्रताप नारायण मिश्र
  • बालकृष्ण भट्ट
  • बदरीनारायण चौधरी उपाध्याय 'प्रेमघन'
  • ठाकुर जगमोहन सिंह
  • अम्बिकादत्त व्यास
  • राधाचरण गोस्‍वामी

'हिन्दी साहित्य : बीसवीं शताब्दी' - आलोचना-ग्रंथ के लेखक हैं:

  1. शांतिप्रिय द्विवेदी
  2. नन्ददुलारे वाजपेयी
  3. नेमिचन्द्र जैन
  4. शिवदानसिंह चौहान

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : नन्ददुलारे वाजपेयी

आलोचना Question 9 Detailed Solution

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'हिन्दी साहित्य:बीसवीं शताब्दी'-आलोचना-ग्रंथ के लेखक-2) नन्ददुलारे वाजपेयी हैं।

Important Points

  • 'हिन्दी साहित्य:बीसवीं शताब्दी' - 1942 में इसका प्रकाशन हुआ। 
  • नंददुलारे वाजपेयी शुक्लोत्तर युग के प्रख्यात समालोचक थे। 
  • उन्होंने काशी नागरीप्रचारणी सभा में सूरसागर का तथा बाद में गीता प्रेस,गोरखपुर में रामचरितमानस का संपादन किया। 
  • वाजपेयीजी कहते हैं- हिन्दी के कवियों में यदि कहीं रमणीय और सुन्दर अद्वैती रहस्यावाद है तो जायसी में। 
  • हिंदी साहित्य:बींसवीं शताब्दी,जयशंकर प्रसाद,प्रेमचन्द:साहित्यिक विवेचन,आधुनिक साहित्य,नया साहित्य:नये प्रश्न आदि नन्ददुलारे वाजपेयी की प्रमुख आलोचनात्मक  पुस्तकें हैं।

मार्क्‍सवादी दर्शन के किस पक्ष से डॉ. भीमराव अंबेडकर की असहमति थी ?

  1. श्रम की गरिमा
  2. वर्गविहीन समाज की स्‍थापना
  3. शोषणविहीन समाज की रचना
  4. क्रांति में हिंसा का प्रयोग

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : क्रांति में हिंसा का प्रयोग

आलोचना Question 10 Detailed Solution

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 डा. भीमराव अंबेडकर की असहमति 4)क्रांति में हिंसा का प्रयोग की थी

Additional Information

  • डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को म्हो (वर्तमान मध्य प्रदेश में) में हुआ था।
  • इन्होंने बचपन से ही जातिगत भेदभाव का अनुभव किया। 
  • 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अपने शोध ” नेशनल डिविडेंड फॉर इंडिया: अ हिस्टोरिकल एंड एनालिटिकल स्टडी” के लिए दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की
  • इन्हें संविधान सभा समिति का अध्यक्ष चुना गया 
  • इनकी रचनायें-भारत में जातिप्रथा,जातिप्रथा और धर्म परिवर्तन,जातिप्रथा का अभिशाप,नारी और प्रतिक्रांति आदि
  • 6 दिसंबर 1956 को बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर परलोक सिधार गए।

Important Points

  • डॉ. आंबेडकर मार्क्स के विरोधी थे।
  • उन्होंने कहा था -“भारत को नेतृत्व चाहिए और यह नेतृत्व उसे श्रमिक वर्ग ही दे सकता है। एक सही नेतृत्व के लिए आदर्शवाद और स्वतंत्र विचार का होना जरूरी है। अभिजात वर्ग आदर्शवादी हो सकता है, पर स्वतंत्र रूप से वह नहीं सोच सकता। 
  • उन्होंने कहा था कि मजदूर वर्ग को स्वाधीनता,समानता और बंधुता की आवश्यकता है।

रामचंद्र शुक्‍ल के अनुसार निम्‍नलिखित मे से कौन-सा 'पंच बिड़ाल' मे शामिल नहीं है ?

  1. आलस्‍य
  2. हिंसा 
  3. चिकित्‍सा
  4. अहंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अहंकार

आलोचना Question 11 Detailed Solution

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 रामचंद्र शुक्‍ल के अनुसार 'पंच बिड़ाल' मे शामिल-4)अहंकार नहीं है
Hint

  रामचंद्र शुक्‍ल के अनुसार 'पंच बिड़ाल' मे शामिल हैं - 

  1. आलस्‍य
  2. हिंसा
  3. काम 
  4. चिकित्‍सा
  5. मोह 

Important Points

  • हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात उन्हीं के द्वारा हुआ।
  • हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
  • भाव, मनोविकार सम्बंधित मनोविश्लेषणात्मक निबन्ध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं। 
  • कृतियाँ-चिंतामणि,हिंदी साहित्य का इतिहास,कविता क्या है,लज्जा,क्रोध इत्यादि। 

'कविकर्म और काव्यभाषा' किस आलोचक की समीक्षा कृति है?

  1. मलयज
  2. रामस्वरूप चतुर्वेदी
  3. परमानन्द श्रीवास्तव
  4. प्रभाकर श्रोत्रिय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : परमानन्द श्रीवास्तव

आलोचना Question 12 Detailed Solution

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'कविकर्म और काव्यभाषा'- परमानन्द श्रीवास्तव आलोचक की समीक्षा कृति है।

Important Points

  • गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रेमचन्द पीठ की स्थापना में परमानन्द श्रीवास्तव का  विशेष योगदान रहा। 
  • कई पुस्तकों के लेखन के अतिरिक्त उन्होंने हिन्दी भाषा की साहित्यिक पत्रिका आलोचना का सम्पादन भी किया था।
  • आलोचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये उन्हें व्यास सम्मान और भारत भारती पुरस्कार प्रदान किया गया।

Additional Information

  • 'हिन्दी साहित्य और संवेदना का विकास' नामक कृति के लिये रामस्वरूप चतुर्वेदी को 1996 में व्यास सम्मान मिला।
  • परमानन्द श्रीवास्तव के अन्य आलोचनात्मक ग्रन्थ-
  1. हिन्दी कहानी की रचना प्रक्रिया (1965)
  2. कवि कर्म और काव्यभाषा (1975)
  3. उपन्यास का यथार्थ और रचनात्मक भाषा (1976)
  4. जैनेन्द्र के उपन्यास (1976)
  5. समकालीन कविता का व्याकरण (1980)
  6. समकालीन कविता का यथार्थ (1980)
  7. जायसी (1981)

"हिंदी में संस्कृत के पद बहुत आते हैं, उर्दू में अरबी पारसी के। परन्तु कुछ अवश्य नहीं है कि अरबी पारसी के शब्दों के बिना हिंदी न बोली जाय ______।" 'गद्य साहित्य का आविर्भाव' पाठ के आधार पर बताइये की उक्त कथन किसका है? 

  1. राजा शिवप्रसाद 
  2. राजा लक्ष्मणसिंह 
  3. भारतेंदु हरिश्चंद्र 
  4. प्रताप नारायण मिश्र 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : राजा लक्ष्मणसिंह 

आलोचना Question 13 Detailed Solution

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सही उत्तर 'राजा लक्ष्मणसिंह' है।

 Key Points

  • राजा लक्ष्मणसिंह ( 1826 - 1896 ) ने कालिदास के तीन ग्रंथो को हिन्दी में अनुवाद किया है।
  1. शकुन्तला ( 1862 )
  2. रघुवंश ( 1878 )
  3. मेघदूत ( 1882 )
  • राजा लक्ष्मण सिंह की कथनः-
  • हमारे मत में हिन्दी और उर्दू दोनो बोली न्यारी है , हिन्दी इस देश के हिन्दू बोलते है और उर्दू यहाँ के मुसलमान और फारसी पढे हुए हिन्दुओ की बोलचाल है।

Additional Information 

रचनाकार रचना
राजा शिव प्रसाद सिंह राजा भोज का सपना , आलसियों का कोडा , इतिहासतिमिर नाशक आदि।
भारतेंदु हरिश्चंद्र वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति ( प्रहसन ) ,भारत दूर्दशा , अंधेर नगरी आदि।
प्रताप नारायण मिश्र प्रेम पुष्पावली , मन की लहर , मानस विनोद आदि।

प्रकाशन वर्ष की दृष्टी से आचार्य नंददुलारे वाजपेयी की आलोचनात्मक कृतियों का सही अनुक्रम है:

  1. नयी कविता, जयशंकर प्रसाद, कवि निराला, आधुनिक साहित्य
  2. जयशंकर प्रसाद, आधुनिक साहित्य, कवि निराला, नयी कविता
  3. आधुनिक साहित्य, कवि निराला, जयशंकर प्रसाद, नयी कविता
  4. कवि निराला, आधुनिक साहित्य, नयी कविता, जयशंकर प्रसाद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : जयशंकर प्रसाद, आधुनिक साहित्य, कवि निराला, नयी कविता

आलोचना Question 14 Detailed Solution

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नंददुलारे वाजपेई की आलोचनात्मक कृतियों का सही अनुक्रम "जयशंकर प्रसाद, आधुनिक साहित्य, कवि निराला, नई कविता" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points

आलोचनात्मक कृति

रचना वर्ष

जयशंकर प्रसाद

1940

आधुनिक साहित्य

1950

कवि निराला

1965

नई कविता

1973

Additional Information
  • नंददुलारे वाजपेई की आलोचनात्मक कृतियां :-
    • हिंदी साहित्य 20वीं शताब्दी (1942), जयशंकर प्रसाद (1940),  आधुनिक साहित्य (1950), महाकवि सूरदास (1952),  महाकवि निराला (1965),  नई कविता (1973), कवि सुमित्रानंदन पंत (1976),  रस सिद्धांत (1977),  साहित्य का आधुनिक युग (1978), आधुनिक साहित्य : सृजन और समीक्षा (1978),  रीति और शैली (1979), नया साहित्य नए प्रश्न

"शुक्‍ल जी ने न तो भारत के रूढि़वाद को स्‍वीकार  किया, न पश्चिमी व्यक्तिवाद को।"

उपर्युक्त कथन क‍िस लेखक का है? 

  1. नन्ददुलारे वाजपेयी
  2. रामव‍िलास शर्मा
  3. नामवर सिंह
  4. नगेन्‍द्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : रामव‍िलास शर्मा

आलोचना Question 15 Detailed Solution

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उपर्युक्त कथन-2) रामव‍िलास शर्मा का है।

Important Points

  • रामव‍िलास शर्मा का प्रथम आलोचनात्मक लेख 'निरालाजी की कविता' है।
  • हिंदी जाति की अवधारणा रामविलास शर्मा के जातीय चिंतन का केंद्रीय बिंदु है।

Additional Information 

  • रामविलास शर्मा मार्क्सवादी दृष्टि से भारतीय संदर्भों का मूल्यांकन करते हैं।
  • सर्वप्रथम नवजागरण शब्द का प्रयोग इनके द्वारा ही 1977 में लिखे गये पुस्तक "महाविर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण" में हुुआ।
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