वैचारिक पृष्ठभूमि MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for वैचारिक पृष्ठभूमि - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Mar 23, 2025
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वैचारिक पृष्ठभूमि Question 1:
राम, कृष्ण और शिव के व्यक्तित्व पर किस समाजवादी चिंतक ने विचार किया है।
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 1 Detailed Solution
राम कृष्ण और शिव के व्यक्तित्व पर राम मनोहर लोहिया समाजवादी चिंतक ने विचार किए हैं।
Key Points
- राम मनोहर लोहिया ने निबंध 'राम, कृष्ण और शिव ' नाम से लिखा।
- डॉक्टर लोहिया कहते हैं कि राम,कृष्ण व शिव को हमको नहीं बनाया हमने इन्हें बनाया है और यह एक दिन के बनाए नहीं है सच यही है कि करोड़ों हिंदुस्तानियों ने युग युगांतर में हजारों वर्षों में राम कृष्ण और शिव को बनाया है उनमें अपनी हंसी और सपनों के रंग भरे तब राम कृष्ण और शिव जैसी चीजें सामने आई है।
- राम मनोहर लोहिया की दृष्टि में यूं तो हर एक देश का अपना इतिहास होता है इतिहास की राजनीतिक साहित्यिक और दूसरी तरह की कई घटनाएं होती है।
- इतिहास की घटनाओं को लेकर एक लंबी जंजीर होती है उसको लेकर ही कोई सभ्यता और संस्कृति बनती है उनका दिमाग पर असर रहता है।
- लेकिन इनसे अलग एक और जंजीर होती है वह किस्से कहानियों वाली।
- राम कृष्ण और शिव सचमुच इस दुनिया में कभी हुए या नहीं कोई नहीं जानता असली बात यह है कि इनकी जिंदगी के किस्से के छोटे-छोटे पहलू भी हिंदुस्तान के करोड़ों लोग जानते हैं।
- यह मूल आलेख का संपादित अंश है।
Important Points
- राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को तमसा नदी के किनारे अकबरपुर फैजाबाद में हुआ।
- उनके पिताजी श्री हीरालाल पेशे से अध्यापक वह हृदय सच्चे राष्ट्रभक्त थे।
- उनके पिताजी गांधी जी के अनुयाई थे जब गांधी जी से मिलने जाते तो राम मनोहर लोहिया को भी अपने साथ ले जाया करते थे।
- इसके कारण गांधी जी के विराट व्यक्तित्व का उन पर गहरा असर हुआ।
- लोहिया जी अपने पिताजी के साथ 1918 में अहमदाबाद कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए।
- इन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया।
- 20 मई 1944 गोवा मुक्ति आंदोलन के दौरान जेल गए।
- इन हिंदी, जर्मनी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान था।
Additional Information
- जयप्रकाश नारायण
- भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे।
- 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है।
- इंदिरा गांधी को पदच्युत करने के लिए इन्होंने संपूर्ण क्रांति नमक आंदोलन चलाया।
- वे समाज सेवक थे इन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है।
- 1998 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित हुए।
- समाज सेवा के लिए इन्हें रमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला है।
- इन्होंने विनोबा भावे के सर्वोदय आंदोलन के लिए जीवन समर्पित किया।
- आचार्य नरेंद्र देव-
- भारत के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार,साहित्यकार एवं शिक्षा विद थे।
- काशी विद्यापीठ के आचार्य बनने के बाद से यह उपाधि उनके नाम का अंग बन गए।
- देश की स्वतंत्र कराने का जुनून उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में खींच लाया और भारत की आर्थिक दशा में गरीबों की दुर्दशा ने उन्हें समाजवादी बना दिया।
- मधु लिमये –
- भारत के समाजवादी विचारों के निबंध कार्य कार्यकर्ता थे।
- राम मनोहर लोहिया के अनुयाई एवं राम सेवक यादव व जॉर्ज फर्नांडीस के सहकर्मी थे।
- पुर्तगालियों से गोवा को मुक्त कराकर भारत में शामिल करने में अहम भूमिका अदा की।
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 2:
महात्मा गांधी के 'हिन्द स्वराज' के संबंध में उपयुक्त कथन कौन से हैं?
A. 'हिन्द स्वराज' मूल रूप से गुजराती में लिखी गई है।
B. इसमें भारत को विश्व शक्ति के रूप में देखने की अभिलाषा व्यक्त हुई है।
C. इसमें सभ्यता दर्शन पर विचार किया गया है।
D. इसके अनुसार सत्याग्रह को आत्म बल से पाया जा सकता है।
E. इसमें अंग्रेजी की शिक्षा को उपयोगी बताया गया है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 2 Detailed Solution
महात्मा गांधी की 'हिंद स्वराज' के संबंध में उपयुक्त कथन - केवल A, C और D
Key Points
हिंद स्वराज -
- रचनाकार - महात्मा गांधी
- प्रकाशन वर्ष - 1909 ई.
- भाषा – गुजराती
- मुख्य –
- यह लगभग 30 हजार शब्दों की लघु पुस्तिका है।
- गांधी जी ने इसे अपनी इंग्लैंड से दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के समय पानी के जहाज में लिखा था।
- यह 'इंडियन ओपिनिअन' में सबसे पहले प्रकाशित हुई जिसे भारत में अंग्रेजों ने राजद्रोह घोषित सामग्री कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया।
- इसके अंग्रेजी अनुवाद के बाद 21 दिसंबर (1938 ई.) को इस पर लगा प्रतिबंध हटा दिया।
- इस पुस्तक का हिंदी और संस्कृति सहित कई भाषा में अनुवाद उपलब्ध है संस्कृत अनुवाद डॉक्टर प्रवीण पांडया ने किया।
- हिंद स्वराज पुस्तक में गहरा सभ्यता विमर्श है इस पुस्तक में अंग्रेजों के प्रति द्वेष होने के कारण नहीं बल्कि उसकी सभ्यता में प्रतिभा में कहा कि गांधीजी का 'स्वराज ' दरअसल एक वैकल्पिक सभ्यता का शास्त्र या ब्लूप्रिंट है जिसका भारतीय सत्ता प्राप्त करने का कोई राजनीतिक एजेंडा या मेनिफेस्टो नहीं है।
- पुस्तक में 20 अध्याय तथा दो ससुचियाँ है।
महात्मा गांधी के 'हिन्द स्वराज' के संबंध में उपयुक्त कथन -
- 'हिन्द स्वराज' मूल रूप से गुजराती में लिखी गई है।
- इसमें सभ्यता दर्शन पर विचार किया गया है।
- इसके अनुसार सत्याग्रह को आत्म बल से पाया जा सकता है।
Important Points
महात्मा गांधी-
- जन्म - 2 अक्टूबर 1869 ई.
- जन्मस्थान - पोरबंदर, गुजरात
- पूरा नाम - मोहनदास करमचंद गांधी
- गांधी जी की प्रमुख पुस्तकें –
- सत्य के प्रयोग (आत्मकथा)
- मेरी जीवन कथा
- रामनाम
- मेरे सपनों का भारत
- संक्षिप्त आत्मकथा
- दक्षिणी अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास
- गीताबोध
- बापू की सीख
Additional Information
गांधी जी की 'हिंद स्वराज' की प्रमुख बातें -
(1) आपके मन का राज्य स्वराज है।
(2) आपकी कुंजी सत्याग्रह, आत्मबल या करूणा बल है।
(3) उस बल को आजमाने के लिए स्वदेशी को पूरी तरह अपनाने की जरूरत है।
(4) हम जो करना चाहते हैं वह अंग्रेजों को सजा देने के लिए नहीं करें, बल्कि इसलिए करें कि ऐसा करना हमारा कर्तव्य है। मतलब यह कि अगर अंग्रेज नमक-कर रद्द कर दें, लिया हुआ धान वापस कर दें, सब हिन्दुस्तानियों को बड़े-बड़े ओहदे दे दें और अंग्रेजी लश्कर हटा लें, तब भी हम उनकी मिलों का कपड़ा नहीं पहनेंगे, उनकी अंग्रेजी भाषा काम में नहीं लायेंगे और उनकी हुनर-कला का उपयोग नहीं करेंगे। हमें यह समझना चाहिए कि हम वह सब दरअसल इसलिए नहीं करेंगे क्योंकि वह सब नहीं करने योग्य है।
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 3:
राम मोहन राय के संबंध में निम्नलिखित में से उपयुक्त कथन कौन से हैं?
A. वे बहुदेववादी कर्मकांडों के समर्थक थे।
B. वे भारत में राष्ट्रीय पत्रकारिता के संस्थापक थे।
C. वे ईसाई धर्म की नैतिक प्रणाली से प्रभावित थे।
D. वे स्वयं को वेदांती मानते थे।
E. वे मूलतः युक्तिवादी और नैतिकतावादी धर्मानुयायी बने रहे।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 3 Detailed Solution
राम मोहन राय के संबंध में उपयुक्त कथन हैं-
- B. वे भारत में राष्ट्रीय पत्रकारिता के संस्थापक थे।
- C. वे ईसाई धर्म की नैतिक प्रणाली से प्रभावित थे।
- E. वे मूलतः युक्तिवादी और नैतिकतावादी धर्मानुयायी बने रहे।
Key Pointsराम मोहन राय-
- राम मोहन राय एक महान समाजसेवी, सामाजिक कार्यकर्ता, धर्म सुधारक और भारतीय नवजागरण के प्रमुख आंदोलनकारी थे।
- वह 19वीं शताब्दी के प्रमुख समाजसेवी और सामाजिक सुधारक माने जाते हैं।
- उन्होंने धर्म सुधार, नारी सम्मान, शिक्षा सुधार, प्रेस स्वतंत्रता और विवाह प्रथाओं में सुधार के लिए कार्य किया।
- राम मोहन राय ने सामाजिक और धार्मिक आन्दोलनों के माध्यम से भारतीय समाज को सुधारने की योजना बनाई और उन्होंने साम्राज्यवाद, सती प्रथा और जातिवाद जैसे दुर्गम प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाई।
- उनकी प्रमुख रचनाएं "तत्त्वमिमांसा" और "ब्रह्म समाज" हैं।
- राम मोहन राय ने अपने धर्म और सामाजिक उद्देश्यों के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया और उनका कार्य महानतम समाज सुधारकों में गिना जाता है।
- राजा राममोहन राय को स्वतंत्र पत्रकारिता का जनक कहा गया है।
- प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने कठिन संघर्ष किया।
- पत्रिका-
- ब्राह्मणवादी पत्रिका (1821)
- बंगाली साप्ताहिक- संवाद कौमुदी (1821)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 4:
पूना पैक्ट का विषय किससे संबंधित था?
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 4 Detailed Solution
पूना पैक्ट का विषय दलित निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित था।
Key Pointsपूना पैक्ट-
- पूना पैक्ट भीमराव अम्बेडकर एवं महात्मा गांधी के बीच पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में 24 सितम्बर, 1932 को हुआ था।
- पूना समझौता के तहत सांप्रदायिक अधिनिर्णय (कम्युनल एवार्ड) में ब्रटिश सरकार ने संशोधन की अनुमति प्रदान कर दी थी।
- पूना समझौता में दलित वर्ग के लिए पृथक निर्वाचक मंडल को समाप्त कर दिया गया।
- दलित वर्ग के लिए आरक्षित सीटों की संख्या प्रांतीय विधानमंडलों में 71 से बढ़ाकर 148 और केन्द्रीय विधायिका में कुल सीटों की संख्या का 18% कर दीं गयीं थी।
Additional Information
- लन्दन में 1930 से 1932 के दौरान तीन गोलमेज सम्मलेन का आयोजन किया गया था।
- भीमराव अंबेडकर एकमात्र भारतीय प्रतिनिधि थे, जो तीनों गोलमेज सम्मलेन में शामिल हुए थे।
- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में हुए विचार विमर्श के फल स्वरूप ब्रिटिश प्रधानमंत्री रेम्मजे मैक्डोनल्ड ने 16 अगस्त 1932 को साम्र्पदायिक पंचाट की घोषणा कर दी।
- जिसमें दलितो सहित 11 समुदायों को पृथक निर्वाचक मंडल प्रदान किया गया।
- इस पंचाट के तहत भीमराव आंबेडकर द्वारा उठाई गयी राजनीतिक प्रतिनिधित्व की माँग को मानते हुए दलित वर्ग को दो वोटों का अधिकार मिला था।
- एक वोट से दलित अपना प्रतिनिधि चुनेंगे तथा दूसरी वोट से सामान्य वर्ग का प्रतिनिधि चुनेंगे।
- इस प्रकार दलित प्रतिनिधि केवल दलितों के ही वोट से चुना जाना था।
- सांप्रदायिक अधिनिर्णय द्वारा भारतीयों को विभाजित करने तथा हिंदुओं से दलितों को पृथक करने की व्यवस्थाओं ने गांधी जी को आहत कर दिया थी।
- कम्युनल एवार्ड की घोषणा होते ही सबसे पहले तो गांधीजी ने ब्रिटिश प्रधानमन्त्री को पत्र लिखकर इसे बदलवाने का प्रयास किया,
- परंतु जब उन्होंने देखा के यह निर्णय बदला नहीं जा रहा, तो उन्होंने आमरण अनशन शुरू किया।
- दलितों के लिए की गई पृथक निर्वाचक मंडल की व्यवस्था का गांधीजी ने विरोध किया और पूना की यरवदा जेल में 20 सितंबर 1932 को गांधी जी ने अनशन शुरू कर दिया।
- गांधीजी की हालत ख़राब होने लगी तब राजेंद्र प्रसाद व मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से 24 सितंबर 1932 को गांधी जी और अंबेडकर के मध्य पूना समझौता हुआ।
- जिसमें संयुक्त हिंदू निर्वाचन व्यवस्था के अंतर्गत दलितों के लिए स्थान आरक्षित रखने पर सहमति बनी इसी समझौते को पूना पैक्ट भी कहा जाता है।
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 5:
निम्नलिखित में से कौन से युग्म सही हैं ?
(A) स्त्री मुक्ति के प्रश्न - 2009 ई.
(B) स्त्री लेखन : स्वप्न और संकल्प - 2011 ई.
(C) अनामिका का काव्य - 2014 ई.
(D) औरत के लिए औरत -2008 ई.
(E) औरत: इतिहास रचा है तुमने - 2013 ई.
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल A, B
Important Pointsसही है -
रचना | प्रकाशन वर्ष | रचनाकार |
स्त्री मुक्ति के प्रश्न | 2009 ई. | देवेन्द्र इस्सर |
स्त्री लेखन : स्वप्न और संकल्प | 2011 ई. | रोहिणी अग्रवाल |
अनामिका का काव्य | 2015 ई. | मंजु रुस्तगी |
औरत के लिए औरत | 2007 ई. | नासिरा शर्मा |
औरत: इतिहास रचा है तुमने | 2012 ई. | कुसुम त्रिपाठी |
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 6:
निम्नलिखित सिद्धांतों को उनकी विशेषताओं के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची I | सूची II | ||
(a) | अभिजात्यवाद | (1) | कल्पना- प्रवणता |
(b) | स्वच्छंदतावाद | (2) | पाठ का भाषिक विश्लेषण |
(c) | मार्क्सवाद | (3) | अनुकरण |
(d) | संरचनावाद | (4) | इतिहास की मृत्यु |
इनमें से कौन-सा विकल्प सही है?
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 6 Detailed Solution
सही सुमेलन है- (a - 2), (b - 1), (c - 3), (d - 4)
Key Points
सूची I | सूची II |
अभिजात्यवाद | पाठ का भाषिक विश्लेषण |
स्वच्छंदतावाद | कल्पना- प्रवणता |
मार्क्सवाद | अनुकरण |
संरचनावाद | इतिहास की मृत्यु |
- अंग्रेजी भाषा के Classicism का हिंदी रूपांतरण है | Classicism शब्द Classic शब्द से बना है जिसका अर्थ है — सर्वश्रेष्ठ, अद्वितीय व गंभीरतम साहित्य के क्षेत्र में इसका अर्थ है — ऐसा साहित्य जिसकी समता कोई अन्य न कर सके।
- सबसे पहले रोमियो ने इस शब्द का प्रयोग विशिष्ट वर्ग के नागरिकों के लिए किया । उनके बाद औलस जेलियस नामक एक विद्वान ने आलंकारिक रूप में उस लेखक के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जिसमें सार हो, यथार्थ गुण हों, जो यथार्थ सम्पत्ति का स्वामी हो और जन-सामान्य के मध्य एक विशेष स्थान रखता हो।
- इससे यह स्पष्ट होता है कि उस समय श्रेष्ठ साहित्य के रचयिता को अभिजात्य साहित्यकार माना जाता था तथा उसका साहित्य ही अभिजात्य साहित्य कहलाता था। दूसरी तरफ यूनान और रोम के विद्वानों ने अपने देश के साहित्य को ही अभिजात्य साहित्य कहा है। आज इसे शास्त्रवाद, शास्त्रीयवाद तथा अभिजात्यवाद आदि नामों से जाना जाता है।
- स्वच्छंदतावाद शब्द अंग्रेजी के रोमांटिसिजम शब्द का हिंदी अनुवाद जिसका प्रयोग अतिभावुक तथा कल्पना प्रधान मनोवृति के लिए होता है।
- राजनीतिक दृष्टि से स्वच्छंदतावाद का विकास 1789 ई. में फ्रांसीसी क्रांति से हुआ।
- स्वच्छंदतावाद का उदय 'लिरिकल बैलेडस'नामक कविता संग्रह के प्रकाशन से हुआ।
- इसके समर्थक वर्ड्सवर्थ, कॉलरिज,शैली,कीटस,बायरन आदि माने जाते हैं।
- साम्यवादियां मार्क्सवाद अच्छी विचारधारा के दो नाम है जिसे वैज्ञानिक समाजवाद और क्रांतिकारी समाजवाद भी कहा जाता है प्रवर्तक कार्ल मार्क्स माने जाते हैं इन्ही के नाम पर इसका नाम मार्क्सवाद पड़ा।
- पाश्चात्य समीक्षा जगत से हिंदी में आया इसका विकास फ्रासं में 1960 के दशक में हुआ।
- संरचनावाद का इस्तेमाल संस्कृतिक संदर्भों जैसे मिथकों, साहित्यक कृतियों को समझने के लिए लेवी स्ट्रास ने किया उन्होंने चिन्ह को प्रत्येक संस्कृति का अहम हिस्सा माना है।
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 7:
निम्न में से क्या आदिवासी साहित्य के राँची घोषणा पत्र से संबंधित हैं?
A. प्रकृति की लय-ताल और संगीत का जो अनुसरण करता हो।
B. जो समूचे जीव जगत की अवहेलना करे।
C. जो धनलोलुप और बाजारवादी हिंसा और लालसा का नकार करता हो।
D. जो हर तरह की गैर-बराबरी के खिलाफ हो।
E. सहानुभूति, स्वानुभूति इसका प्रबल स्वर-संगीत हो।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 7 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल A, C और D
- A. प्रकृति की लय-ताल और संगीत का जो अनुसरण करता हो।
- C. जो धनलोलुप और बाजारवादी हिंसा और लालसा का नकार करता हो।
- D. जो हर तरह की गैर-बराबरी के खिलाफ हो।
Key Pointsआदिवासी साहित्य का रांची घोषणा पत्र-
- आदिवासी साहित्य की बुनियादी शर्त उसमें आदिवासी दर्शन का होना है जिसके मूल तत्त्व हैं -
- प्रकृति की लय-ताल और संगीत का जो अनुसरण करता हो।
- जो प्रकृति और प्रेम के आत्मीय संबंध और गरिमा का सम्मान करता हो।
- जिसमें पुरखा-पूर्वजों के ज्ञान-विज्ञान, कला-कौशल और इंसानी बेहतरी के अनुभवों के प्रति आभार हो।
- जो समूचे जीव जगत की अवहेलना नहीं करें।
- जो धनलोलुप और बाजारवादी हिंसा और लालसा का नकार करता हो।
- जिसमें जीवन के प्रति आनंदमयी अदम्य जिजीविषा हो।
- जिसमें सृष्टि और समष्टि के प्रति कृतज्ञता का भाव हो।
- जो धरती को संसाधन की बजाय मां मानकर उसके बचाव और रचाव के लिए खुद को उसका संरक्षक मानता हो।
- जिसमें रंग, नस्ल, लिंग, धर्म आदि का विशेष आग्रह न हो।
- जो हर तरह की गैर-बराबरी के खिलाफ हो।
- जो भाषायी और सांस्कृतिक विविधता और आत्मनिर्णय के अधिकार पक्ष में हो।
- जो सामंती, ब्राह्मणवादी, धनलोलुप और बाजारवादी शब्दावलियों, प्रतीकों, मिथकों और व्यक्तिगत महिमामंडन से असहमत हो।
- जो सहअस्तित्व, समता, सामूहिकता, सहजीविता, सहभागिता और सामंजस्य को अपना दार्शनिक आधार मानते हुए रचाव-बचाव में यकीन करता हो।
- सहानुभूति, स्वानुभूति की बजाय सामूहिक अनुभूति जिसका प्रबल स्वर-संगीत हो।
- मूल आदिवासी भाषाओं में अपने विश्वदृष्टिकोण के साथ जो प्रमुखतः अभिव्यक्त हुआ हो।
Important Pointsआदिवासी साहित्य-
- आदिवासी साहित्य से तात्पर्य उस साहित्य से है जिसमें आदिवासियों का जीवन और समाज उनके दर्शन के अनुरूप अभिव्यक्त हुआ हो।
- आदिवासी साहित्य की अवधारणा को लेकर तीन तरह के मत हैं-
- (1) आदिवासी विषय पर लिखा गया साहित्य आदिवासी साहित्य है।
- (2) आदिवासियों द्वारा लिखा गया साहित्य आदिवासी साहित्य है।
- (3) ‘आदिवासियत’ (आदिवासी दर्शन) के तत्वों वाला साहित्य ही आदिवासी साहित्य है।
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 8:
गाँधीवाद और मार्क्सवाद के बीच एक समान सहमति पाई जाती है । यह निम्नलिखित में से कौन-सी है ?
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 8 Detailed Solution
- उनके अनुसार राज्य का प्राथमिक कार्य शासक वर्ग के हित में समाज के निम्न वर्गों का दमन करना है।
- एक राज्य विहीन समाज का ऐसा समाज हो जो एक राज्य द्वारा शासित ना हो जिसका अर्थ है कि कोई सरकार नहीं होती है।
- मार्क्स का मानना की पूंजीवाद लाभ और निजी स्वामित्व पर जोर देने के साथ नागरिकों के बीच असमानता को जन्म देता है।
- इस प्रकार उनका लक्ष्य एक ऐसी प्रणाली को प्रोत्साहित करना था कि जो एक राज्यविहीन समाज को बढ़ावा दे जिसमें सभी द्वारा श्रम के लाभों को साझा करने और राज्य सरकार के सभी प्रकार की संपत्ति को धन को नियंत्रित किया।
- कार्ल मार्क्स की साम्यवादी विचारधारा ही मार्क्सवादी विचारधारा के नाम से जानी जाती है।
- मार्क्स एक समाजवादी विचारक थे और यथार्थ पर आधारित समाजवादी विचारक के रूप में जाने जाते हैं।
- सामाजिक राजनीतिक दर्शन में मार्क्सवाद उत्पादन के साधनों पर सामाजिक स्वामित्व द्वारा वर्गविहीन समाज की स्थापना के संकल्प की साम्यवादी विचारधारा है।
- मूलतः मार्क्सवाद उन आर्थिक राजनीतिक और आर्थिक सिद्धांतो का समुच्चय है जिन्हें उन्नीसवीं-बीसवीं सदी में कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स और व्लादिमीर लेनिन तथा साथी विचारकों ने समाजवाद के वैज्ञानिक आधार की पुष्टि के लिए प्रस्तुत किया।
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 9:
प्रार्थना समाज के बारे में निम्नलिखित में से कौन- सा कथन सही नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 9 Detailed Solution
प्रार्थना समाज के बारे में कथन सही नहीं है- प्रार्थना समाज की स्थापना 1860 में बंबई में हुई थी।
Key Pointsसही है-
- प्रार्थना समाज की स्थापना 1867 में बंबई में हुई थी।
Important Pointsप्रार्थना समाज-
- आत्माराम पांडुरंग द्वारा प्रारंभ किया गया था।
- बंबई में प्रार्थना समाज की स्थापना वर्ष 1867 में की गई थी।
- इस समाज की स्थापना केशवचंद्र सेन की प्रेरणा से की गई थी।
- संबंधित अन्य प्रमुख विचारक-
- आर. जी.भंडारकर, महादेव गोविंद रानाडे तथा एन.जी. चंदावरकर आदि।
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 10:
'वेद समाज' के संस्थापक है?