Question
Download Solution PDFव्यक्तित्व को अधोलिखित विशेषताओं के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) इसके अन्तर्गत शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक दोनों ही घटक होते हैं।
(2) किसी व्यक्ति विशेष में व्यवहार के रूप में इसकी अभिव्यक्ति पर्याप्त रूप से अनूठी होती है।
(3) इसकी प्रमुख विशेषताएँ साधारणतया समय के साथ परिवर्तित नहीं होती हैं।
निम्नलिखित में से व्यक्तित्व की विशेषता से संबंधित कौन सा विकल्प सही है?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFशब्द "पर्सनालिटी" लैटिन शब्द "पर्सोना" से लिया गया है जिसका अर्थ मंच पर एक चरित्र का प्रदर्शन करते समय एक अभिनेता द्वारा पहना जाने वाला मुखौटा होता है।
- ऑलपोर्ट (1961) के अनुसार व्यक्तित्व "व्यक्ति के भीतर उन मनो-भौतिक प्रणालियों का गतिशील संगठन है जो उसके वातावरण के साथ उसके अद्वितीय समायोजन को निर्धारित करता है"।
Key Pointsव्यक्तित्व की विशिष्ट विशेषताएं:
- मनोभौतिक प्रणाली: व्यक्तित्व एक ऐसी प्रणाली है जिसमें मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दोनों पहलू होते हैं। यह प्रणाली परस्पर क्रिया करने वाले तत्वों से बनी है और प्रणाली के मुख्य तत्व लक्षण, भावनाएँ, बुद्धि, स्वभाव, चरित्र और उद्देश्य हैं।
- गतिशील संगठन: यह दर्शाता है कि मनोवैज्ञानिक प्रणाली के विभिन्न तत्व स्वतंत्र हैं लेकिन एक इंटरलॉकिंग तरीके से कार्य करते हैं और परिवर्तन के अधीन हैं। हालाँकि, यह परिवर्तन समय के साथ धीरे हो सकता है।
- संगति: चूंकि व्यक्तित्व एक स्थिर संगठन है, अतः इसमें निरंतरता का तत्व भी होता है। संगति से हमारा तात्पर्य है कि एक व्यक्ति भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में एक जैसा व्यवहार करता है और व्यक्ति द्वारा एक ही स्थिति को समय-समय पर दोहराने पर व्यक्ति में व्यवहारिक एकरूपता पाई जाती है।
- पर्यावरण के लिए अद्वितीय समायोजन: प्रत्येक व्यक्ति में मनोवैज्ञानिक लक्षणों के एक गतिशील संगठन की विशेषता होती है जो उसका समायोजन करता है। इसका कारण यह है कि प्रत्येक व्यक्ति के अनुभव अद्वितीय होते हैं इसलिए पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिक्रिया भी अद्वितीय होती है।
- व्यक्तित्व संरचना का विकास: व्यक्तित्व का विकास वृद्धि करते हुए जीव का एक प्राकृतिक गुण है। व्यक्ति को जीवन के मार्ग में सरलता से तेजी के साथ जटिल कारकों और स्थितियों से गुजरना पड़ता है।
- चेतना: चेतना व्यक्तित्व का सचेतन है यह पर्यावरण के साथ हमारी अंतःक्रिया से विकसित होता है। इस अंतःक्रिया के परिणामस्वरूप स्वयं की अवधारणा का निर्माण होता है। स्व-अवधारणा का अर्थ है कि हम कौन हैं और हम किसके लिए खड़े हैं। मनुष्य की सभी प्रतिक्रियाएँ आत्म-अवधारणा के संरक्षण की ओर उन्मुख होती हैं।
अतः, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि सभी विशेषताएँ सत्य हैं।
Last updated on Jul 11, 2025
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