दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 95 के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा किसी पुस्तक को जब्त करने की घोषणा किए जाने पर, उसे रद्द करने का आवेदन निम्नलिखित के समक्ष आता है:

  1. जिला अधिकारी
  2. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
  3. जिला एवं सत्र न्यायाधीश
  4. उच्च न्यायालय।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उच्च न्यायालय।

Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 4 है।

Key Points दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 96

जब्ती की घोषणा को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन

  1. कोई व्यक्ति, जिसका किसी समाचारपत्र, पुस्तक या अन्य दस्तावेज में कोई हित है, जिसके संबंध में धारा 95 के अधीन समपहरण की घोषणा की गई है, ऐसी घोषणा के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से दो मास के भीतर, ऐसी घोषणा को इस आधार पर अपास्त करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन कर सकेगा कि समाचारपत्र के उस अंक, या पुस्तक या अन्य दस्तावेज में, जिसके संबंध में घोषणा की गई थी, ऐसी कोई बात अंतर्विष्ट नहीं थी, जैसा धारा 95 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट है।
  2. जहां उच्च न्यायालय में तीन या अधिक न्यायाधीश हैं, वहां प्रत्येक ऐसे आवेदन पर तीन न्यायाधीशों से गठित उच्च न्यायालय की विशेष पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी और उसका निर्धारण किया जाएगा और जहां उच्च न्यायालय में तीन से कम न्यायाधीश हैं, वहां ऐसी विशेष पीठ उस उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों से गठित होगी।
  3. किसी समाचार-पत्र के संदर्भ में किसी ऐसे आवेदन की सुनवाई पर, ऐसे समाचार-पत्र की कोई प्रति, उसमें अंतर्विष्ट शब्दों, चिह्नों या दृश्यरूपणों की प्रकृति या प्रवृत्ति के सबूत के लिए साक्ष्य में दी जा सकेगी, जिनके संबंध में समपहरण की घोषणा की गई थी।
  4. यदि उच्च न्यायालय का यह समाधान नहीं हो जाता है कि समाचारपत्र के उस अंक या पुस्तक या अन्य दस्तावेज में, जिसके संबंध में आवेदन किया गया है, धारा 95 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट कोई बात अंतर्विष्ट है तो वह जब्ती की घोषणा को अपास्त कर देगा।
  5. जहां विशेष पीठ बनाने वाले न्यायाधीशों के बीच मतभेद हो, वहां निर्णय उन न्यायाधीशों के बहुमत की राय के अनुसार होगा।

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