किस निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि यदि चैक के पूर्व अनादरण व इस हेतु जारी नोटिस के आधार पर कोई परिवाद प्रस्तुत नहीं किया गया हो तो चैक के द्वितीय अथवा पश्चातवर्ती अनादरण होने के आधार पर परिवाद पोषणीय है:

  1. (2013) 1 एस.सी.सी. 177. एम.एस. आर. लेदर्स बनाम् एस. पत्नी अप्पन एवं अन्य।
  2. (1998) 6एस.सी.सी. 514. सदानंदन भद्रां बनाम् माधवन सुनील कुमार।
  3. (1999) 4 एस.सी.सी. 567, सिल इम्पोर्ट यू. एस. ए. बनाम् एग्जिम एडस सिल्क एक्सपोर्टर्स बैंगलोर ।
  4. (2004) 13 एस.सी.सी. 498, कृष्णा एक्सपोर्टस एवं अन्य बनाम् राजू दास ।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (2013) 1 एस.सी.सी. 177. एम.एस. आर. लेदर्स बनाम् एस. पत्नी अप्पन एवं अन्य।

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सही उत्तर विकल्प 1 है। Key Points 

  • MSR लेदर्स बनाम एस. पलानीअप्पन (2013) 1 एस.सी.सी.177 मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि अधिनियम की धारा 138 के प्रावधानों में ऐसा कुछ भी नहीं है जो चेक धारक को चेक को लगातार प्रस्तुत करने और चेक के प्रस्तुत होने पर दूसरी बार या लगातार अनादर के आधार पर आपराधिक शिकायत दर्ज कराने से रोकता हो।
  • अदालत ने टिप्पणी की थी: " हमें यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि चेक राशि के भुगतान में दूसरी या लगातार व्यतिक्रम के आधार पर अभियोजन को अस्वीकार्य नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि पहली  व्यतिक्रम के बाद वैधानिक नोटिस जारी किया गया था और भुगतान में विफलता के आधार पर कोई अभियोजन शुरू नहीं किया गया था। "
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