कालविभाजन और नामकरण MCQ Quiz - Objective Question with Answer for कालविभाजन और नामकरण - Download Free PDF

Last updated on Jun 18, 2025

Latest कालविभाजन और नामकरण MCQ Objective Questions

कालविभाजन और नामकरण Question 1:

भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का 'स्वर्ण युग' इनमें से किसने कहा है? 

  1. बाबु गुलाब राय
  2. जार्ज ग्रियर्सन
  3. श्याम सुन्दर दास
  4. रामचंद्र शुक्ल
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : श्याम सुन्दर दास

कालविभाजन और नामकरण Question 1 Detailed Solution

सही उत्तर है - “श्याम सुन्दर दास”।

  • भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का ‘स्वर्ण युगश्याम सुन्दर दास को कहा है।

Key Points 

  • हिन्दी साहित्य के इतिहास में भक्ति काल महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
  • आदिकाल के बाद आये इस युग को ‘पूर्व मध्यकाल’ भी कहा जाता है। इसकी समयावधि 1375 वि.सं से 1700 वि.सं तक की मानी जाती है।

Mistake Points

  • यह हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ युग है जिसको जॉर्ज ग्रियर्सन ने स्वर्णकाल, श्यामसुन्दर दास ने स्वर्णयुग
  • आचार्य राम चंद्र शुक्ल ने भक्ति काल एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लोक जागरण कहा।
  • सम्पूर्ण साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएं इसी में प्राप्त होती हैं।

Important Points

डॉ॰ श्यामसुन्दर दास :

  • यह हिंदी के अनन्य साधक, विद्वान्, आलोचक और शिक्षाविद् थे। हिंदी साहित्य और बौद्धिकता के पथ-प्रदर्शकों में उनका नाम अविस्मरणीय है।
    बाबू श्याम सुन्दर दास ने अनेक ग्रंथों की रचना की। उनके मौलिक ग्रंथों में साहित्यालोचन, भाषा विज्ञान,
    हिंदी भाषा का विकास, गोस्वामी तुलसी दास, रूपक रहस्य आदि प्रमुख हैं।

अन्य विकल्प :

  • बाबु गुलाब राय: यह हिन्दी के आलोचक तथा निबन्धकार थे।
    उनकी में कृतियों में ‘नवरस’, ‘कर्तव्य शास्त्र’ और ‘सत्य हरिश्चंद्र’ शामिल है।
  • जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन: यह अंग्रेजों के जमाने में "इंडियन सिविल सर्विस" के कर्मचारी, बहुभाषाविद् और आधुनिक भारत में भाषाओं का
    सर्वेक्षण करने वाले पहले भाषावैज्ञानिक थे।
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल: यह हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
    उनकी में कृतियों में ‘चिंतामणि’, ‘रसमीमांसा’ और ‘मित्रता’ शामिल है।

कालविभाजन और नामकरण Question 2:

हिंदी साहित्य के प्रथम कालखंड को 'बीजवपन काल' नाम किसने दिया? 

  1. धीरेन्द्र वर्मा 
  2. शिवसिंह सेंगर
  3. मिश्र बंधु
  4. महावीरप्रसाद द्विवेदी 
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : महावीरप्रसाद द्विवेदी 

कालविभाजन और नामकरण Question 2 Detailed Solution

हिंदी साहित्य के प्रथम कालखंड को 'बीजवपन काल' नाम दिया- महावीरप्रसाद द्विवेदी 

Key Points

  • ​हिंदी साहित्य के आदिकाल को 'बीजवपन काल' नाम महावीर प्रसाद द्विवेदी ने दिया था।
  • उन्होंने हिंदी साहित्य के प्रथम कालखंड को यह नाम इसलिए दिया
  • क्योंकि इस काल में हिंदी साहित्य की नींव डाली गई थी,
  • और आगे चलकर साहित्य के विकास के लिए बीज बोए गए थे।

 Important Pointsआदिकाल नामकरण-

नामकरण  प्रस्तोता 
चारण काल  जॉर्ज ग्रियर्सन 
प्रारंभिक काल  मिश्र बंधु 
बीजवपन काल  महावीरप्रसाद द्विवेदी 
वीरगाथा काल  रामचन्द्र शुक्ल 
सिद्ध-सामंत काल  राहुल सांकृत्यायन 
अपभ्रंश काल  धीरेन्द्र वर्मा 

Additional Informationधीरेन्द्र वर्मा- 

  • जन्म-17 मई 1897 - 23 अप्रैल 1973 ई.
  • एक भारतीय कवि और लेखक थे। वे हिंदी और ब्रजभाषा में लिखते थे। 
  • प्रमुख रचनाएँ:
    • हिन्दी राष्ट्र या सूबा हिन्दुस्तान: (1930)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास: (1933)
    • हिन्दी साहित्य कोश: (भाग एक और दो) (संपादक)
    • सूरसागर सार संग्रह
    • बृज छाप - बृज भाषा का व्याकरण
    • मेरी कॉलेज डायरी: (चार भागों में)
    • हिंदी अनुशीलन: (त्रैमासिक शोध पत्रिका)

शिवसिंह सेंगर-

  • जन्म- 1833 - 1878 ई.
  • पेशे से एक पुलिस इंस्पेक्टर थे।
  • संस्कृत, फ़ारसी और हिंदी कविता के अध्ययन में गहरी रुचि होने के साथ-साथ वे एक अच्छे कवि भी थे।
  • प्रमुख रचनाएँ:-
    • "शिवसिंह सरोज" (रचनाकाल सं. 1934 वि.) 

मिश्र बंधु-

  • सदस्य- गणेशबिहारी , श्यामबिहारी , शुकदेवबिहारी ( तीन सहोदर भाई)
  • मिश्रबंधुओ ने मिश्रबन्धु विनोद नामक इतिहास ग्रन्थ की रचना की। 
  • मिश्रबन्धु विनोद चार भागो में प्रकाशित - प्रथम तीन भाग - 1913 , और चौथा भाग - 1934 में। 
  • मिश्रबन्धु विनोद में 4591 कवियों का जीवनवृत्त वर्णित। 

हजारी प्रसाद द्विवेदी-

  • जन्म-1907-1979 ई.
  • हिन्दी निबन्धकारआलोचक और उपन्यासकार थे।
  • प्रमुख रचनाएँ:-
    • सूर साहित्‍य (1936ई.)
    • हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940ई.)
    • हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952ई.)
    • अशोक के फूल (1948ई.)
    • कल्‍पलता (1951ई.) आदि।

कालविभाजन और नामकरण Question 3:

रीतिकाल को ‘श्रृंगार काल’ कहने की सिफ़ारिश सबसे पहले निम्नलिखित में से किसने की है ? 

  1. रामचन्द्र शुक्ल
  2. हजारी प्रसाद द्विवेदी  
  3. रामस्वरूप चतुर्वेदी 
  4. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : विश्वनाथ प्रसाद मिश्र

कालविभाजन और नामकरण Question 3 Detailed Solution

रीतिकाल को ‘श्रृंगार काल’ कहने की सिफ़ारिश सबसे पहले विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने की है Key Pointsविश्वनाथ प्रसाद मिश्र --

  • जन्म --  1906 - 1982 ई.
  • आचार्य विश्वनाथ मिश्र ने श्रृंगार काल को तीन भागों में बांटा है।
    • रीतिबद्ध रचना लक्षण और उदाहरण से युक्त होती है।
    • रीत सिद्ध रीति की बंधी परिपाटी के अनुकूल स्वतंत्र काव्य रचनाएं
    • रीतिमुक्त रीति परंपरा की साहित्यिक रूढ़ियों से मुक्त रचनाएं
  • आलोचनात्मक ग्रंथ - 
    • काव्यांग कौमुदी 
    • बिहारी 
    • गोसाई तुलसीदास 
    • हिंदी में  नाट्य साहित्य का विकास

Important Pointsरामचन्द्र शुक्ल --

  • जन्म -- 1884 - 1941 ई.
  • आलोचनात्मक ग्रंथ - 
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923)
    • जायसी ग्रंथावली (1924)
    • भ्रमरगीत सार (1925)
    • हिंदी साहित्य का इतिहास (1929) 
    • काव्य में रहस्यवाद (1929) 
    • रस मीमांसा (1949)

हजारी प्रसाद द्विवेदी --

  • जन्म -- 1907 - 1979 ई.
  • आलोचनात्मक ग्रंथ - 
    • सूर  साहित्य (1930)
    • हिंदी साहित्य की भूमिका( 1940)
    • कबीर (1942)
    • हिंदी साहित्य का आदिकाल (1952 )
    • सहज साधना (1963 )
    • कालिदास की ललित योजना (1965 )
    • मध्य कालीनबोध का स्वरूप (1970)​

रामस्वरूप चतुर्वेदी --

  • जन्म -- 1931 - 2003 ई.
  • आलोचनात्मक ग्रंथ - 
    • हिंदी नव लेखन (1960)
    • भाषा और संवेदना 1964
    • अज्ञेय और आधुनिक रचना की समस्या (1968)
    • मध्यकालीन हिंदी भाषा (1968)
    • इतिहास और आलोचक दृष्टि (1982)
    • हिंदी साहित्य और संवेदना का विकास (1986)
    • प्रसाद निराला के ( 1989  )
    • काव्य भाषा पर तीन निबंध (1989)

कालविभाजन और नामकरण Question 4:

रीतिकाल को अलंकृत काल की संज्ञा किसने दी?

  1. डॉ. रामकुमार वर्मा
  2. हजारीप्रसाद द्विवेदी 
  3. मिश्रबंधु 
  4. रामचंद्र शुक्ल
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : मिश्रबंधु 

कालविभाजन और नामकरण Question 4 Detailed Solution

रीतिकाल को अलंकृत काल की संज्ञा मिश्रबंधु दी थी।

  • रीतिकाल को अलंकृत काल मिश्र-बंधुओं ने कहा है।
  • जबकि विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिका को 'शृंगारकाल' कहा है।
  • इसके अलावा रमाशंकररसाल ने इसे 'कलाकाल' कहा है।
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल एवं डॉ. रामकुमार वर्मा दोनों ने रीतिकाल को 'रीतिकाल' ही नाम दिया है।
  • मिश्रबंधु नाम के तीन सहोदर भाई थे, गणेशबिहारी, श्यामबिहारी और शुकदेवबिहारी।

Key Points

रीतिकाल :

  • सन् 1700 ई. के आस-पास हिंदी कविता में एक नया मोड़ आया।
  • संस्कृत साहित्यशास्त्र के कतिपय अंशों ने उसे शास्त्रीय अनुशासन की ओर प्रवृत्त किया।
  • हिंदी में 'रीति' या 'काव्यरीति' शब्द का प्रयोग काव्यशास्त्र के लिए हुआ था।
  • इसलिए काव्यशास्त्रबद्ध सामान्य सृजनप्रवृत्ति और रस, अलंकार आदि के निरूपक बहुसंख्यक लक्षणग्रंथों को ध्यान में रखते हुए इस समय के काव्य को 'रीतिकाव्य' कहा गया।
  • इस काव्य की शृंगारी प्रवृत्तियों की पुरानी परंपरा के स्पष्ट संकेत संस्कृत, अपभ्रंश, फारसी और हिंदी के आदिकाव्य तथा कृष्णकाव्य की शृंगारी प्रवृत्तियों में मिलते हैं।

Additional Information

लेखक रचनाएँ 
डॉ. रामकुमार वर्मा (1905 - 1990) 'वीर हमीर' (काव्य-सन 1922 ई.)
'चित्तौड़ की चिंता' (काव्य सन् 1929 ई.)
'साहित्य समालोचना' (सन 1929 ई.)
'अंजलि' (काव्य-सन 1930 ई.)
हजारीप्रसाद द्विवेदी(1907 -1979)   अशोक के फूल (1948)-निबन्ध संग्रह
कल्‍पलता (1951)-निबन्ध संग्रह
मध्यकालीन धर्मसाधना (1952)-निबन्ध संग्रह
विचार और वितर्क (1957)-निबन्ध संग्रह
विचार-प्रवाह (1959)-निबन्ध संग्रह
रामचंद्र शुक्ल  (1884-1941)  रहस्यवाद-आलोचनात्मक ग्रंथ
अभिव्यंजनावाद-आलोचनात्मक ग्रंथ
रसमीमांसा-आलोचनात्मक ग्रंथ

कालविभाजन और नामकरण Question 5:

हिंदी साहित्य के आदिकाल को इनमें से किसने 'सिद्ध-सामंत काल' नाम दिया है?

  1. राहुल सांकृत्यायन
  2. डॉ. रामकुमार वर्मा
  3. डॉ. श्यामसुंदर दास
  4. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : राहुल सांकृत्यायन

कालविभाजन और नामकरण Question 5 Detailed Solution

हिंदी साहित्य के आदिकाल को 'सिद्ध-सामंत काल' नाम दिया है- राहुल सांकृत्यायन

Key Pointsराहुल सांकृत्यायन-

  • जन्म-1893-1963 ई.
  • अन्य यात्रा-वृतांत-
    • मेरी तिब्बत यात्रा(1937 ई.)
    • मेरी लद्दाख यात्रा(1939 ई.)
    • किन्नर देश में(1948 ई.)
    • घुमक्कड़ शास्त्र(1948 ई.)
    • यात्रा के कुछ पन्ने(1952 ई.)
    • चीन में कम्यून(1959 ई.) आदि।

Important Pointsआदिकाल-

  • हिन्दी साहित्य के इतिहास में लगभग 8वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के मध्य तक के काल को आदिकाल कहा जाता है।
  • इस युग को यह नाम डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी से मिला है।
  • आदिकाल की समय सीमा 1050-1375 विक्रमी संवत तक था। 
  • आचार्य शुक्ल ने आदिकाल को 'अत्यधिक लोक प्रवृति का युग' कहा है। 
  • आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने आदिकाल को 'अत्यधिक विरोधी और व्याघातों' का युग घोषित किया है। 

Additional Informationआदिकाल नामकरण-

नामकरण  प्रस्तोता 
चारण काल  जॉर्ज ग्रियर्सन 
प्रारंभिक काल  मिश्र बंधु 
बीजवपन काल  महावीरप्रसाद द्विवेदी 
वीरगाथा काल  रामचन्द्र शुक्ल 
सिद्ध-सामंत काल  राहुल सांकृत्यायन 
अपभ्रंश काल  धीरेन्द्र वर्मा 

Top कालविभाजन और नामकरण MCQ Objective Questions

हिंदी साहित्य के इतिहास के किस काल को वीरगाथा काल भी कहा गया है?

  1. आदिकाल
  2. भक्तिकाल
  3. रीतिकाल
  4. आधुनिक काल

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : आदिकाल

कालविभाजन और नामकरण Question 6 Detailed Solution

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इसका सही उत्तर 'आदिकाल' है।

 Key Points

  • हिन्दी साहित्य के इतिहास में लगभग 8वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के मध्य तक के काल को आदिकाल कहा जाता है।
  • इस युग को यह नाम डॉ॰ हजारी प्रसाद द्विवेदी से मिला है।
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने 'वीरगाथा काल' तथा विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने इसे 'वीरकाल' नाम दिया है।

 Additional Information

हजारीप्रसाद द्विवेदी जी ने हिंदी साहित्य का काल विभाजन निम्न प्रकार से किया है - 

  • 1-आदिकाल (सन् 1000-1400 ई.)
  • 2- भक्तिकाल (सन् 1400-1700 ई.)
  • 3- रीतिकाल (सन् 1700-1900 ई.)
  • 4-आधुनिककाल (सन् 1900 ई.)

महावीर प्रसाद द्विवेदी ने आदिकाल को क्‍या संज्ञा दी है ?

  1. बीजवपनकाल
  2. आदिकाल
  3. बीरगाथाकाल
  4. चारणकाल

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : बीजवपनकाल

कालविभाजन और नामकरण Question 7 Detailed Solution

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महावीर प्रसाद द्विवेदी ने आदिकाल को-1) बीजवपनकाल कहा।

Key Points

  • आदिकाल - डॉ॰ हजारी प्रसाद द्विवेदी
  • बीरगाथाकाल - आचार्य रामचंद्र शुक्ल
  • चारणकाल - डॉ॰ रामकुमार वर्मा

Important Points

  • हिन्दी साहित्य के इतिहास में लगभग 8वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के मध्य तक के काल को आदिकाल कहा जाता है।
  • सरस्वती पत्रिका का सम्पादन महावीर प्रसाद द्विवेदी ने किया। 
  • आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग द्विवेदी युग (1900–1920) के नाम से जाना जाता है।  
  • इनकी पहली आलोचना पुस्तक नैेषधचरित्र चर्चा(1899) है। 
  • इनके मौलिक ग्रंथों में तरुणोपदेश,नैषधचरित्र चर्चा,हिंदी कालिदास की समालोचना,नाटय शास्त्र,हिंदी भाषा की उत्पत्ति,कालीदास की निरंकुशता आदि हैं।
  • अनुवाद ग्रंथों में वेकन विचार,रत्नावली,हिंदी महाभारत,वेणी संसार आदि प्रमुख हैं। 

Additional Information 

  • मिश्र बंधुओं ने आदिकाल को प्रारंभिक काल नाम दिया 
  • आदिकाल को राहुल संकृत्यायन ने सिद्ध-सामन्त काल नाम दिया 

हिन्दी साहित्य के किस काल को 'स्वर्णयुग' कहा जाता है ? 

  1. आदिकाल
  2. भक्तिकाल
  3. रीतिकाल
  4. आधुनिककाल

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भक्तिकाल

कालविभाजन और नामकरण Question 8 Detailed Solution

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हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल को 'स्वर्णयुग' कहा जाता है।

Key Points

  • भक्ति काल की समयावधि संवत् 1343ई से संवत् 1643ई तक
  • हिंदी साहित्य का भक्तिकाल 1375 वि.सं से 1700 वि.सं तक माना जाता है।
  • यह हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ युग है।
  • समस्त हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएं इस युग में प्राप्त होती हैं।
 Important Points
  • भक्ति-युग की चार प्रमुख काव्य-धाराएं मिलती हैं :
    • सगुण भक्ति
      • रामाश्रयी शाखा
      • कृष्णाश्रयी शाखा
    • निर्गुण भक्ति
      • ज्ञानाश्रयी शाखा
      • प्रेमाश्रयी शाखा

 Additional Information

नाम

प्रस्तोता

स्वर्णकाल

जॉर्ज ग्रियर्सन

स्वर्णयुग

श्यामसुन्दर दास

भक्ति काल

आचार्य राम चंद्र शुक्ल

लोक जागरण

हजारी प्रसाद द्विवेदी

रामचन्‍द्र शुक्‍ल का 'हिन्‍दी साहित्‍य का इतिहास' पहले किस ग्रंथ की भूमिका के रूप मे छपा था ?

  1. हिन्‍दी शब्‍द सागर
  2. हिन्‍दी साहित्‍य कोश
  3. हिन्‍दी साहित्‍य सागर
  4. हिन्‍दी सरित्‍सागर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : हिन्‍दी शब्‍द सागर

कालविभाजन और नामकरण Question 9 Detailed Solution

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  • रामचंद्र शुक्ल का 'हिंदी साहित्य का इतिहास' हिंदी शब्द सागर की भूमिका में छपा था ।
  • हिंदी साहित्येतिहास लेखन की परंपरा में आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित 'हिंदी साहित्य का इतिहास' का स्थान सर्वोपरि है।
  • Key Points

    • आचार्य शुक्ल का इतिहास मूलतः नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिंदी शब्दसागर' की भूमिका के रूप में 'हिंदी साहित्य का विकास' के नाम से सन् 1929 ई. में प्रकाशित हुआ।

इनमें से कौन 'आलवार' महिला संत हैं?

  1. आंडाल
  2. अक्कामाशी
  3. सहजोबाई
  4. मीराबाई

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : आंडाल

कालविभाजन और नामकरण Question 10 Detailed Solution

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'आलवार' महिला संत "आंडाल" है। अन्‍य व‍िकल्‍प असंगत हैं। 

Key Pointsआलवार- 

  • आलवार दक्षिण भारत का एक वैष्णव संप्रदाय था। 
  • जो 'भक्तिमार्ग' का प्रचार करते थे। 
  • इनका मूल उद्देश्य विष्णु की प्रगाढ़ भक्ति में स्वत: लीन होना और अपने उपदेशों से दूसरे साधकों को लीन करना था। 

आंडाल

  • वैष्णव आलवार के 12 सन्तों में ये एकमात्र नारी थीं।
  • इनका बचपन का नाम आंडालथा। 
  • इनकी काव्य रचनाएँ - 'तिरुप्पवै' और 'नाच्चियार तिरुमोळि'
  • इनका तमिल साहित्य में वही स्थान है, जो हिंदी में मीरा का है।

Important Points

  • अक्कामाशी, सहजोबाई और मीराबाई सभी भक्ति संत हैं, लेकिन वे आलवार नहीं हैं।
  • अक्कामाशी, सहजोबाई और मीराबाई की रचनाएँ हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि हैं।

"नया लेखक उनसे डरता है, पुराना घबराता है, पंडित सिर हिलाता है। वे पुराने की गुलामी पसंद नहीं करते और नवीन की गुलामी तो उनके लिए एकदम असह्यय है। "उपरोक्त कथन किस लेखक ने किस लेखक के बारे में कहा है ?

  1. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के लिए
  2. आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने भारतेंदु हरिश्नंद्र के लिए
  3. आचार्य नंददुलारे वाजपेयी ने आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के लिए
  4. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल के लिए

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल के लिए

कालविभाजन और नामकरण Question 11 Detailed Solution

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  • उपरोक्त कथन आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल के लिए कहा है। 
  • Hint  

    • उपरोक्त कथन "आलोचना की संस्कृति और आचार्य रामचंद्र शुक्ल" पुस्तक में है। 
    • शुक्ल जी ने जिन ग्रंथों के आधार पर वीरगाथाकाल नाम दिया है,द्विवेदी जी उन ग्रंथों को प्रामाणिक नहीं मानते।
    • हजारी प्रसाद द्विवेदी ने निम्न पुस्तकें लिखी हैं-
    1. हिंदी साहित्य की भूमिका 
    2. हिंदी साहित्य:उद्भव एवम् विकास 
    3. हिंदी साहित्य का आदिकाल  

    Additional Information

      डॉ. गणपति चन्द्रगुप्त ने द्विवेदी जी के योगदन पर लिखा है कि "वस्तुत:वे पहले व्यक्ति हैं जिन्होनें आचार्य शुक्ल की अनेक धारणाओं और स्थापनाओं को चुनौंती देते हुए उन्हें सबल प्रमाणों के आधारपर खण्डित किया।"

'ब्रज का कृष्‍ण सम्प्रदाय

हिंदी साहित्य के इतिहास का काल - विभाजन और नामकरण करते हुए उपर्युक्त नामकरण निम्नलिखित में से किस साहित्येतिहासकार ने सुझाया है ?

  1. मिश्रबंधु
  2. जार्ज ग्रियर्सन
  3. रामचंद्र शुक्‍ल
  4. रामकुमार वर्मा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : जार्ज ग्रियर्सन

कालविभाजन और नामकरण Question 12 Detailed Solution

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जॉर्ज ग्रियर्सन के अनुसार किये गए  काल विभाजन में  'बृज का कृष्ण सम्प्रदाय' नामक काल दिया हुआ हैI इन्होंने अपने काल विभाजन में प्रवृत्तियों के अनुसार कालों का वर्गीकरण किया हैI

Important Points

  •  ग्रियर्सन ने प्रवृत्तिगत काल विभाजन किया है तथा इनके कालों का नामकरण एक आधार पर नहीं हैI
  • ग्रियर्सन द्वारा किया गया काल विभाजन उनके द्वारा रचित पुस्तक 'द मॉडर्न वर्नेक्युलर लिटरेचर ऑफ़ हिन्दुस्तान' में दिया हुआ है जिसे सच्चे अर्थों में हिन्दी साहित्य का पहला इतिहास ग्रन्थ माना जाता हैI यह पुस्तक 1888 में रचित हैI 
  • इन्होने अपने काल विभाजन में 11 भाग किये हैं जो निम्न प्रकार हैं -    
  1. चारण काल (700-1300 ई.)
  2. पंद्रहवीं शती का धार्मिक पुनर्जागरण 
  3. जायसी की प्रेम कविता 
  4. बृज का कृष्ण सम्प्रदाय 
  5. मुग़ल दरबार 
  6. तुलसीदास 
  7. रीतिकाव्य 
  8. तुलसीदास के अन्य परवर्ती
  9. अठाहरवीं शताब्दी 
  10. कंपनी के शासन में हिन्दुस्तान 
  11. महारानी विक्टोरिया के शासन में हिन्दुस्तान    

 

 Additional Information

रामचंद्र शुक्ल - ​​

  1. आदिकाल (वीरगाथाकाल) - 1050- 1375 स.
  2. पूर्व मध्य काल (भक्तिकाल) - 1375- 1700 स.
  3. उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल) - 1700 - 1900 स.
  4. आधुनिक काल (गद्यकाल) - 1900 - 1984 स. 
रामकुमार वर्मा
  1. संधिकाल (750-1000 स.)
  2. चारणकाल (1000-1375 स.)
  3. भक्तिकाल (1375-1700 स.)
  4. रीतिकाल (1700-1900 स.)
  5. आधुनिक काल ( 1900- अब तक )

 

मिश्र बन्धु

1. प्रारंभिक काल –

पूर्व प्रारंभिक काल ( वि.सं. 700-1343 )

उत्तर प्रारम्भिक काल ( वि.सं. 1344-1444 )

 

2. माध्यमिक काल –

  1. पूर्व माध्यमिक काल ( वि.सं. 1445-1560 )
  2. उत्तर माध्यमिक काल ( वि.सं. 1561-1680 )

 

3. अलंकृत काल –

  1. पूर्व अलंकृत काल ( वि.सं. 1681-1790 )
  2. उत्तर अलंकृत काल ( वि.सं 1791-1889 ) 

4. परिवर्तन - 

     ( वि. स. 1890 - 1924 वि.)

5. वर्तमान काल -

     ( 1926 से अब तक)

गार्सा द तासी के इतिहास ग्रंथ 'द ला लितरेत्‍यूर ऐन्‍दुई ए ऐन्‍दुस्‍तानी' का दूसरा संस्‍करण कब प्रकाशित हुआ था ?

  1. 1848 ई
  2. 1868 ई
  3. 1871 ई
  4. 1888 ई

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : 1871 ई

कालविभाजन और नामकरण Question 13 Detailed Solution

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  • गार्सा द तासी के इतिहास ग्रन्थ का दूसरा संस्करण 1871 ई. में प्रकाशित हुआ।
  • यह इतिहास ग्रन्थ दो भागों(पहला संस्करण :- 1839 ई. और 1847 ई.   में प्रकाशित हुए।
  • Key Points

    •  इसमें उर्दू और हिंदी के 738 कवियों का विवरण उनके अंग्रेज़ी वर्ण के क्रम से दिया गया था , केवल 72 कवि हिंदी से सम्बंधित थे।
    • यह फ्रेंच भाषा में लिखा गया था।

    Important Points

    •  डॉ लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय ने इस ग्रन्थ में वर्णित हिंदी रचनाकारों सम्बन्धी सामग्री का हिंदी अनुवाद 'हिन्दुई साहित्य का इतिहास' शीर्षक से 1952 ई. में प्रकाशित कराया।

'कबीर के 'निर्गुण पंथ' का आधार भारतीय वेदांत और 'सूफियों का प्रेम तत्व' है |' यह विचार किसका है?

  1. रामचंद्र शुक्ल
  2. राहुल सांकृत्यायन
  3. हजारीप्रसाद द्विवेदी
  4. गोविन्द त्रिगुणायत

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रामचंद्र शुक्ल

कालविभाजन और नामकरण Question 14 Detailed Solution

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"कबीर के निर्गुण पंथ का आधार भारतीय वेदांत और सूफियों का प्रेमत्व है" उपर्युक्त कथन रामचंद्र शुक्ल जी का है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से रामचंद्र शुक्ल सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।Key Points

  • कबीर दास
    • कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। 
    • वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे।
    • इनके पंथ का आधार भारतीय वेदांत और सूफियों का प्रेमत्व है
Additional Information
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (11 अक्टूबर, 1884ईस्वी- 2 फरवरी, 1941ईस्वी)
    • हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे। 
    • हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात उन्हीं के द्वारा हुआ। 
    • हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। 
    • भाव, मनोविकार सम्बंधित मनोविश्लेषणात्मक निबन्ध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं।

'द माडर्न वर्नाक्युलर लिट्रेचर ऑफ़ हिन्दुस्तान' इतिहास ग्रंथ में क्या स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है?

  1. इसमें हिन्दी उर्दू के अनेक कवियों का वर्णन है
  2. हिन्दी साहित्य के इतिहास को चार काल खण्डों में विभक्त किया है
  3. कवियों और लेखकों का कालक्रमानुसार वर्गीकरण करते हुए उनकी प्रवृत्तियों का उल्लेख है
  4. इसमें लगभग पाँच हजार कवियों को स्थान दिया है

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : कवियों और लेखकों का कालक्रमानुसार वर्गीकरण करते हुए उनकी प्रवृत्तियों का उल्लेख है

कालविभाजन और नामकरण Question 15 Detailed Solution

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उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "कवियों और लेखकों का कालक्रम अनुसार वर्गीकरण करते हुए उनकी प्रवृत्तियों का उल्लेख है।" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।Key Points

  • 'द माडर्न वर्नाक्युलर लिट्रेचर ऑफ़ हिन्दुस्तान' 1888 ई. में जॉर्ज ग्रियर्सन द्वारा लिखा गया हिंदी साहित्य के इतिहास की पुस्तक है।
  • यह हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन का तीसरा प्रयास था।
  • यह पुस्तक अंग्रेजी में लिखी गई थी।
  • इसमें पहली बार हिंदी साहित्य के काल विभाजन का प्रयास किया गया था।
  • इसमें हिंदी साहित्य के काल को दस अध्यायों में बाँटा गया था।
Additional Information
  • ग्रियर्सन ने अपने ग्रंथ में 952 कवियों को शामिल किया है।
  • हिंदी साहित्य के विकास क्रम का निर्धारण चारण काव्य धार्मिक काव्य, प्रेम काव्य, दरबारी काव्य के रूप में किया गया है।
  • ग्रियर्सन ने इसे सच्चे अर्थों में हिंदी साहित्य का पहला इतिहास ग्रंथ माना है।

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