आदिकाल MCQ Quiz - Objective Question with Answer for आदिकाल - Download Free PDF
Last updated on Jun 11, 2025
Latest आदिकाल MCQ Objective Questions
आदिकाल Question 1:
हिन्दी भाषा का प्रथम प्रामाणिक ग्रंथ कौन-सा है ?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 1 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से हिन्दी भाषा का प्रथम प्रामाणिक ग्रंथ "पृथ्वीराज रासो" है।
Key Points
- पृथ्वीराज रासो हिन्दी भाषा में लिखा एक महाकाव्य है।
- जिसमें सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है।
- इसके रचयिता चंदबरदाई पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उनके राजकवि थे,
- और उनकी युद्ध यात्राओं के समय वीर रस की कविताओं से सेना को प्रोत्साहित भी करते थे।
Important Pointsहिंदी में प्रथम-
- हिन्दी की प्रथम रचना- श्रावकाचार (देवसेन)
- हिंदी में प्रथम उपन्यास- परीक्षा गुरु (श्रीनिवास दास)
- हिंदी के प्रथम मौलिक कहानी- इंदुमती (किशोरी लाल गोस्वामी)
- हिंदी साहित्य में छंद शास्त्र की प्रथम रचना- छंदमाला
- हिंदी में काव्यशास्त्र की प्रथम पुस्तक-साहित्यलहरी (सूरदास)
- हिंदी का प्रथम मौलिक नाटक- नहुष (गोपालचंद्र)
- हिंदी का प्रथम यात्रा संस्मरण - लंदन यात्रा (महादेवी वर्मा)
Additional Information
सतसई-
- सतसई, मुक्तक काव्य की एक विशिष्ट विधा है।
- इसके अंतर्गत कविगण 700 या 700 से अधिक दोहे लिखकर एक ग्रंथ के रूप में संकलित करते रहे हैं।
- "सतसई" शब्द "सत" और "सई" से बना है, "सत" का अर्थ सात और सई का अर्थ "सौ" है।
- इस प्रकार सतसई काव्य वह काव्य है जिसमें सात सौ छंद होते हैं। बिहारी सतसई में एक मात्र ‘रोला’ छंद का प्रयोग किया गया है।
रामलला नहछू -
- रामलला नहछू गोस्वामी तुलसीदास की रचना है।
- इस रचना के दो पाठ प्राप्त हुए है- एक वह, जो प्रकाशित मिलता है, जिसमें 40 द्विपदियाँ हैं,
- और दूसरा उससे छोटा, जिसकी अभी तक एक ही प्रति मिली है और जिसमें केवल 26 द्विपदियाँ हैं।
- दोनों पाठों में समान द्विपदियाँ केवल 12 हैं।
आल्हा उदल-
- आल्ह-खण्ड लोक कवि जगनिक द्वारा लिखित एक वीर रस प्रधान काव्य हैं,
- जिसमें आल्हा और ऊदल की 52 लड़ाइयों का रोमांचकारी वर्णन हैं।
आदिकाल Question 2:
बीसलदेव रासो के रचयिता का क्या नाम है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 2 Detailed Solution
बीसलदेव रासो के रचयिता का नाम है- नरपति नाल्ह
- बीसलदेव रासो पुरानी पश्चमी राजस्थानी की एक सुप्रसिद्ध रचना है। इसके रचनाकार नरपति नाल्ह हैं।
- इस रचना में उन्होंने कहीं पर स्वयं को "नरपति" कहा है और कहीं पर "नाल्ह"।
Key Pointsबीसलदेव रासो-
- रचनाकार- नरपति नाल्ह
- छंद- 125
- रचनाकाल- 1515 ईस्वी
- विषय-
- इसमें भोज परमार की पुत्री राजमती और अजमेर के चौहान राजा बीसलदेव तृतीय के विवाह योग एवं पुनर्मिलन की कथा सरस शैली में प्रस्तुत की गई है।
Important Pointsखुमान रासो-
- रचनाकार- दलपति विजय
- दलपति विजय भारतीय कवि था।
- खुमान रासो का रचयिता माना गया है।
- छंद- 5000
- दोहा, सवैया आदि छंद प्रयुक्त हुए हैं।
- इसकी भाषा राजस्थानी हिंदी है।
पथ्वीराज रासो-
- रचनाकार- चंद्रवरदाई
- छंद- 1300
- इसे “छंदों का अजायबघर" भी कहा जाता है।
- इसके 4 संस्करण है।
- यह हिंदी का प्रथम महाकाव्य है।
- इसके वृहद संस्करण में 69 सर्ग हैं।
परमाल रासो-
- रचनाकार- जगनिक
- यह वीर रस प्रधान सर्वश्रेष्ठ रचना है।
- सर्वप्रथम चार्ल्स इलियट ने इसका प्रकाशन आल्हाखंड नाम से कराया था।
- आल्ह खंड में महोबा के दो प्रसिद्ध वीरों आल्हा और ऊदल के वीर चरित का विस्तृत वर्णन किया गया था।
आदिकाल Question 3:
विद्यापति कृत कीर्तिलता की भाषा है:
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 3 Detailed Solution
- दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘अवहट्ट’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
- उपरोक्त विकल्पों में से विद्यापति की रचना ‘कीर्तिलता’ अवहट्ट भाषा में है।
- कीर्तिलता, विद्यापति की ऐतिहासिक रचना है। यह रचना 14 वी शताब्दी की मानी जाती है।
- महाकवि विद्यापति कई भाषाओं के ज्ञाता थे।
- इनकी अधिकांश रचना संस्कृत एवं अवहट्ट में है।
- विद्यापति भारतीय साहित्य की भक्ति परंपरा के प्रमुख स्तंभों मे से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं।
- इनके काव्यों में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरुप का दर्शन किया जा सकता है।
Additional Information
आदिकाल Question 4:
'करकंड-चरित' किस सदी की रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है- 11 वीं
- चरित काव्य अधिक मात्रा में लिखे गए।
- पुष्यदंत के 'चरिउ' के अलावा कनकामर मुनि कृत 'करकंड-चरित' (11वीं शती) भी प्रसिद्ध।
आदिकाल Question 5:
'आबू रास' का प्रकाशन वर्ष है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है- 1232 ई.
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राहुल सांकृत्यायन ने हिंदी का प्रथम कवि किसे माना है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFराहुल सांकृत्यायन ने सिद्ध कवि सरहपा को हिंदी का पहला कवि माना है।
Key Points
- सरहपा का समय इन्होंने 769 ई. माना है।
- सरहपा के अन्य नाम-सरोजवज्र,राहुल भद्र,सरहपाद आदि।
- इनके लिखे 32 ग्रन्थ बताये जाते हैं जिनमें 'दोहा कोश' प्रमुख है।
Important Points
- 'दोहा कोश' का संपादन प्रबोध चन्द्र बागची ने किया।
- बच्चन सिंह-"आक्रोश की भाषा का पहला प्रयोग सरहपा में ही दिखाई देता है।"
Additional Information
रचनाकार | रचना |
अमीर खुसरो | खालिक बारी,पहेलियां,मुकरियां, दो सूखने आदि। |
विद्यापति | कीर्तिलता,कीर्तिपताका,पदावली,गोरक्ष विजय आदि। |
अब्दुर्रहमान | संदेश रासक(खण्ड काव्य) |
महावीर प्रसाद द्विवेदी ने आदिकाल को क्या संज्ञा दी है ?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFमहावीर प्रसाद द्विवेदी ने आदिकाल को-1) बीजवपनकाल कहा।
Key Points
- आदिकाल - डॉ॰ हजारी प्रसाद द्विवेदी
- बीरगाथाकाल - आचार्य रामचंद्र शुक्ल
- चारणकाल - डॉ॰ रामकुमार वर्मा
Important Points
- हिन्दी साहित्य के इतिहास में लगभग 8वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के मध्य तक के काल को आदिकाल कहा जाता है।
- सरस्वती पत्रिका का सम्पादन महावीर प्रसाद द्विवेदी ने किया।
- आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग द्विवेदी युग (1900–1920) के नाम से जाना जाता है।
- इनकी पहली आलोचना पुस्तक नैेषधचरित्र चर्चा(1899) है।
- इनके मौलिक ग्रंथों में तरुणोपदेश,नैषधचरित्र चर्चा,हिंदी कालिदास की समालोचना,नाटय शास्त्र,हिंदी भाषा की उत्पत्ति,कालीदास की निरंकुशता आदि हैं।
- अनुवाद ग्रंथों में वेकन विचार,रत्नावली,हिंदी महाभारत,वेणी संसार आदि प्रमुख हैं।
Additional Information
- मिश्र बंधुओं ने आदिकाल को प्रारंभिक काल नाम दिया।
- आदिकाल को राहुल संकृत्यायन ने सिद्ध-सामन्त काल नाम दिया।
'सखी पिया को जो मैं न देखूं
कैसे काटूं अंधेरी रतिया'
किस कवि की काव्य पंक्तियां हैं-
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFसखी पिया को जो मैं न देखूं, कैसे काटूं अंधेरी रतिया... पंक्तियाँ अमीर खुसरो की लिखीं हुई हैं।
Key Points
- अमीर खुसरो हिन्दी खड़ी बोली, अरबी फ़ारसी के प्रसिद्ध विद्वान थे।
- आदिकाल के प्रमुख कवियों में इनको स्थान दिया है।
- आदिकाल में इनके अलावा: विद्यापति को भे प्रमुख स्थान मिला है।
Additional Information
- अमीर खुसरो
- अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे।
- सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था।
- अमीर खुसरो को हिन्द का तोता कहा जाता है।
- अमीर खुसरो की पहेलियाँ :-
- तरवर से इक तिरिया उतरी उसने बहुत रिझाया
- बाप का उससे नाम जो पूछा आधा नाम बताया
- आधा नाम पिता पर प्यारा बूझ पहेली मोरी
- अमीर ख़ुसरो यूँ कहेम अपना नाम नबोली
- उत्तर :- निम्बोली
- फ़ारसी बोली आईना,
- तुर्की सोच न पाईना
- हिन्दी बोलते आरसी,
- आए मुँह देखे जो उसे बताए
- उत्तर :- दर्पण
- बीसों का सर काट लिया
- ना मारा ना ख़ून किया
- उत्तर :- नाखून
- एक गुनी ने ये गुन कीना, हरियल पिंजरे में दे दीना।
- देखो जादूगर का कमाल, डारे हरा निकाले लाल।।
- उत्तर :- पान
- एक परख है सुंदर मूरत, जो देखे वो उसी की सूरत।
- फिक्र पहेली पायी ना, बोझन लागा आयी ना।।
- उत्तर :- आईना
- बाला था जब सबको भाया, बड़ा हुआ कुछ काम न आया।
- खुसरो कह दिया उसका नाँव, अर्थ कहो नहीं छाड़ो गाँव।।
- उत्तर :- दिया
- घूम घुमेला लहँगा पहिने,
- एक पाँव से रहे खड़ी
- आठ हात हैं उस नारी के,
- सूरत उसकी लगे परी ।
- सब कोई उसकी चाह करे है,
- मुसलमान हिन्दू छत्री ।
- खुसरो ने यह कही पहेली,
- दिल में अपने सोच जरी ।
- उत्तर :- छतरी
- खडा भी लोटा पडा पडा भी लोटा।
- है बैठा और कहे हैं लोटा।
- खुसरो कहे समझ का टोटा॥
- उत्तर :- लोटा
- घूस घुमेला लहँगा पहिने, एक पाँव से रहे खडी।
- आठ हाथ हैं उस नारी के, सूरत उसकी लगे परी।
- सब कोई उसकी चाह करे, मुसलमान, हिंदू छतरी।
- खुसरो ने यही कही पहेली, दिल में अपने सोच जरी।
- उत्तर :- छतरी
- आदि कटे से सबको पारे। मध्य कटे से सबको मारे।
- अन्त कटे से सबको मीठा। खुसरो वाको ऑंखो दीठा॥
- उत्तर :- काजल
'सरहपा' का संबंध निम्नांकित में से किससे है ?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF- सरहपा का सम्बन्ध सिद्ध साहित्य से है | इनका मत सिद्धमत कहलाता है |
- सिद्धों मे सबसे पुराने सरहपा ही है |
- सरहपा का जन्म - 769 ई . में हुआ था |
- सरहपा को सरोजव्रज , राहुल भद्र आदि नामों से भी जाना जाता है|
- सरहपा को हिंदी का प्रथम कवि माना जाता है |
- सरहपा की प्रसिद्ध रचना "दोहाकोश" है |
- सरहपा दोहा - चौपाई छन्द के प्रथम प्रयोक्ता है |
- सिद्धो का सम्बन्ध बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा से है |
- महायान > मंत्रयान > वज्रयान >सहजयान (सिद्धमत )
- सिद्धों का योगदान -
- सिद्धों ने ही सर्वप्रथम जाति , वर्ण - भेद की निंदा की |
- दोहा चौपाई छन्द का सर्वप्रथम प्रयोग सिद्ध सरहपा द्वारा |
- शास्त्रवाद का विरोध एवं लोकवाद की तरफ रुझान |
- ब्राहमणवाद का खण्डन किया एवं कायासाधना पर बल दिया |
- सिद्धों की भाषा को "संध्याभाषा" का नाम मुनिदत्त ने दिया |
Key Points
Important Points
Additional Information
'आध्यात्मिक रंग के चश्में आजकल बहुत सस्ते हो गये है।' रामचंद्र शुक्ल ने यह टिप्पणी किस कवि के सन्दर्भ में की है -
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF- यह टिप्पणी विद्यापति के संदर्भ में आ. शुक्ल ने अपनी पुस्तक हिंदी साहित्य का इतिहास में लिखी है। Key Points
- विद्यापति हिंदी साहित्य के आदिकाल के कवि हैं।
- शृंगार रस के प्रमुख कविI
- मैथिली, संस्कृत, अवहट्ट में रचनाI
- हिन्दी साहित्य में कृष्णगीति परम्परा के प्रवर्तकI
- शैव संप्रदाय से संबंध I
- आश्रय - राजा शिव सिंह और कीर्ति सिंह के राजदरबारी कवि
- उपाधियां - अभिनव जयदेव, मैथिल कोकिल, पंचानन
- रचनायें -
- निराला ने पदावली के श्रृंगारिक पदों की मादकता को ' नागिन की लहर ' कहा है।
- ह. प्र. द्विवेदी के अनुसार - शृंगार रस के सिद्ध वाक् कवि
- बच्चन सिंह ने विद्यापति को 'जातीय कवि' कहा है।
- मुख्य पंक्तियां -
- " देसिल बअना सब जन मिट्ठा। तें तैं सन जंपओ अवहट्ठा।। "
- " हिन्दू बोले दूरहि निकार। छोटउ तुरूका भभकी मार।। "
Important Points
संस्कृत | अवहट्ट | मैथिली |
गंगा वाक्यवली | कीर्तिलता | पदावली |
भू परिक्रमा | कीर्तिपताका | गोरक्ष विजय |
पुरुष परीक्षा | ||
विभाग सार |
Additional Information
इनमें से आदिकाल की कौन-सी रचना गद्य में लिखी गयी है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFआदिकाल में 'वर्ण रत्नाकार' रचना गद्य में लिखी गयी है।
Key Points
- वर्ण रत्नाकर (14 वी सदी) के रचनाकार ज्योतिरीश्वर ठाकुर है।
वर्ण रत्नाकर से संबंधित अन्य बिंदुः-
- हिन्दी दरबार और भारतीय जीवन पद्धति का यथार्थ चित्रण।
- मैथिली हिंदी मे इसकी रचना हुई है।
- इसका संपादन सुनीति कुमार चटर्जी ने किया है।
Additional Information
रचना | रचनाकार |
जयचंद प्रकाश (महाकाव्य) | केदार भट्ट |
परमाल रासो | जगनिक |
वसंत विलास |
लेखक अज्ञात है। यह एक अलौकिक श्रृंगारिक कृति है। |
Important Pointsआदिकालीन गद्य साहित्यः-
रचना | रचनाकार |
कुवलयमाला कहा (9 वी सदी) | उद्यतन सूरि |
राउलवेल (10 वी सदी) | रोड कवि |
उक्तिव्यक्तिप्रकरण (12 वी सदी) | दामोदर शर्मा |
वर्णरत्नाकर (14 वी सदी) | ज्योतिरीश्वर ठाकुर |
हिंदी का प्रथम महाकाव्य कौन सा है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है - ‘पृथ्वीराज रासो’।
- ‘पृथ्वीराज रासो’ हिंदी का प्रथम महाकाव्य है।
Key Points
- पृथ्वीराज रासो की रचना चंद्रवरदाई ने की है।
- इसकी रचना 12 वीं शताब्दी में हुई थी।
- पृथ्वीराज रासो में 69 सर्ग हैं|
- पृथ्वीराज रासो हिन्दी भाषा में लिखा एक महाकाव्य है जिसमें पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है।
- इसके रचयिता चंदबरदाई पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उनके राजकवि थे और उनकी युद्ध यात्राओं के समय वीर रस की कविताओं से सेना को प्रोत्साहित भी करते थे।
Additional Information
चंदबरदाई
- जन्म: 1148 ई० लाहौर वर्तमान पाकिस्तान में
- मृत्यु: 1192 ई० गज़नी में
- पृथ्वीराज रासो हिंदी का सबसे बड़ा काव्य-ग्रंथ है। इसमें 10,000 से अधिक छंद हैं और तत्कालीन प्रचलित 6 भाषाओं का प्रयोग किया गया है।
'खुमान रासो' के रचयिता कौन है?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर दलपति विजय है।
Key Points
- 'खुमान रासो' के रचयिता दलपति विजय हैं।
- यह पाँच हजार छंदों का विशाल काव्य ग्रंथ है।
- खुमान रासो नवीं शताब्दी की रचना मानी जाती है। इसमें नवीं शती के चित्तौड़ नरेश खुमाण के युद्धों का चित्रण है।
- 'खुमान रासो' रचना में दोहा, सवैया, कवित्त आदि छंद प्रयुक्त हुए हैं तथा इसकी भाषा राजस्थानी हिंदी है।
अन्य विकल्प -
कवि |
परिचय |
रचनायें |
जगनिक |
जगनिक महोबा के चन्देल राजा परमार्दिदेव के समकालीन जिझौतिया नायक परिवार में जन्मे कवि थे। महोबा के आल्हा-ऊदल को नायक मानकर आल्हखण्ड नामक ग्रंथ की रचना की जिसे लोक में 'आल्हा' नाम से प्रसिद्धि मिली। |
आल्हखण्ड |
चन्दबरदाई |
चन्दबरदाई हिन्दी के प्रथम महाकवि माने जाते हैं। वे षड्भाषा, व्याकरण, काव्य, साहित्य, छंद:शास्र, ज्योतिष, पुराण, नाटक आदि अनेक विद्याओं में पारंगत थे। |
पृथ्वीराज रासो |
नरपति नाल्ह |
नरपति नाल्ह पुरानी पश्चिमी राजस्थानी की सुप्रसिद्ध रचना "वीसलदेव रासो" के कवि हैं। |
गउरिका नंदन त्रिभुवन सार, दूसरइ कडवइ गणपति गाइ, हंस वाहणि देवी करि धरइ वीण, हंस गमणि मृगलोयणी नारि, बारहमासा |
सिद्ध-साहित्य के अन्तर्गत चौरासी सिद्धों की वे साहित्यिक रचनाएं आती हैं जो:
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFसिद्ध-साहित्य के अन्तर्गत चौरासी सिद्धों की वे साहित्यिक रचनाएं आती हैं जो तात्कालिक लोक भाषा हिंदी में लिखी गई है। Key Points
- सिद्ध साहित्य के अंतर्गत 84 सिद्धों के समय प्रचलित लोक भाषा हिंदी में जो साहित्य ग्रंथ लिखे गए हैं उनको शामिल किया गया है।
- सिद्ध बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा से सम्बंधित हैं। सिद्धों ने बौद्ध-धर्म के वज्रयान तत्व का प्रचार करने के लिए जन भाषा में जो साहित्य लिखा वह हिन्दी के सिद्ध साहित्य के अन्तर्गत आता है।
- राहुल सांकृत्यायन ने चौरासी सिद्धों के नामो का उल्लेख किया है।
- सिद्ध साहित्य का आरम्भ सिद्ध सरहपा से होता है। सरहपा को प्रथम सिद्ध माना जाता है।
- इन सिद्धों में सरहपा, शबरपा, लुइपा, डोम्भिपा, कण्हपा तथा कुक्कुरिपा हिन्दी के प्रमुख सिद्ध कवि हैं।
'सखि। पिया को जो मैं न देखूँ,
तो कैसे काटूँ अंधेरी रितयॉं।'
उपर्युक्त काव्य पंक्तियाँ किस कवि की हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
आदिकाल Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर विकल्प 3 है।
- यह पंक्तियां अमीर खुसरो की हैं। Key Points
- अमीर खुसरो आदिकाल के कवि हैं।
- खड़ी बोली के आदि कवि
- गुरु - निजामुद्दीन औलिया
- बृज भाषा, खड़ी बोली आदि में रचना
- वास्तविक नाम ए अबुल हसन
- प्रमुख रचनाएं -
- खालिकबारी
- दो सुखने
- ग़ज़ल
- पहेलियां, मुकरियां आदि
- महत्वपूर्ण पंक्ति - "मैं हिंदुस्तान की तूती हूं, अगर तुम वास्तव में मुझसे कुछ पूछना चाहते हो तो हिंदवी में पूछो जिसमें की मैं कुछ अद्भुत बातें बता सकूं।"
Additional Information